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07-Dec-2023 08:48 PM
By First Bihar
PATNA: पटना हाईकोर्ट ने हाल ही में छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति में क्लास 1 से 5 पांच तक के स्कूलों में नियुक्ति किये गये 22 हजार बी.एड पास शिक्षकों की बहाली को रद्द करने का फैसला सुनाया था। अब हाईकोर्ट ने लैब तकनीशियनों को बड़ा झटका दिया है। ऐसे में 2005 से अनुबंध पर काम कर रहे लैब तकनीशियनों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।
पटना हाईकोर्ट का कहना है कि सिर्फ अनुभव के आधार पर नौकरी स्थायी नहीं की जा सकती। इसके लिए बिहार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान द्वारा प्रस्तावित प्रयोगशाला तकनीशियन में डिप्लोमा की वांछित डिग्री भी लैब तकनीशियन के पास होनी चाहिए। बता दें कि 2005 से लैब तकनीशियन बिहार के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैनात है।
हाईकोर्ट ने बताया कि 2014 में बने नए कैडर नियम के बाद लैब तकनीशियन अपने पद पर बने नहीं रह सकते। बिहार कर्मचारी चयन आयोग की अपील को स्वीकार करते हुए चीफ जस्टिस के वी चंद्रन एवं जस्टिस राजीव रॉय की खंडपीठ के द्वारा यह फैसला सुनाया गया।
बता दें कि इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति में क्लास 1 से 5 पांच तक के स्कूलों में नियुक्ति किये गये 22 हजार बी.एड पास शिक्षकों की बहाली को रद्द करने का फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकार ने छठे चरण में क्लास एक से पांच तक के शिक्षकों की नियुक्ति में बीएड पास उम्मीदवारों की जो नियुक्ति की है, उसे रद्द करना होगा और उन नियुक्तियों को फिर से काम भरना होगा. राज्य सरकार को एनसीटीई की साल 2010 की मूल अधिसूचना के अनुसार योग्य उम्मीदवारों को ही नियुक्त करना होगा. राज्य सरकार ये भी निर्णय लेगी कि कितने पद रिक्त हो रहे हैं और उन पदों पर रिक्तियों को कैसे भरा जाना है.
गौरतलब है कि बिहार में छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति 2021 में हुई थी. इस दौरान कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी. हालांकि राज्य सरकार ने एनसीटीई की 2018 की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा था कि एऩसीटीई ने बीएड पास अभ्यर्थियों को क्लास एक से पांच तक के शिक्षक पद पर नियुक्ति की मंजूरी दे दी है.
2021 में हाईकोर्ट की बेंच ने राज्य सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने की इजाजत दे दी थी. लेकिन मामले की सुनवाई कोर्ट में चलती रही. बुधवार को इस मामले पर हाईकोर्ट का फैसला आया. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्कूलों में टीचर नहीं बनाया जा सकता है. इसलिए इसकी मंजूरी बिहार में भी नहीं दी जा सकती.