ब्रेकिंग न्यूज़

मुंगेर में चुनाव से पहले 1.72 किलो चांदी जब्त, फ्लाइंग स्क्वॉड टीम की बड़ी कार्रवाई मोतिहारी में चिकन पार्टी के बहाने युवक की हत्या, नेपाल से दो आरोपी गिरफ्तार मुंगेर में चुनाव से पहले अवैध मिनी गन फैक्ट्री का भंडाफोड़, 15 निर्मित और 8 अर्धनिर्मित पिस्टल के साथ दो गिरफ्तार जमुई में हाई-वोल्टेज ड्रामा: 80 दिन से फरार पति प्रेमिका संग घर लौटा, पहली पत्नी ने थाने में दर्ज करायी शिकायत BIHAR NEWS : रुपए के लेन-देन में महिला के सिर में मारी गोली, शव को सड़क किनारे खेत में फेंका BIHAR NEWS : सुपौल में नदी में नहाते समय किशोरी की दर्दनाक मौत, मातम का माहौल Bihar Assembly Elections : मांझी का सीट हुआ लॉक,फाइनल कर वापस लौट रहे पटना ;जल्द जारी होगा कैंडिडेट का नाम Bihar Politics OTT Series: 'बिहार से हैं क्रोमोसोम में राजनीति हैं ...', जानिए बिहार की पॉलिटिक्स को समझने के लिए क्यों देखना चाहिए यह सीरीज; क्या है खास BIHAR ELECTION : 20 रुपए में एक रसगुल्ला तो पुड़ी-सब्जी के लिए 30 रुपए हुआ तय; चुनाव आयोग ने तय कर रखा है प्रत्याशियों के खर्च की दरें Diwali 2025: दूर कर लें कंफ्यूजन! 20 या 21 अक्टूबर कब है दीपावली? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा का सही समय

नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ चैती छठ का महापर्व, व्रती 36 घंटे तक रखेंगे कठिन निर्जला व्रत

नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ चैती छठ का महापर्व, व्रती 36 घंटे तक रखेंगे कठिन निर्जला व्रत

12-Apr-2024 07:07 AM

By First Bihar

PATNA : सनातन धर्म में चैती छठ का विशेष महत्व है। साल में दो बार छठ व्रत मनाया जाता है। पहला चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक में। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के को छठ मनाने की परंपरा है।


इस व्रत का आरंभ नहाय-खाय के साथ होता है और लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं चैती छठ का महत्व और तिथियां...


पंचांग के अनुसार, चैती छठ का पर्व 12 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच मनाया जा रहा। जिसकी शुरुआत शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ हो गई है। उसके बाद 13 अप्रैल (शनिवार) को खरना और फिर 14 अप्रैल (रविवार) को संध्या अर्घ्य और इसके अगले दिन 15 (सोमवार) को प्रातः: अर्घ्य और पारण के साथ यह महापर्व सम्पन्न हो जाएगा।


चैत्र मास की चतुर्थी तिथि से चैती छठ का आरंभ हो जाता है जिसे नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन महिलाएं स्नान आदि करने के बाद भगवान सूर्य की पूजा करती हैं। इस दिन शुद्ध शाकाहारी भोजन किया जाता है।


चैती छठ के दूसरा दिन को खरना कहते हैं। इस दिन से व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ करते हैं। इसके साथ ही भगवान सूर्य को भोग लगाने के लिए महाप्रसाद तैयार किया जाता है। इस पर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। अर्घ्य देने के लिए जल और दूध दोनों का इस्तेमाल प्रयोग किया जाता हैं।


वहीं, छठ पर्व के अंतिम दिन उदीयमान सूर्य  को अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही छठ मैया से लोग अपने संतान की रक्षा और घर-परिवार की सुख-शांति की कामना की जाती है। छत व्रती के पारण के साथ यह कठिन व्रत संपन्न हो जाता है।