ब्रेकिंग न्यूज़

बेतिया में गंडक नदी की तेज धार में बहा चचरी पुल, कई गांवों का संपर्क टूटा हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने राजद और कांग्रेस पर बोला हमला, कहा..आरक्षण विरोधी रहा है दोनों पार्टियों का चरित्र Bihar Ias Officers: बिहार के 12 IAS अफसरों को मिली एक और नई जिम्मेदारी, पूरी लिस्ट देखें.... Bihar News: बिहार के 544 CO पर हुआ एक्शन, फिर भी अंचल अधिकारियों पर नहीं पड़ रहा प्रभाव, मंत्री ने की हाईलेवल मीटिंग बेगूसराय में नदी में डूबने से 4 की मौत, खगड़िया में एक बच्ची की गई जान Bihar News: इन जिलों में अगले 2 दिन भीषण बारिश, IMD ने पहले कर दिया सावधान Bihar News: बिहार की इन 8 महिला समेत 13 अफसरों की लगी ड्यूटी, 19-20 तारीख को करेंगे यह काम पटना फतुहा में टाटा कमर्शियल गाड़ियों के सबसे बड़े शोरूम ‘बुद्धा शक्ति’ का उद्घाटन, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने किया शुभारंभ FASTag Yogna: कार, जीप, वैन मालिकों के लिए बड़ी खबर....3000 रू का पास बनाएं और देशभर में करें यात्रा अब घरों में इन्वर्टर लगाने की नहीं पड़ेगी जरूरत: बिहार के 15 शहरों में लगने जा रही हाई-कैपेसिटी बैटरी इन्वर्टर, पावर कट होते ही 4 घंटे मिलेगी बिजली

वेदव्यास की जयंती पर बोले मुकेश सहनी, आज के दौर में बच्चों को पढ़ाना बेहद जरूरी

वेदव्यास की जयंती पर बोले मुकेश सहनी, आज के दौर में बच्चों को पढ़ाना बेहद जरूरी

13-Jul-2022 07:39 PM

AURANGABAD: गुरु पूर्णिमा के मौके पर औरंगाबाद के भगवान वेदव्यास आश्रम में एक समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शामिल  विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज के दौर में बच्चों को पढ़ाना बहुत जरूरी है। यदि वह अच्छी तालिम हासिल करेगा तो अच्छी नौकरी मिलेगी। जिससे जीवन स्तर में सुधार होगा। 


'सन ऑफ मल्लाह' के नाम से चर्चित सहनी ने औरंगाबाद  के बारुण में भगवान वेदव्यास आश्रम में गुरु पूर्णिमा की शुभ अवसर पर भगवान वेदव्यास की जयंती सह पूजा समारोह में सम्मिलित हुए तथा समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा अभिभावकों से बच्चो को शिक्षा देने के लिए प्रेरित किया और  गुरु की भूमिका कुम्हार से की।


गुरु की महिमा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु के प्रति श्रद्धा, नम्रता, विनय और आदर के बिना हममें धर्म-भाव पनप ही नहीं सकता। यह एक महत्वपूर्ण बात है कि जिन देशों में गुरु और शिष्य में इस प्रकार का संबंध विद्यमान है, केवल वहीं असाधारण आध्यात्मिक पुरुष उत्पन्न हुए हैं, और जिन देशों में इस प्रकार गुरु-शिष्य संबंधों की उपेक्षा हुई है, वहां धर्मगुरु एक वक्ता मात्र रह गया है।


उन्होंने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि प्राचीन काल से शिक्षा और गुरु का अपना स्थान है। शिक्षा के लिए एक गुरु आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गुरु की भूमिका भारत में केवल आध्यात्म या धार्मिकता तक ही सीमित नहीं रही है, देश पर राजनीतिक विपदा आने पर गुरु ने देश को उचित सलाह देकर विपदा से उबारा भी है।  अनादिकाल से गुरु ने शिष्य का हर क्षेत्र में व्यापक एवं समग्रता से मार्गदर्शन किया है। अतः सद्गुरु की ऐसी महिमा के कारण उसका व्यक्तित्व माता-पिता से भी ऊपर है।