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19-Dec-2020 01:17 PM
PATNA: राहुल गांधी पर दिए गया शिवानंद तिवारी के बयान के बाद बिहार में राजनीति गर्म हो गई है. आरजेडी के सीनियर नेता पर कांग्रेस कार्रवाई की मांग कर रही है, लेकिन इस बीच श्याम रजक ने शिवानंद का साथ दिया है और कहा कि उन्होंने कोई गलत नहीं कहा हैं.
शिवानंद ने सिर्फ दी सलाह
श्याम रजक ने कहा कि शिवानंद तिवारी ने कुछ गलत नहीं कहा है. उन्होंने बस यह सलाह दी है कि अपने पार्टी के बैठकर समीक्षा करें. सोनिया गांधी को कहा है कि पार्टी को और धारदार बनाएं. बीजेपी का भाषा इसमें कुछ भी नहीं दिख रहा है. उन्होंने यह कहा है कि वह सलाह दिए हैं और इस पर उनकी पार्टी को समीक्षा करनी चाहिए और कांग्रेस पार्टी को और धारदार बनाना चाहिए.
आरजेडी अपराधियों की पार्टी नहीं
श्याम रजक ने जीतन राम मांझी के ट्वीट पर कहा कि जीतन राम मांझी सीएम रह चुके हैं और सीनियर नेता है. लेकिन उनको इस तरह का बयान सही नहीं है. सीएम के अंदर में कई विभाग होते हैं. निगरानी, सीआईडी अपने विभागों से जांच करा ले. यह विभाग तो उनके ही जिम्मे है. मांझी को अपने स्टेपनी बाबू से कहना चाहिए कि अपराध पर लगाम लगाया जाए. हमारी पार्टी कोई गुंडों की पार्टी नहीं है. हमारी पार्टी एक स्वाभिमान पर चलती है. जीतन राम मांझी ने ट्वीट किया था कि बिहार के अपराध को लेकर चिंता का दिखावा करने वाले आरजेडी और उनके सहयोगी दलों के नेताओं से आग्रह है कि आप अपने कार्यकर्ताओं और जेल में बंद नेताओं को समझा दें तो सूबे में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा अपराधिक घटनाएं यूं ही खत्म हो जाएंगीं.
राहुल पर हमला
कांग्रेस की सहयोगी पार्टी आरजेडी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने एक बार फिर राहुल गांधी पर विस्फोटक बयान दिया है. इस बार शिवानंद तिवारी ने सोनिया गांधी से अपील की है. कहा है-सोनिया जी, पुत्र मोह छोड़िये और लोकतंत्र को बचाइये. आपके बेटे से देश तो छोडिये कांग्रेस भी चलने वाली नहीं है. दरअसल कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की बैठक बुलायी है. उससे पहले शिवानंद तिवारी ने ये बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी की बैठक होने जा रही है. पता नहीं उस बैठक का नतीजा क्या निकलेगा. लेकिन यह स्पष्ट है कि कांग्रेस की हालत बिना पतवार के नाव की तरह हो गई है. कोई इसका खेवनहार नहीं है. वैसे भी यह स्पष्ट हो चुका है कि राहुल गांधी में लोगों को उत्साहित करने की क्षमता नहीं है. जनता की बात तो छोड़ दीजिए, उनकी पार्टी के लोगों का ही भरोसा उन पर नहीं है. इसलिए जगह-जगह के लोग कांग्रेस पार्टी से मुंह मोड़ रहे हैं. शिवानंद तिवारी ने लिखा है कि खराब स्वास्थ्य के बावजूद बहुत ही मजबूरी में सोनिया जी कामचलाऊ अध्यक्ष के रूप में किसी तरह पार्टी को खींच रही हैं. मैं उनकी इज्जत करता हूं. मुझे याद है सीताराम केसरी के जमाने में पार्टी किस तरह डूबती जा रही थी. वैसी हालत में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का कमान संभाला था और पार्टी को सत्ता में पहुंचा दिया था. हालांकि उनके विदेशी मूल को लेकर काफी बवाल हुआ था. भाजपा की बात छोड़ दीजिए, कांग्रेस पार्टी में भी उनके नेतृत्व को लेकर गंभीर संदेह व्यक्त किया गया था. हालांकि 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिला बहुमत सोनिया जी के ही नेतृत्व में मिला था. इसलिये सोनिया जी ही प्रधानमंत्री की कुर्सी की स्वभाविक अधिकारी थीं. लेकिन उनका प्रधानमंत्री नहीं बनना असाधारण कदम था. उसी कुर्सी के लिए हमारे देश के दो बड़े नेताओं ने क्या-क्या नाटक किया था, हमारे जेहन में है.