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25-Feb-2022 05:58 PM
ANCHOR: बिहार में विधानमंडल का बजट सत्र आज से शुरू हुआ औऱ पहले ही दिन NDA विधायक दल की बैठक हुई. नीतीश कुमार की मौजूदगी में NDA के विधायकों और मंत्रियों ने सूबे में बेलगाम अफसरशाही का कच्चा चिट्ठा खोल दिया. मंत्री से लेकर विधायक बोले-अब दरोगा तक बात नहीं सुनता है. सरकार चिट्ठी जारी करती है कि विधायकों को सम्मान दीजिये, अफसर उसका कोई नोटिस ही नहीं लेते. लेकिन इस बैठक की सबसे खास बात ये रही कि मंत्री से लेकर विधायक बोलते रहे और नीतीश कुमार ने उनका कोई जवाब नहीं दिया. एक विधायक ने फर्स्ट बिहार से बातचीत में कहा-नीतीश कुमार इस तरह खामोश बैठे थे मानो वे किसी दुनिया में हों.
मुकेश सहनी ने की शुरूआत
बिहार में बेलगाम अफसरशाही पर भड़ास निकालने की शुरूआत वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष औऱ पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी ने की. मुकेश सहनी ने कहा कि बड़े अफसरों की कौन कहे, अब तक दरोगा तक मंत्री की बात नहीं सुनता. अफसरशाही बेलगाम हो गयी है. मुकेश सहनी ने कहा कि राज्य सरकार ने बगैर उन्हें जानकारी दिये इस दफे पशुपालन औऱ मत्स्य पालन विभाग का बजट ही कम कर दिया है. उन्हें बाद में जानकारी मिली कि बजट कम कर दिया गया है. मुकेश सहनी ने बैठक में ये भी कहा कि उन्हें ये वादा किया गया था कि एक औऱ मंत्री पद दिया जायेगा लेकिन उस पर चर्चा ही नहीं की जा रही है.
मांझी भी बोले
वहीं हम पार्टी के नेता और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भी विधायकों के सम्मान का मसला उठाया. उन्होंने कहा कि जब अफसर विधायकों की ही बात नहीं सुनेंगे तो सरकार का सम्मान कैसे बचेगा. मांझी ने कल भी अपने विधायकों के साथ बैठक में बिहार में बेलगाम हो चुके अफसरशाही पर गहरी नाराजगी जतायी थी.
बीजेपी विधायकों का आक्रोश फूटा
एनडीए की इस बैठक में जेडीयू विधायक खामोश बैठे रहे लेकिन बीजेपी के विधायकों ने जमकर अपनी भड़ास निकाली. बीजेपी के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने कहा कि बडे अधिकारियों की कौन कहे, सीओ औऱ बीडीओ तक बात नहीं सुन रहा है. विधायक के लिए कोई भी काम करा पाना बेहद मुश्किल हो गया है. ज्ञानू ने कई उदाहरण दिये कि कैसे अफसर विधायकों को कोई महत्व नहीं दे रहे हैं.
बीजेपी के एक और विधायक संजय सरावगी ने कहा कि अफसर अब नेता बन गये हैं. वे खुद शिलान्यास और उद्घाटन कर रहे हैं. बैठक बुला रहे हैं. विधायकों को उसमें शामिल होने का न्योता तक नहीं दे रहे हैं. संजय सरावगी ने कहा कि उन्होंने विधानसभा में सवाल उठाया था कि ग्रामीण कार्य विभाग की सड़कों के उद्घाटन शिलान्यास में विधायकों को बुलाया तक नहीं जा रहा है. इसके बाद ग्रामीण कार्य विभाग ने पत्र जारी कर विधायकों को बुलाने को कहा. लेकिन दूसरे विभागों की योजनाओं में अभी भी वही स्थिति है. विधायकों को कोई पूछने वाला तक नहीं है. हाल ये है कि जब विधायक पथ निर्माण मंत्री के पास गुहार ले कर जाते हैं कि क्षेत्र की सड़क बना दीजिये तो मंत्री कहते हैं कि पैसा ही नहीं है. बीजेपी के एक औऱ विधायक संजय सिंह ने भी विधायकों को सम्मान नहीं दिये जाने का मामला उठाया.
वहीं, बीजेपी के वरीय नेता नंद किशोर यादव ने डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के अधीन आने वाले नगर विकास विभाग के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाये. नंद किशोर यादव ने कहा कि पटना का ही हाल देख लीजिये. सारी सड़कों औऱ सीवरेज को तोड़ दिया गया है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो हम शहरी इलाकों से भी उखड़ जायेंगे.
नीतीश ने कोई नोटिस नहीं लिया
दिलचस्प बात तो ये रही कि विधायक दल की बैठक में विधायक अपनी पीड़ा सुनाते रहे और सीएम खामोश बैठे रहे. बीजेपी के एक विधायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि वे अपने जिले के अफसरों की करतूतों का कच्चा चिट्ठा लेकर बैठक में गये थे. लेकिन जब देखा कि दूसरे विधायक बोल रहे हैं औऱ सीएम कोई नोटिस ही नहीं ले रहे हैं तो बोलना बेकार समझा. बीजेपी विधायक ने कहा कि सीएम भावहीन चेहरा लिये ऐसे बैठे थे जैसे वे शून्य में विचर रहे हों.