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22-Jun-2022 01:04 PM
PATNA: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश में सरगर्मी बढ़ गई है. एक तरफ विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार घोषित किया है. वहीं दूसरी और एनडीए ने ओडिशा की आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू पर अपना दाव खेला है. ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि विपक्षी एकता के सामने भाजपा कितनी ताकतवर है.
हालांकि, आकड़े पर नजर डाले तो एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा विपक्ष के उम्मीदार यशवंत सिन्हा पर भारी नजर आ रहा है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन के पास केवल 23 फीसदी वोट है, वहीं एनडीए गठबंधन के पास यूपीए से दोगुना ज्यादा लगभग 49 प्रतिशत वोट है.
अगर पूरा विपक्ष एकजुट हो जाए सभी क्षेत्रीय दल एक साथ आ जाएं तो विपक्ष के पास 51% वोट हो जायेगा, जो एनडीए से ज्यादा होगा और ऐसे में भाजपा उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के लिए राष्ट्रपति बनना मुश्किल हो सकता है.
हालांकि, अभी ऐसा लग नहीं रहा कि पूरा विपक्ष एक जुट होने जा रहा है. एनडीए के पास अभी कुल 5,26,420 वोट हैं। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए मुर्मू को 5,39,420 मतों की जरूरत है। साथ ही नवीन पटनायक ने संकेत दे दिए हैं कि उनकी पार्टी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देगी.
ओडिशा से आने के कारण सीधे तौर पर मुर्मू को बीजू जनता दल (बीजद) का समर्थन मिल रहा है। यानी बीजद के 31000 वोट भी उनके पक्ष में पड़ेंगे। इसके अलावा अगर वाईएसआर कांग्रेस भी साथ आती है तो उसके भी 43000 मत उनके साथ होंगे। इसके अलावाआदिवासी के नाम पर राजनीति करने वाली कई पार्टियों के लिए भी मुर्मू का विरोध करना मुश्किल है.
वहीं, द्रौपदीमुर्मू के सामने यशवंत सिन्हा का पलड़ा काफी कमजोर दिखाई दे रहा है। एकमत विपक्ष के उम्मीदवार होने के बाद भी उनके पास फिलहाल 3,70,709 वोट हैं। हालांकि, यह भी देखना दिलचस्प होगा कि आदिवासी के नाम पर राजनीति करने वाली पार्टियों की विपक्षी एकता कितने समय तक कायम रह पाती है।