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11-Apr-2024 07:55 PM
By First Bihar
PATNA: इस बार के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने कुछ अलग सोशल इंजीनियरिंग की है. सोशल इंजीनियरिंग का ये मॉडल लालू प्रसाद यादव औऱ तेजस्वी यादव ने तैयार किया है.अब इसका नतीजा देखिये. महागठबंधन ने लोकसभा चुनाव में ब्राह्मणों को साफ कर दिया है. वहीं, बाबू साहेब को फुल से क्वार्टर कर दिया है.
बता दें कि लालू और तेजस्वी ने बिहार चुनाव में अलग किस्म की सोशल इंजीनियरिंग की है. इसमें सबसे ज्यादा फोकस कुशवाहा जाति पर किया गया है. नतीजतन, बिहार के 40 सीटों में महागठबंधन ने 6 कुशवाहा उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन, इसका असर उसके आधार वोट पर नहीं पड़ा है. राजद ने अपने 22 उम्मीदवारों में 8 यादव जाति के प्रत्याशी दिये हैं. लेकिन कई दूसरी जातियों को साफ कर दिया गया है.
राजपूतों को सबसे बड़ा झटका
राजद औऱ महागठबंधन ने इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका राजपूत जाति के उम्मीदवारों को दिया है. महागठबंधन ने सिर्फ एक राजपूत उम्मीदवार को खड़ा किया है. बक्सर सीट से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा राजपूत जाति का कोई कैंडिडेट खड़ा नहीं किया गया है. वैसे कांग्रेस के 6 उम्मीदवारों के नाम अभी सामने नहीं आये हैं लेकिन उनमें किसी राजपूत उम्मीदवार को जगह मिलने की संभावना नहीं के बराबर है.
क्वार्टर हो गये राजपूत
2019 से 2024 के लोकसभा चुनाव की तुलना करने पर आंकड़ा ये बताता है कि महागठबंधन में राजपूतों को क्वार्टर कर दिया गया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से 4 राजपूत जाति के उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इस बार सिर्फ एक उम्मीदवार उतारा गया है. राजद ने तीन राजपूत उम्मीदवार खड़े किये थे. आरजेडी की ओर से बक्सर, वैशाली और महाराजगंज सीट से राजपूत उम्मीदवार खड़ा किया गया था.
लेकिन 2024 में स्थिति पूरी तरह बदल दी गयी है. राजद के लिए वैशाली सीट परंपरागत तौर पर राजपूतों के लिए रिजर्व थी. 1996 में राजद के गठन के बाद से ही वैशाली सीट से राजपूत उम्मीदवार खड़े किये जाते रहे हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने ही 7 दफे राजद के टिकट पर वैशाली से लोकसभा चुनाव लड़ा. लेकिन इस दफे राजद ने वैशाली से राजपूत उम्मीदवार से तौबा कर लिया है.
वैशाली संसदीय सीट पर राजद ने राजपूत के बजाय भूमिहार जाति से आने वाले मुन्ना शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है. मुन्ना शुक्ला राजद के सदस्य भी नहीं थे. लेकिन राजद ने उन्हें घर से बुलाकर टिकट दिया है. राजद को उम्मीद है कि मुन्ना शुक्ला के सहारे वह वैशाली में भूमिहारों का वोट बटोर लेगा. भूमिहारों के साथ यादव, मुसलमान को समीकरण अलग रिजल्ट दे सकता है.
प्रभुनाथ सिंह की राजनीतिक विरासत खत्म
वैशाली की तरह की महाराजगंज संसदीय सीट भी राजद की ओर से राजपूतों के लिए रिजर्व थी. वहां से बाहुबली राजनेता प्रभुनाथ सिंह उम्मीदवार होते थे. उऩके सजायाफ्ता होने के बाद राजद ने उनके बेटे रणधीर कुमार सिंह को मैदान में उतारा था. राजद ने इस दफे इस सीट को ही कांग्रेस के हवाले कर दिया है. झारखंड की जेल में सजा काट रहे प्रभुनाथ सिंह ने अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था. लेकिन लालू-तेजस्वी उस पर राजी नहीं हुए.
2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की ओऱ से चौथे राजपूत उम्मीदवार थे उदय कुमार सिंह उर्फ पप्पू सिंह. पप्पू सिंह को पूर्णिया सीट पर कांग्रेस की ओर से टिकट दिया गया था. इस दफे राजद ने कांग्रेस के लिए पूर्णिया सीट ही नहीं छोड़ी. पूर्णिया से राजद ने जेडीयू की विधायक रही बीमा भारती को मैदान में उतार दिया है.
ब्राह्मण पूरी तरह साफ
महागठबंधन के टिकट वितरण में एक और दिलचस्प बात है. सर्वणों में सबसे ज्यादा संख्या वाले ब्राह्मणों के हाथ एक भी सीट नहीं आयी है. बिहार में पिछले साल आयी जातीय जनगणना की रिपोर्ट बताती है कि बिहार में ब्राह्मणों की आबादी 3.66 पर्सेंट है. जातीय सर्वे के अनुसार राज्य में भूमिहारों की संख्या 2.86 फीसदी है, जबकि राजपूतों की आबादी 3.45 पर्सेंट है.
अब महागठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग ये है कि सवर्णों में सबसे ज्यादा आबादी वाले ब्राह्मण साफ हो गये हैं. राजपूत चार से एक पर चले आये हैं. यानि वे फुल से क्वार्टर हो गये हैं. भूमिहारों का हिस्सा तीन गुणा हो गया है. पिछले चुनाव में महागठबंधन की ओर से सिर्फ एक भूमिहार को टिकट दिया गया था. इस दफे दो भूमिहार उम्मीदवारों को टिकट दिया जा चुका है. वैशाली से मुन्ना शुक्ला राजद के उम्मीदवार हैं तो भागलपुर से अजीत शर्मा कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. महाराजगंज से भी भूमिहार उम्मीदवार उतारे जाने की चर्चा है. चर्चा ये है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश सिंह वहां से चुनाव लड़ सकते हैं.