40 साल दरगाह की सेवा के बाद श्यामलाल की घर वापसी, पहलगाम आतंकी हमले से हुआ हृदय परिवर्तन Bihar News: सदर अस्पताल में मिला 25 वर्षीय युवक का शव, प्रेमिका के परिवार वालों पर हत्या का आरोप आतंकवादी हमले के खिलाफ पटना में महागठबंधन का कैंडल मार्च, तेजस्वी यादव-मुकेश सहनी सहित कई नेता रहे मौजूद Road Accident: भारतीय सेना के जवान की सड़क हादसे में मौत, पिता के निधन के बाद छुट्टी पर आए थे घर गोपालगंज में 4 दिन से लापता युवती की लाश बगीचे से बरामद, हत्या के विरोध में परिजनों ने किया सड़क जाम हंगामा CSKvsSRH: 10वें स्थान को लेकर CSK और SRH में रोचक जंग के बीच चेन्नई को मिले भविष्य के 2 सुपरस्टार BIHAR NEWS: विनोद सिंह गुंजियाल बने बिहार के नये मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 2007 बैच के हैं IAS अधिकारी महागठबंधन में महाघमासान होना तय! RJD से दबने को तैयार नहीं कांग्रेस, को-ओर्डिनेशन कमेटी में दिखा दिया अपना जोर Pahalgam Terror Attack: रूस की अपने नागरिकों को सलाह, “पाकिस्तान की यात्रा न करें”, भारत-पाक के बीच तनाव से पूरी दुनिया अलर्ट Sindhu Water Treaty: बूंद-बूंद पानी को तरसेगा पाकिस्तान! सिंधु जल समझौता को लेकर चल रही शाह की बैठक खत्म; पाक के खिलाफ बड़ा फैसला
01-Aug-2024 12:13 PM
By First Bihar
DELHI: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एससी/एसटी में कोटा के अंदर कोटा को अपनी मंजूरी दे दी है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोटा में कोटा असमानता के खिलाफ नहीं है। सात जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार एससी/एसटी में सब कैटेगरी बना सकती है, जिससे जरूरतमंत कैटेगरी के लोगों को आरक्षण का अधिक लाभ मिलेगा।
दरअसल, पंजाब में वाल्मीकि और मजहबी सिख जातियों को अनुसूचित जाति जाति आरक्षण का पचास फीसद हिस्सा देने वाले कानून को साल 2010 में हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया।
याचिका में कहा गया कि SC/ST में भी कई ऐसी जातियां हैं जो बहुत ही अधिक पिछड़ी हुई है और उन्हें सशख्त बनाने की जरुरत है। कोर्ट ने कहा कि जिस भी जाति को आरक्षण में अलग से हिस्सा दिया जा रहा है उसके पिछड़ेपन का सबूत होना जरूरी है। शिक्षा और नौकरी में वैसी जातियों के कम प्रतिनिधित्व को आधार पर उन्हें आरक्षण में आरक्षण का लाभ दिया जा सकता है। किसी भी जाति की संख्या अधिक होने को इसके लिए आधार बनाना गलत है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति वर्ग में समानता नहीं हैं, उसमें कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हुई हैं उन्हें अवसर मिलना चाहिए। यह व्यवस्था अनुसूचित जाति के लिए भी लागू हो सकती है। कुछ अनुसूचित जातियों ने दूसरी अनूसूचित जातियों की तुलना में सदियों से ज्यादा भेदभाव को सहा है। कोर्ट ने कहा कि कोई राज्य अगर आरक्षण को वर्गीकृत करना चाहता है तो उसे पहले इससे जुड़े आंकड़े जुटाने होंगे।