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27-Oct-2019 01:45 PM
PATNA: 60 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले किशनगंज विधानसभा सीट से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार की जीत के बाद जीतन राम मांझी ने उसमें दलित एंगल जोड़ दिया है. जीतन राम मांझी बोल रहे हैं कि किशनगंज में ओवैसी की पार्टी इसलिए जीत गयी क्योंकि मुसलमानों के साथ साथ दलितों ने भी उसे वोट दे दिया. पहले NDA से ठुकराये गये मांझी अब महागठबंधन में भी नकारे जा चुके हैं. लिहाजा उन्हें आगे की सियासत के लिए ओवैसी की पार्टी में संभावनायें नजर आ रही है.
ओवैसी की जीत से मांझी गदगद
पूर्व सीएम जीतन राम मांझी किशनगंज में ओवैसी की पार्टी की जीत से गदगद हैं. उन्होंने ओवैसी को जीत की बधाई भेजी है. दिल्ली में मौजूद मांझी बोल रहे हैं कि किशनगंज की जीत सिर्फ मुसलमानों की जीत नहीं है बल्कि ये दलित मुस्लिम गठजोड़ की जीत है. AIMIM की जीत के बाद पूरे राज्य में नया समीकरण बनेगा और ये समीकरण दूसरी पार्टियों के होश उड़ा देगा. मांझी ने कहा कि ओवैसी को खतरा बताने वाले लोग झूठे हैं और उनसे ही देश को ज्यादा खतरा है.
ओवैसी से मांझी को उम्मीद
जीतन राम मांझी NDA से नकारे जा चुके हैं. महागठबंधन में भी कोई उन्हें पूछ नहीं रहा है. लालू यादव से बार बार मिलने का समय मांगा लेकिन लालू ने नोटिस नहीं लिया. नाराज होकर मांझी अकेले नाथनगर से विधानसभा उपचुनाव लड़ गये लेकिन वहां इज्जत बचाने लायक भी वोट नहीं मिला. जीतन राम मांझी आरोप लगा रहे हैं कि राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के कारण उनकी पार्टी की ये हालत हुई. उनके मुताबिक रघुवंश सिंह ने चुनाव से एक दिन पहले नाथनगर जाकर ये अफवाह फैला दिया कि हम का उम्मीदवार राजद के पक्ष में बैठ गया है. मांझी की गरीब पार्टी उनके दुष्प्रचार का जवाब नहीं दे पायी. लिहाजा वोट नहीं पड़े. मांझी खुद स्वीकार रहे हैं कि महागठबंधन में उनकी कोई सुन नहीं रहा है. जाहिर है एनडीए के बाद महागठबंधन के दरवाजे भी लगभग बंद हो चुके हैं. ऐसे में मांझी को ओवैसी से उम्मीद जगी है. उन्हें लग रहा है कि ओवैसी की पार्टी के साथ तालमेल हो जाये तो इज्जत बचाने लायक सियासत की जा सकती है.
लगातार पलटी मार रहे मांझी
पांच दिन पहले की बात है जब पटना में मुसहर सम्मेलन में जीतन राम मांझी नीतीश कुमार की तारीफों के पुल बांध रहे थे. वे बता रहे थे कि नीतीश ने दलितों के लिए कितना कुछ किया. उसी सभा में मांझी मोदी के सर्जिकल स्ट्राइक की भी तारीफ कर रहे थे. शायद उन्हें उम्मीद थी कि एनडीए उनकी बात का नोटिस लेगा. लेकिन किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. लिहाजा उप चुनाव के परिणाम आये तो मांझी एक बार फिर पलटी मार गये. अब वे ओवैसी की तारीफ करने में लग गये हैं.