ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Weather: आज बिहार के 18 जिलों में बारिश की चेतावनी, इन जिलों में उमस भरी गर्मी करेगी जीना मुश्किल Road Accident: पटना-गया फोरलेन पर भीषण सड़क हादसा, ट्रक से टकराई ग्रैंड विटारा; 5 व्यवसायियों की दर्दनाक मौत फुहा फुटबॉल टूर्नामेंट: आरा एरोज ने बेरथ को ट्राईब्रेकर में हराया, समाजसेवी अजय सिंह ने दी बधाई Katihar News: बिहार बंद के समर्थन में एनडीए कार्यकर्ताओं ने निकाला मशाल जुलूस, पीएम मोदी की मां पर अभद्र टिप्पणी का विरोध Katihar News: बिहार बंद के समर्थन में एनडीए कार्यकर्ताओं ने निकाला मशाल जुलूस, पीएम मोदी की मां पर अभद्र टिप्पणी का विरोध Patna Crime News: पटना में रेलवे स्टेशन से युवती को किडनैप कर गैंगरेप, सोनू सन्नाटा समेत दो आरोपी गिरफ्तार Patna Crime News: पटना में रेलवे स्टेशन से युवती को किडनैप कर गैंगरेप, सोनू सन्नाटा समेत दो आरोपी गिरफ्तार दिल्ली में 4 सितंबर को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन, मांझी और संतोष सुमन रहेंगे शामिल Purnea News: स्वाभिमान सभा में भाजपा जिला मंत्री नूतन गुप्ता हुईं शामिल, PM मोदी की रैली के लिए लोगों को दिया निमंत्रण Purnea News: स्वाभिमान सभा में भाजपा जिला मंत्री नूतन गुप्ता हुईं शामिल, PM मोदी की रैली के लिए लोगों को दिया निमंत्रण

स्वास्थ्य विभाग में अवैध तरीके से काम कर रहे लोगों को झटका, सुप्रीम कोर्ट वेतन और पेंशन देने से रोका

स्वास्थ्य विभाग में अवैध तरीके से काम कर रहे लोगों को झटका, सुप्रीम कोर्ट वेतन और पेंशन देने से रोका

22-Oct-2019 07:51 AM

DELHI : स्वास्थ विभाग में अवैध तरीके से नियुक्त तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों के वेतन और पेंशन भुगतान पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अवैध तरीके से विभाग में काम कर रहे हजारों कर्मियों को झटका दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सार्वजनिक पदों पर अवैध तरीके से नियुक्त लोगों को वेतन पेंशन और अन्य भत्ते नहीं दिए जा सकते। जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने स्वास्थ्य विभाग के उन कर्मियों की याचिका खारिज कर दी जो अपनी नियुक्ति की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। 

आपको बता दें कि साल 1980 से 1990 के बीच स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर ऐसी नियुक्तियां हुई थी।  जिनके लिए ना तो पद को स्वीकृत किया गया और ना ही विज्ञापन सहित अन्य प्रक्रियाओं का पालन किया गया।  बाद के दिनों में जब अवैध तरीके से नियुक्त कर्मियों के बारे में विभाग को जानकारी मिलेगी तो उन्हें सेवा से हटा दिया गया। सरकार के इस फैसले के खिलाफ यह कर्मी सुप्रीम कोर्ट गए थे जहां से उन्हें निराशा हाथ लगी।