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07-Feb-2024 07:22 PM
By First Bihar
PATNA: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील खाकर 184 बच्चों के बीमार हो जाने के मामले पर गंभीर रूख अपनाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस मामले का संज्ञान लिया है. बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बांसगांव परसौनी में एक सरकारी मध्य विद्यालय के 184 छात्र 5 फरवरी 2024 को मिड डे मील खाने के बाद बीमार पड़ गए थे.
इस सरकारी स्कूल में छात्रों ने मिड डे मील के खाने से केरोसिन तेल की गंध आने की शिकायत की थी. खाना खाने के बाद उन्हें पेट दर्द और उल्टी होने लगी. जिसके बाद उन्हें अस्पतालों में ले जाया गया था.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि अगर समाचार रिपोर्ट में छपी खबर सही है तो ये छात्रों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है. ये घटना स्कूल अधिकारियों के गंभीर चूक को उजागर कर रही है. जिसके कारण खराब भोजन तैयार किया गया और बच्चों को परोसा गया.
मानवाधिकार आयोग ने बिहार सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने कहा है कि राज्य सरकार अपनी रिपोर्ट में ये भी बताये कि कैसे वह सुनिश्चिक करेगी कि भविष्य में फिर किसी स्कूल में ऐसी घटना ना हो. आयोग ने कहा है कि वह जानना चाहता है कि क्या स्कूलों में सरकारी दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है. यदि नहीं किया जा रहा है तो लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है.
राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए आयोग ने कहा है कि मध्याह्न भोजन तैयार करने और परोसने के लिए स्कूल की रसोई में खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता के बारे में भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. बच्चों को भोजन परोसने से पहले शिक्षक द्वारा भोजन को चखना और उसका रिकार्ड रखना भी अनिवार्य है. आयोग ने पूछा है कि क्या बिहार के स्कूलों में इसका पालन किया जा रहा है.
बता दें कि सरकारी स्कूल में मिड डे मील का खाना खाने के बाद बीमार पड़े 184 बच्चों को 6 फरवरी को बेतिया सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अलावा बगहा अस्पताल ले जाया गया था. इस मामले में स्कूल के हेडमास्टर को हिरासत में लेकर पूछताछ की गयी है. खाने के सैंपल को पुलिस ने जांच के लिए भेजा है. आऱोप है कि भोजन से केरोसिन तेल की गंध आने के बाद बच्चों ने इसे खाने से इंकार कर दिया था लेकिन हेडमास्टर औऱ दूसरे शिक्षकों ने उन्हें जबरदस्ती खिलाया था.