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23-Oct-2020 08:42 PM
BETTIAH : पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व विधायक रश्मि वर्मा पर धोखाधड़ी कर जमीन बेचने की एफआईआर दर्ज की गई है. बेतिया नगर थाने में दर्ज एफआईआर में रश्मि वर्मा के जेठ (भसुर) आशीष वर्मा ने उन पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है.
बेतिया नगर थाना पुलिस के मुताबिक आशीष वर्मा की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गयी है. इस एफआईआर में उनके भाई स्व. आलोक वर्मा की पत्नी रश्मि वर्मा, बृजेश कुमार, शिवगंज के मथुरा सिंह और पुरानी गुदरी के डॉ. नमित को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. इन सबों पर आरोप है कि उन्होंने आशीष वर्मा की जमीन धोखे से बेच दी है. पुलिस ने कहा है कि मामले की छानबीन की जा रही है. अगर मामला सही पाया गया तो दोषियों की गिरफ्तारी होगी.
नगर थाने में दर्ज करायी गयी एफआईआर में आशीष वर्मा ने कहा है कि उनका परिवार पश्चिम चंपारण के शिकारपुर का रहने वाला है. उनके भाई स्व. आलोक वर्मा का निधन हो चुका है. इसके बाद परिवार में आपसी बंटवारा हो चुका है. बंटवारे में आशीष वर्मा को बेतिया शहर के उज्जैन टोला में जमीन दी गयी थी. परिवार के सभी लोगों ने इस पर सहमति जतायी थी. खुद रश्मि वर्मा ने अनापत्ति पत्र दिया था जिसके बाद जमीन की दाखिल खारिज आशीष वर्मा के नाम कर दी गयी थी. आशीष वर्मा उस जमीन की मालगुजारी भी दे रहे थे.
FIR में कहा गया है कि ये सब होने के दो साल बाद रश्मि वर्मा ने इस साल 28 जनवरी को वह जमीन बृजेश कुमार नाम के आदमी को बेच दिया. जमीन की खरीद बिक्री में गवाह और पहचानकर्ता मथुरा सिंह और डॉ नमित कुमार बने हैं. लिहाजा केस में सारे लोगों को अभियुक्त बनाया गया है.
मीडिया ने जब इस बाबत रश्मि वर्मा से पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि ये किसी तरह की धोखाधड़ी का मामला नहीं है. जमीन उनके परिवार की थी जिसे उन्होंने बेचा है. चुनाव के दौरान उन्हें बदनाम करने के लिए एफआईआर दर्ज करायी गयी है लेकिन पुलिस की जांच में सारी बातें साफ हो जायेंगी.
रश्मि वर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है
नरकटियागंज से बीजेपी की प्रत्याशी रश्मि वर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है. बीजेपी ने कुछ ही दिनों पहले उन्हें पार्टी में शामिल कराया है और फिर चुनावी टिकट दे दिया. रश्मि वर्मा 2014 से पहले जेडीयू की नेत्री हुआ करती थीं. 2014 में नरकटियागंज सीट पर उपचुनाव हुआ. बीजेपी ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया और टिकट दे दिया. रश्मि वर्मा उपचुनाव जीत कर विधायक बन गयीं.
लेकिन 2015 के चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया. लिहाजा रश्मि वर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में कूद पड़ीं. रश्मि वर्मा को 39 हजार से ज्यादा वोट आये और बीजेपी की उम्मीदवार रेणु देवी चुनाव हार गयीं. 2015 में इस सीट से रश्मि वर्मा के जेठ विनय वर्मा चुनाव जीते थे. निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण उन्हें बीजेपी ने 2015 में ही पार्टी से निकाल दिया गया था. लेकिन 2020 के चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने उन्हें फिर से पार्टी में शामिल कराया और टिकट दे दिया.
चुनावी दफ्तर में मिला था टाइम बम
2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान नरकटियागंज की निर्दलीय प्रत्याशी रश्मि वर्मा के चुनावी कार्यालय में टाइम बम और धमकी भरा पत्र मिला था. रश्मि वर्मा ने कहा था कि बीजेपी उन्हें जान से मारने की साजिश रच रही है. पुलिस जांच में मामला झूठा पाया गया. चर्चा हुई कि रश्मि वर्मा ने खुद ये सब करवाया था.