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04-Jul-2023 06:20 PM
By First Bihar
PATNA: बिहार में जाति आधारित गणना पर मंगलवार को भी पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। साढ़े 11 बजे से शुरू हुई सुनवाई के दौरान बिहार के एडवोकेट जनरल पीके शाही ने कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा। मामले पर बुधवार को भी हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी।
दरअसल, पटना हाईकोर्ट के तरफ से जाति आधारित गणना पर 4 मई को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि अब तक जो डेटा कलेक्ट हुआ है, उसे नष्ट नहीं किया जाए। उस वक्त तक 80 फीसदीसे अधिक गणना का काम पूरा हो चुका था। हाईकोर्ट की रोक के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया था कि, यदि पटना हाईकोर्ट इस मामले पर सुनवाई नहीं करता है तो सुप्रीम कोर्ट मामले में सुनवाई करेगा।
पटना हाई कोर्ट में 3-4 जुलाई को मामले पर सुनवाई हुई और 5 जुलाई को भी मामले की सुनवाई जारी रहेगी। कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील अभिनव श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य सरकार जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है, जो राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर की चीज है। यह असंवैधानिक है और समानता के अधिकार का खुला उल्लंघन है। सिर्फ केंद्र सरकार ही इस तरह का सर्वेक्षण कराने का अधिकार रखती है।
बता दें कि बिहार में 7 जनवरी से शुरू हुई गणना 15 मई को खत्म होने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही 4 मई को पटना हाई कोर्ट ने इसपर रोक लगा दिया था। इसके बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 18 मई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। बेंच ने कहा था कि इस बात की जांच करनी होगी कि सर्वेक्षण की आड़ में नीतीश सरकार जनगणना तो नहीं करा रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए पटना हाई कोर्ट के पास वापस भेज दिया था।