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16-Sep-2020 02:27 PM
PATNA: बिहार के लाखों घरों के चुल्हे इस वजह से जल पाते हैं क्योंकि उन घरों में से एक या कई लोग अपना घर छोड़कर शहर के घरौंदे में रहते हैं। दो जून की रोटी गरीबों की सबसे बड़ी जरूरत होती है और पलायन की सबसे बड़ी मजबूरी भी यही होती है। कोरोना संकट में प्रवासी बिहारियों का जो दर्द सामने आया, जो तस्वीरें सामने आयी वो रोंगटे खड़ी कर देने वाली थी। कुछ ने अपने घर पहुंचने के लिए हजारों किलोमीटर का फासला पैदल तय किया और कुछ चंद कदम के फासले से पीछे रह गये। संकट के सितम से जो भूख और बेरोजगारी पनपी उसने प्रवासी बिहारियों को जान पर खेलकर घर लौटने को मजबूर किया। जिन्होंने इस दर्द को जिया है वे तो इसे कभी नहीं भूल पाएंगे लेकिन हमारे आपके जेहन से भी वो तस्वीरें कभी नहीं हटेंगी लेकिन न जाने क्यों सियासत दानों को यह मुलागलता होता है कि लोग बहुत जल्दी चीजों को भूल जाते हैं। अब बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी को हीं ले लीजिए जिस दौर में ऐसा सोंचने की भी हिम्मत कोई नहीं कर सकता कि पलायन शौक है उस दौर में डिप्टी सीएम साहब ने यह कहने की जुर्रत कर दी है कि बिहार में पलायन की परंपरा है और लोग आनंद के लिए पलायन करते हैं।
डिप्टी सीएम साहब यह भी कहते हैं कि बिहार में दो जून की रोटी कमाने के लिए किसी को बाहर जाने की जरूरत नहीं है। अब पलायन की पाॅलटिक्स को समझिए। डिप्टी सीएम सुशील मोदी का यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आया है। सवाल यह है कि सुशील मोदी जैसा मंझा हुआ राजनेता चुनाव के वक्त ऐसे बयानों के नुकसान को नहीं समझता? बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पलायन बिहार में राजनीतिक मुद्दा है। विरोधी तो छोड़िए बीजेपी-जेडीयू के सहयोगी लोजपा के सुप्रीमो चिराग पासवान भी पलायन को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर सवाल उठाते रहे हैं ऐसे में सवाल यह भी है कि डिप्टी सीएम सुशील मोदी पलायन को लेकर इतना हल्का बयान अनजाने में दिया या फिर यह नीतीश कुमार को पलायन की पाॅलटिक्स में फंसाने की कोशिश है?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों में एक धारणा लगातार टहल रही है कि बिहार में नीतीश कुमार को लेकर एक सत्ता विरोधी लहर है, एक नाराजगी है। इस नाराजगी की एक बड़ी वजह 40 लाख प्रवासी बिहारी हैं जिनमें से ज्यादातर ने कोरोना संकट में बदत्तर जिंदगी गुजारी है और सरकारी इंतजामों को लेकर और सीएम नीतीश कुमार के कुछ बयानों को लेकर उनमें नाराजगी है। क्या यह सिर्फ इसलिए है कि ऐसे बयानों से लोगों के गुस्से को और भड़काया जाए ताकि नीतीश थोड़े और बैकफूट पर आए क्योंकि यह जगजाहिर है कि बयान भले हीं डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने दिया है लेकिन नुकसान नीतीश कुमार का हीं होना है। ऐसे में सवाल यह भी है कि पलायन पर डिप्टी सीएम सुशील मोदी का बयान संयोग है या प्रयोग?