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जेडीयू में शह-मात का खेल: नीतीश ने फिर RCP सिंह को फंसाया, कहा- यूपी में बीजेपी से सीट दिलवाइये, बातचीत के लिए अधिकृत किये गये

जेडीयू में शह-मात का खेल: नीतीश ने फिर RCP सिंह को फंसाया, कहा- यूपी में बीजेपी से सीट दिलवाइये, बातचीत के लिए अधिकृत किये गये

28-Sep-2021 05:20 PM

PATNA : नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के भीतर दिलचस्प खेल चल रहा है. पार्टी से किनारे किये जा रहे केंद्रीय मंत्री आऱसीपी सिंह को नयी जिम्मेवारी दी गयी है. उन्हें कहा गया है कि वे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से जेडीयू को सीट दिलवायें. उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर मंगलवार को दिल्ली में जेडीयू की बैठक हुई, इस बैठक में आरसीपी सिंह को बीजेपी से बातचीत करने के लिए अधिकृत कर दिया गया. ये दिलचस्प बात है. जेडीयू का हर नेता ये जानता है कि बीजेपी उनकी पार्टी के लिए एक सीट नहीं छोड़ने जा रही है, फिर भी आरसीपी सिंह को फंसाने के लिए नयी चाल चल दी गयी है.


दिल्ली में जेडीयू की बैठक 
उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर दिल्ली में आज जेडीयू की बैठक हुई. राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, प्रधान महासचिव केसी त्यागी के साथ साथ आरसीपी सिंह भी बैठक में मौजूद थे. पार्टी सूत्र बताते हैं कि बैठक में क्या बातचीत होगी ये पहले से ही तय था. वहां आरसीपी सिंह को ये कह दिया गया कि उनके बीजेपी के आला नेताओं से अच्छे ताल्लुकात है. लिहाजा वे ही भाजपा से बात करें और जेडीयू को कम से कम 25 सीटें दिलवाये. सूत्र बता रहे हैं कि आरसीपी सिंह को ये भी कहा गया कि वे बीजेपी को बतायें कि जेडीयू की दावेदारी उत्तर प्रदेश की कम से कम 50 विधानसभा सीटों पर बनती है पर गठबंधन में वह 25 सीट तक मानने को तैयार है.


आरसीपी सिंह को फंसाने की नयी चाल
ये जगजाहिर हो चुका है कि आरसीपी सिंह मोदी सरकार में मंत्री कैसे बन गये.  मंत्री बनने के बाद से पार्टी के भीतर आरसीपी सिंह के पर कतरे जा रहे हैं. पटना का जेडीयू कार्यालय आरसीपी सिंह मुक्त करा लिया गया. कई सालों से जेडीयू दफ्तर का कामकाज देखने वाले अनिल कुमार और चंदन कुमार जैसे आऱसीपी सिंह समर्थकों को प्रदेश कार्यालय से बाहर कर दिया गया. आरसीपी सिंह के कट्टर समर्थक माने वाले जेडीयू आईटी सेल के प्रमुख अमरदीप कुमार को इस्तीफा देने पर बाध्य कर दिया गया. आज ही जेडीयू के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई उसमें भी आरसीपी सिंह के किसी हार्डकोर समर्थक को जगह नहीं मिली.


लेकिन पार्टी नेतृत्व ने आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए बीजेपी से बातचीत करने को अधिकृत कर दिया. दरअसल केंद्र में मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान कर रहे हैं. पार्टी के फोरम पर भी वे बीजेपी की मनमाफिक बात करते रहे हैं. नीतीश कुमार ने  जातिगत जनगणना को सबसे बडा मुद्दा बनाया तो आरसीपी सिंह ने इस मसले पर बीजेपी जैसी भाषा में बयान दे दिया. 


उत्तर प्रदेश में JDU को एक भी सीट नहीं देगी भाजपा
जेडीयू ने ये जानते हुए  आरसीपी सिंह को उत्तर प्रदेश में चुनावी तालमेल के लिए अधिकृत किया है कि बीजेपी उसे एक भी सीट नहीं देने जा रही है. वैसे हम आपको उत्तर प्रदेश में जेडीयू के पुराने प्रदर्शन की जानकारी दे दें. 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. उस वक्त भी वे बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे थे. उन्होंने तब भी बीजेपी से कुछ सीटें मांगी थी. लेकिन बीजेपी ने नहीं दिया. नतीजतन 2012 में नीतीश कुमार की पार्टी ने उत्तर प्रदेश की वैसी हर सीट पर उम्मीदवार उतार दिये थे जहां कुर्मी जाति के वोटरों की अच्छी तादाद थी. बिहार से मंत्री, विधायक से लेकर जेडीयू के सैकड़ो नेताओं को 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तैनात कर दिया गया था. लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो नीतीश कुमार की पार्टी एक भी सीट पर जमानत बचाने में भी सफल नहीं हुई.


दरअसल नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में कुर्मी वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं. लेकिन वहां कुर्मी जाति के वोटरों की पार्टी अपना दल को माना जाता है. बीजेपी एलान कर चुकी है कि वह अपना दल से तालमेल करेगी. अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल को केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी बनाया जा चुका है. लिहाजा बीजेपी जेडीयू के लिए सीट छोड़ने की बात तो दूर बातचीत करने तक को तैयार नहीं है. 


ऐसे में आरसीपी सिंह को सामने लाया गया है. ये तय है कि आरसीपी सिंह उत्तर प्रदेश में बीजेपी से तालमेल नहीं करा पायेंगे. जेडीयू नेतृत्व उसके बाद आऱसीपी सिंह के मत्थे एक औऱ विफलता मढ देगा. वे केंद्र सरकार में मंत्री और नरेंद्र मोदी-अमित शाह के करीबी रहते हुए भी कुछ नहीं कर पाये. 


उधर जेडीयू ने ये भी एलान कर दिया है कि वह उत्तर प्रदेश में 200 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है. इसके लिए उम्मीदवार तलाशे जा रहे हैं. पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी को उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए रणनीति बनाने का काम दिया गया है. लेकिन तय दिख रही करारी हार का ठीकरा आरसीपी सिंह के माथे फोडने की तैयारी भी साथ साथ कर ली गयी है.