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10-Dec-2019 07:15 AM
DELHI: नरेंद्र मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है. ढेर सारे लोग ये समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिरकार ये बिल है क्या. इससे किनका फायदा होगा और किनका नुकसान होगा. हम आपको आसान सवाल जवाब के जरिये इस विधेयक की पूरी जानकारी दे रहे हैं.
सवाल- क्या है नरेंद्र मोदी सरकार का नागरिकता संशोधन विधेयक-2019
जवाब-लोकसभा से पास हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई धर्म को मानने वाले अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दिलाने का कानून है. भारत में शरणार्थी बन कर ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए कानून में संशोधन किया जा रहा है. ऐसे तमाम लोगों ने अगर भारत में 6 साल गुजारे हैं तो उन्हें देश की नागरिकता दी जायेगी.
सवाल-इसके पहले का नागरिकता कानून क्या है
जवाब-इससे पहले देश में 1955 में नागरिकता कानून बना था. इसके तरह भारत की नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल इस देश में गुजारना अनिवार्य है.
सवाल-नरेंद्र मोदी सरकार क्या संशोधन करने जा रही है
जवाब-नरेंद्र मोदी सरकार के नये विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को .नागरिकता देने का समय 11 साल से घटाकर 6 साल किया गया है. मुस्लिमों और दूसरे देशों के नागरिकों के लिए यह अवधि 11 साल ही रहेगी.
सवाल- क्या इस कानून के बनने के बाद भारत में अवैध तरीके से दाखिल हुए लोगों को भी नागरिकता मिल जायेगा
जवाब-विधेयक में स्पष्ट है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित होकर भारत आये शरणार्थियों को ही नागरिकता मिलेगी. भारत में अवैध तरीके से दाखिल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती है. उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान हैं.
सवाल- कांग्रेस और दूसरी पार्टियां इसका विरोध क्यों कर रही हैं
जवाब- कांग्रेस, TMC और ओवैसी की पार्टी कह रही है कि ये बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है क्योंकि पड़ोसी देशों से आए 6 धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने में ढील दी जा रही है लेकिन मुस्लिमों को इसमें शामिल नहीं किया गया है. उनका दूसरा आरोप ये है कि पूर्वोत्तर के राज्यों को आशंका है कि कि यदि नागरिकता बिल से बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता मिल जायेगी. जिससे वहां के मूल निवासियों के अधिकार खत्म होंगे. इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत पर संकट आ जाएगा.
इस बिल के पक्ष में केंद्र सरकार के पास क्या तर्क है
जवाब- नरेंद्र मोदी सरकार का कहना है कि पड़ोसी देशों में बड़ी संख्या में गैर-मुस्लिमों को धर्म के आधार पर उत्पीड़न झेलना पड़ा है. प्रताड़ित लोगों ने इसी डर से भारत में शरण ले रखी है. वे नर्क सा जीवन जी रहे हैं. वे कहां जायेंगे इसका पता नहीं. उन्हें नागरिकता देकर जरूरी सुविधाएं दी जानी चाहिए.
सवाल-क्या बिना दस्तावेजों के रहने वाले गैर-मुस्लिमों को भी क्या नागरिकता मिल जायेगी.
जवाब- तीन देशों से 6 समुदाय के जिन लोगों ने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया है या उनके दस्तावेजों की वैधता समाप्त हो गई है, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की सुविधा मिलेगी. बिना वैध दस्तावेजों के पाए गए मुस्लिमों को जेल भेजने या देश से बाहर निकाले जाने का प्रावधान रहेगा.