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ज्योति को पीएम से बात करने का नहीं मिला मौका, कोरोना काल में सिस्टम को मारा था तमाचा

ज्योति को पीएम से बात करने का नहीं मिला मौका, कोरोना काल में सिस्टम को मारा था तमाचा

25-Jan-2021 12:53 PM

PATNA : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं से संवाद किया. कला संस्कृति, इनोवेशन, शिक्षा, समाज सेवा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए इस साल 32 बच्चों को चुना गया है. जिनसे आज पीएम ने संवाद किया. 

इस दौरान कोरोना काल में अपने बीमार पिता को लेकर सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करने वाली दरभंगा की ज्योति को पीएम से बात करने का मौका नहीं मिला. समय की कमी के कराण पीएम मोदी कुछ ही बच्चों से बात कर पाए जिससे दूसरे बच्चों को निराशा हुआ. 

दरअसल पीएम मोदी आज प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के सभी विजेताओं से बात करने वाले थे.  प्रधानमंत्री के साथ वर्चुअल संवाद के लिए दरभंगा जिला प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी कर ली थी और ज्योति भी पीएम से संवाद करने को लेकर बेहद खुश थी लेकिन समय की कमी के कारण पीएम कुछ ही बच्चों से संवाद कर पाए. 

बता दें कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार उन बच्चों को दिया जाता है जो छोटी सी उम्र में किसी भी क्षेत्र में अपना परचम फहराते हैं. इस बार कला संस्कृति के क्षेत्र में 7 बच्चों, इनोवेशन के क्षेत्र में 9 बच्चों, शिक्षा के क्षेत्र में 5 बच्चों, खेल की कैटेगरी में 7 बच्चों और बहादुरी के लिए 3 बच्चों को पुरस्कार दिया जाएगा. लेकिन बिहार की रहने वाली ज्योति को साहस के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है. ज्योति एक मिसालल तो है लेकिन इसके साथ ही उसने सिस्टम को तमाचा मारा था. कोरोना काल में ज्योति अपने बीमार पिता को गुरुग्राम से दरभंगा साइकिल से लेकर आई थी. इसके बाद वह एकाएक सुर्खियों में आई और अब देशभर में उन्हें साइकिल गर्ल के तौर पर जाना जाता है. इस बहादुरी के लिए ज्योति को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2021 से नवाजा जाएगा. 

आज बच्चों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि  "प्यारे बच्चों, आपने जो काम किया है, आपको जो पुरस्कार मिला है, वो इसलिए भी खास है कि आपने ये सब कोरोना काल में किया है. इतनी कम उम्र में आपके द्वारा किए काम हैरान करने वाले हैं. कोरोना ने निश्चित तौर पर सभी को प्रभावित किया है. लेकिन एक बात मैंने नोट की है कि देश के बच्चे, देश की भावी पीढ़ी ने इस महामारी से मुकाबला करने में बहुत भूमिका निभाई है. साबुन से 20 सेकेंड हाथ धुलना हो ये बात बच्चों ने सबसे पहले पकड़ी.आपको इस सफलता की खुशी में खो नहीं जाना है. जब आप यहां से जाएंगे तो लोग आपकी खूब तारीख करेंगे. लेकिन आपको ध्यान रखना है कि ये तारीफ आपके कर्म के कारण है. तारीफ में भटककर यदि आप रुक गए तो ये तारीफ आपके लिए बाधा बन सकती है.'