SAHARSA: 50 हजार का इनामी कुख्यात अपराधी प्रिंस गिरफ्तार, STF और जिला पुलिस की बड़ी कार्रवाई बेगूसराय में अपराधी बेलगाम: घर में घुसकर 2 साल की बच्ची की गोली मारकर हत्या ऑपरेशन सिंदूर पर बोले प्रशांत किशोर, कहा..भारतीय सेना को मेरा सलाम..विशेषज्ञों को अपना काम करने दीजिए ARRAH: जिले के प्रभारी मंत्री केदार प्रसाद से मिले अजय सिंह, भोजपुर के विकास को लेकर हुई चर्चा BIHAR: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को लेकर जमुई में भव्य कार्यक्रम, विधायक श्रेयसी सिंह ने कहा..पीएम मोदी के वादे को सेना ने किया पूरा पटना में बिना नंबर की थार से विदेशी हथियार बरामद, अपराधियों की साजिश नाकाम Bihar News: बिहार के सरकारी तालाबों को मिलेगी विशिष्ट पहचान, जलनिकायों को मिलेगा नया आयाम Bihar News: बिहार के सरकारी तालाबों को मिलेगी विशिष्ट पहचान, जलनिकायों को मिलेगा नया आयाम New Bypass in Bihar: बिहार में यहां बनने जा रहा है नया बाइपास, मालामाल होंगे इन जिलों के जमीन मालिक! New Bypass in Bihar: बिहार में यहां बनने जा रहा है नया बाइपास, मालामाल होंगे इन जिलों के जमीन मालिक!
12-Jul-2020 03:53 PM
PATNA: कोसी पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है. अगर ऐसा हुआ तो फिर से बिहार में बाढ़ तबाही मचा सकता है. इसको लेकर नेपाली मीडिया बड़ा दावा किया है. कांतिपुर अखबार ने दावा कि सप्तकोशी के पहाड़ी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से सुनसरी और सप्तरी में कोसी के पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है.
बिहार में खतरा
नेपाल के सुनपरी और सप्तरी जिले बिहार सीमा से सटे हुए हैं. अगर ऐसे में बांध टूटता तो इसका खामियाजा बिहार को उठाना पड़ेगा. नेपाली मीडिया ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह बांध मरम्मती में लापरवाही बरत रहा है. कांतिपुर ने कोसी विक्टिम्स सोसाइटी के अध्यक्ष देव नारायण यादव का बयान भी छापा है. यादव ने कहा है कि बांध टूटने का जोखिम बढ़ गया है. क्योंकि बांध के उचित रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया. इसको लेकर हमने बार-बार कहा है कि कोसी को रेत के तटबंधों के निर्माण से नहीं बचाया जा सकता है. कोसी की रेत को खोदकर पश्चिमी तटबंध का निर्माण किया गया था.
मरम्मती का काम भारत के जिम्मा
सप्तरी के हनुमान नगर कांकालिनी नगर पालिका -14 डालुवा में पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा बताया जा रहा है. इस जगह पर बांध कमजोर हो गया है. नेपाल और भारत में हुए कोसी समझौते के अनुसार तटबंध की सुरक्षा और बचाव भारत को करना है. कांतिपुर ने लिखा है कि अगस्त 1963 में दल्लवा में सप्तकोशी बांध के फटने के बाद नेपाल सरकार के नेतृत्व में भारत ने लगभग 5 किमी दूर एक और तटबंध बनाया. लेकिन भारत के उदासीनता के कारण 57 साल के बाद उसी जगह पर तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है. नदी का प्रवाह बदलने से पश्चिमी तटबंध पर दबाव बढ़ गया है. बता दें कि 2008 में कुसहा बांध टूट गया था. जिसके बाद बिहार के 18 जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई थी. बाढ़ से करीब 50 लाख लोग प्रभावित हुए और 258 लोगों की जान गई थी.