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16-Dec-2024 11:23 PM
यूपी के प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से महाकुंभ का आयोजन होगा, जिसमें करीब 45 करोड़ लोग शामिल होने की संभावना है। इस कुंभ में साधु-संतों के 13 अखाड़े आकर्षण का केंद्र होंगे, और इनमें से एक प्रमुख अखाड़ा है श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा।
अखाड़े की इतिहास और परंपरा
श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा उदासीन पंथ के तीन अखाड़ों में सबसे बड़ा है। इस अखाड़े का मुख्य आश्रम प्रयागराज में स्थित है और इसकी 1600 शाखाएं देशभर में फैली हुई हैं, जिनसे 35-40 लाख श्रद्धालु जुड़े हुए हैं। इस अखाड़े के ईष्ट देव श्री श्री 1008 चंद्र ज़ी भगवान और ब्रह्मा जी के चार पुत्र हैं। यह अखाड़ा सनातन धर्म और सिख पंथ की शिक्षा दोनों को समाहित करता है, और इसकी स्थापना गुरू नानक के बेटे श्रीचंद ने की थी।
स्थापना और विकास
विक्रम संवत 1825 में माघ शुक्ल पंचमी के दिन, बनखण्डी निर्वाणदेव जी ने हरिद्वार कुंभ में उदासीन संप्रदाय की सभी संगतों को एकत्र किया और श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन की स्थापना की। इसके बाद इस अखाड़े की एक शाखा श्री पंचायती छोटा उदासीन अखाड़ा भी बनी।
कुंभ में तैयारी
महाकुंभ के दौरान अखाड़ा सरकार से भूमि लेकर अस्थायी शिविर स्थापित करता है। महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज के अनुसार, प्रयागराज महाकुंभ के लिए अखाड़े ने जमीन मांगी थी, जिसे सरकार ने आवंटित किया है। इस पर शिविर निर्माण का कार्य चल रहा है, जिसमें इष्टदेवता की स्थापना की जाएगी। शिविर तैयार होने के बाद यह एक छावनी जैसा नजर आएगा।
अखाड़े के नियम
महाकुंभ में अखाड़े से जुड़े साधु-संतों और अनुयायियों को कई सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है। इनमें ब्रह्म मुहूर्त में उठना, तीन बार गंगा स्नान करना, घास-फूस पर सोना, एक बार भोजन करना, और प्रभु के ध्यान में मग्न रहना जैसे नियम शामिल हैं।
शिविर की व्यवस्था
कुंभ के दौरान, अखाड़े के साधु-संत शिविर की पूरी व्यवस्था संभालते हैं, जिसमें रहने, खाने-पीने, और स्नान की व्यवस्था होती है। सरकार द्वारा प्रदान की गई सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, सुरक्षा, और शौचालय की व्यवस्था रहती है, लेकिन अखाड़े के साधु-संत इन सुविधाओं का संचालन करते हैं।
इस महाकुंभ में श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा अपने अनुयायियों और साधु-संतों के साथ शामिल होगा, और यह अखाड़ा महाकुंभ में अपनी विशेष भूमिका निभाएगा।