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07-Nov-2020 11:52 AM
MUMBAI : मुंबई पुलिस के चर्चित चेहरों में से एक सचिन वझे का नाम आपने कभी न कभी जरूर सुना होगा. मुंबई के पुलिस अफसर सचिन वझे एक बार फिर से सुर्ख़ियों में छाए हुए हैं. एनकाउंटर स्पेशलिस्ट पुलिस अफसर के नाम से मशहूर सचिन वझे इसबार किसी एनकाउंटर नहीं बल्कि गिरफ़्तारी के लिए चर्चा में हैं. दरअसल रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को इन्होंने गिरफ्तार किया, जिसको लेकर आज देश के कई शहरों में आक्रोश का भी माहौल है. आइये जानते हैं एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे की लाइफ से जुड़ी कुछ महत्वपूर्व बातें...
मुंबई पुलिस में तैनात सचिन वझे ने साल 1990 में बतौर सब इंस्पेक्टर मुंबई पुलिस फोर्स जॉइन की थी. सचिन वझे के नाम 63 एनकाउंटर दर्ज हैं. इन्होंने छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम के कई गुर्गों को मौत के घाट उतारा है. एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा उनके बॉस हुआ करते थे.
करीब 16 साल पहले निलंबित किए गए एक सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे ने इसी साल जून महीने में 16 साल बाद मुंबई पुलिस में फिर से जॉइनिंग की क्योंकि उन्हें तीन कांस्टेबलों के साथ साल2004 में सस्पेंड कर दिया गया था. मुंबई के घाटकोपर बम ब्लास्ट मामले के संदिग्ध आरोपी ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में कथित हत्या के मामले में निलंबित किए गए थे.
सचिन वझे ने 30 नवंबर, 2007 को पुलिस बल से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनके खिलाफ जांच लंबित होने के कारण इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया था. इस बीच 2008 में उन्होंने दशहरा रैली के दौरान शिवसेना की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. वझे प्रसिद्ध एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा के मातहत के तौर पर भी काम कर चुके हैं. उन्होंने करीब 60 एनकाउंटर किए हैं.
सचिन वझे ने 26/11 के मुंबई हमले पर मराठी में ‘जिंकून हरलेली लड़ाई’ नामक किताब भी लिखी थी. इसका हिंदी अर्थ है, जीतकर हारी हुई लड़ाई. उन्होंने साइबर क्राइम और जाली नोटों से भी जुड़े कई बड़े केस डिटेक्ट किए हैं. उन्होंने एक ऐप भी बनाया था. वह एक एनजीओ सपोर्ट से भी जुड़े रहे. इस एनजीओ का काम जरूरतमंद लोगों को कानूनी मदद करना है.
जैसा की हम पहले ही बता चुके हैं कि मुंबई के घाटकोपर बम ब्लास्ट मामले के संदिग्ध आरोपी ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में कथित हत्या के मामले में पुलिस अफसर सचिन वझे निलंबित किए गए थे. बम ब्लास्ट मामले के संदिग्ध आरोपी ख्वाजा यूनुस पेशे से इंजीननियर था और दुबई में काम करता था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने दावा किया था कि यूनुस को पूछताछ के लिए औरंगाबाद ले जाते समय वह फरार हो गया था. लेकिन बांबे हाईकोर्ट के आदेश पर सीआईडी जांच में पता चला कि उसकी पुलिस हिरासत में मौत हुई थी. अभियोजन पक्ष के एक गवाह ने सत्र अदालत को बताया था कि यूनुस को लॉकअप में कपड़े उतारकर बेल्ट से छाती और पेट पर पीटा गया था.