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06-Aug-2021 12:49 PM
DELHI : ओलंपिक में 41 साल बाद जीत हासिल करने वाली भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन से उत्साहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा फैसला किया है. मोदी सरकार ने अब खेल रत्न पुरस्कार से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी का नाम अलग कर दिया है. भारत में खेल रत्न पुरस्कार अब मेजर ध्यानचंद के नाम से जाना जाएगा. सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार करने का फैसला किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी है. पीएम मोदी ने कहा है कि लोगों की मांग पर हमने खेल रत्न पुरस्कार के नाम में बदलाव किया है. देश वासियों की तरफ से लगातार यह अपील आ रही थी कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए और इसी को देखते हुए हमने यह फैसला किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं. विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है, जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है. देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए. लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है. जय हिंद!
ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं। विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है, जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
जय हिंद!
मोदी सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार से राजीव गांधी का नाम अलग कर भले ही मेजर ध्यानचंद का नाम जोड़ने का फैसला किया हो लेकिन इस मसले पर आगे आने वाले वक्त में सियासत शुरू होनी तय है. कांग्रेस को यह बात नागवार गुजरेगी. बीजेपी के विपक्षी दल इस मसले पर सवाल खड़ा कर सकते हैं. हालांकि सरकार का यह तर्क होगा कि मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार इसलिए रखा गया क्योंकि देशवासियों की मांग भी थी और खिलाड़ियों के सम्मान पुरस्कार में खिलाड़ियों के नाम का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए.