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05-Mar-2020 03:01 PM
PATNA : आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने भले ही अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर रखा हो लेकिन विश्वास की कसौटी पर लालू की उत्तराधिकारी आज भी राबड़ी देवी हैं. आरजेडी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के ऐलान के साथ यह साफ हो गया है कि लालू को अभी भी सबसे ज्यादा भरोसा राबड़ी देवी पर है. चुनावी साल आरजेडी के संगठन में राबड़ी देवी को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.
लालू यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी के साथ-साथ राबड़ी देवी को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है. राबड़ी देवी के साथ कुल तीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए हैं. चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू यादव फिलहाल रिम्स में इलाज करा रहे हैं. पार्टी के अंदर सक्रिय नहीं होने की वजह से लालू धीरे-धीरे अपनी पकड़ होते जा रहे हैं. तेजस्वी यादव ने जब बेरोजगारी हटाओ यात्रा की शुरुआत की तो बैनर पोस्टर से भी लालू और राबड़ी की तस्वीरें गायब दिखी थी. ऐसे नहीं संभव है कि लालू यादव राबड़ी देवी के अलावा किसी दूसरे पर उत्तराधिकार के मामले में भरोसा ना करें. लालू यादव पहली बार जब चारा घोटाला मामले में जेल गए थे, तब उन्होंने अप्रत्याशित फैसला लेते हुए राबड़ी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया था. उस वक्त आरजेडी में नेताओं की लंबी फेहरिस्त थी, बावजूद इसके लालू किसी पर भरोसा नहीं कर पाए थे. अब तेजस्वी यादव पार्टी को चला रहे हैं, बावजूद इसके राबड़ी देवी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.
बिहार में इसबार चुनावी साल है. ऐसे में राबड़ी देवी अगर संगठन में अहम पद पर रहे तो वह कोई भी फैसला लेने को अधिकृत की जा सकती है. संभव है कि चुनाव के बाद किसी भी आपात स्थिति पर फैसला लेने के लिए राबड़ी देवी को लालू ने तैयार रखा है. इसी लिहाज से उनको संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. लालू की अनुपस्थिति में इसबार चुनाव में टिकट बांटने की जिम्मेदारी भी राबड़ी देवी के साथ में हो सकती है.