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21-Jun-2021 11:31 AM
PATNA : लोक जनशक्ति पार्टी में सियासी घमासान जारी है। एक तरफ एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान का खेमा है तो वहीं दूसरी तरफ चाचा पशुपति कुमार पारस ने अपनी गुटबंदी मजबूत कर ली है। चिराग से अलग जाने का फैसला जब चाचा पारस ने लिया तो इसकी सबसे बड़ी वजह चिराग पासवान के करीबी और उनके सियासी रणनीतिकार सौरभ पांडेय को ठहराया गया।
चिराग पासवान से अलग पारस खेमे में जाने वाले कई नेताओं ने आरोप लगाया कि सौरभ पांडेय ने चिराग का बेड़ागर्क कर दिया। सौरभ पांडेय जिस तरह पार्टी को डिक्टेट कर रहे थे। उसकी वजह से एलजेपी में आक्रोश फैला। जिस वक्त एलजेपी संसदीय दल में बगावत हुई। उस वक्त सौरभ पांडेय दिल्ली में मौजूद नहीं थे। लेकिन अगले ही दिन वह दिल्ली पहुंचे और तब से लगातार चिराग पासवान के साथ हैं।
चाचा पशुपति पारस समेत उनके खेमे के जितने नेताओं ने चिराग पासवान पर निशाना साधा है उनका हमला कहीं न कहीं सौरभ पांडेय के ऊपर भी रहा है। लेकिन अब तक सौरभ पांडेय अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर कुछ बोलते नजर नहीं आए हैं। अब इस पूरे घटनाक्रम के बीच सौरभ पांडेय ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। सौरभ पांडेय पहली बार इस प्रकरण के बाद ट्विटर पर एक्टिव हुए हैं और उन्होंने स्व. रामविलास पासवान की एक पुरानी चिट्ठी को साझा किया है।
सौरभ पांडेय ने रामविलास पासवान की तरफ से उन्हें लिखा गया एक खत साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा है। जिसने मेहनत देखी है अब वह हैं नहीं, जिसने पार्टी को आगे बढ़ाने की जिद देखी है अब वह हैं नहीं.. आइए हम सब चिराग के नेतृत्व में चलें। दरअसल सौरभ पांडे ने रामविलास पासवान का जो पुराना पत्र साझा किया है वह 1 जनवरी 2020 को उनके लिए लिखा गया था। इस पत्र में रामविलास पासवान ने चिराग की राजनीतिक उपलब्धि के लिए सौरभ की जमकर सराहना की थी।
रामविलास पासवान ने इस पत्र में लिखा है कि तुम लोगों के सहयोग से चिराग सांसद, राष्ट्रीय अध्यक्ष और सदन में नेता है। आज देश के बड़े लोगों में चिराग का स्थान है। साल 2013 में चिराग राजनीति में आया और कम समय में शिखर पर पहुंच गया। रामविलास पासवान के खत में लिखा गया है कि तुम दोनों ने पिछले कुछ सालों में काफी मेहनत की है। यह उसी का परिणाम है लेकिन सौरव मंजिल अभी दूर है जो लक्ष्य है पहला बिहार और फिर देश।
दरअसल ऐसे पुराने खत के जरिए सौरभ पांडेय अपने खिलाफ कहीं जा रही बातों का जवाब देना चाहते हैं। सौरभ पांडेय ने बता दिया है कि लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान उनकी क्षमता को जानते थे। और यही वजह है कि उन्होंने अपने पत्र में इसका जिक्र भी किया था। अब रामविलास पासवान के इस पुराने खत के जरिए सौरव ना केवल अपने विरोधियों को जवाब दे रहे हैं बल्कि अभी बता रहे हैं कि पार्टी का भविष्य केवल चिराग के साथ हैं।