PATNA: RSS और उससे जुड़े 19 संगठनों की जासूसी का फरमान लीक होने के बाद क्या नीतीश कुमार ने अपनी पुलिस से झूठी सफाई दिलवायी. बिहार पुलिस के ADG ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर जो सफाई दी, उसमें सिर्फ छेद ही छेद नजर आ रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारियों में शामिल ADG (स्पेशल ब्रांच) जे एस गंगवार की सफाई ही सरकार की पोल खोल रही है. बिहार पुलिस से जुड़े हमारे सूत्र बता रहे हैं कि RSS पर नजर रखने का आदेश उपर से आया था. वे बता रहे हैं कि जासूसी का फरमान उसी दिन जारी किया गया था, जिस दिन दिल्ली में बीजेपी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार को एक से ज्यादा मंत्री पद देने से साफ इंकार कर दिया था. उसके बाद नीतीश कुमार की बौखलाहट छिपी हुई बात नहीं है.
समझिये क्या है स्पेशल ब्रांच
बिहार पुलिस का स्पेशल ब्रांच यानि विशेष शाखा को आप सामान्य बोलचाल में खुफिया शाखा भी कह सकते हैं. इसका काम होता है जासूसी करना. सत्ता से जुड़े लोग जानते हैं कि स्पेशल ब्रांच के लिंक डायरेक्ट मुख्यमंत्री से जुड़े होते हैं. हर दिन मुख्यमंत्री के पास स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट जाती है जिसे येलो पेपर कहते हैं. कहा जाता है कि किसी भी मुख्यमंत्री को येलो पेपर की रिपोर्ट पर सबसे ज्यादा यकीन होता है. वैसे स्पेशल ब्रांच बनाने का मकसद था अपराधियों की खुफिया जानकारी इकट्ठा करना. लेकिन बिहार पुलिस का स्पेशल ब्रांच दशकों से राजनेताओं की ही खुफिया रिपोर्ट इकट्ठा कर सत्ता में बैठे लोगों तक पहुंचाता रहा है. पुलिस के लोग जानते हैं कि स्पेशल ब्रांच के हेड यानि ADG का पद इतना अहम होता है कि मुख्यमंत्री की खास पसंद के पुलिस अधिकारी ही उस कुर्सी पर बैठते हैं. इस व्यवस्था में काम करने वाला स्पेशल ब्रांच अब कह रहा है कि एक SP स्तर के अधिकरी ने अपनी मर्जी से RSS की जासूसी करने का आदेश निकाल दिया तो इस दावे का मजाक उड़ना स्वाभाविक है.
ADG की सफाई से ही खुली कलई
RSS और उससे जुड़े 19 संगठनों के तमाम पदाधिकारियों का लेखा जोखा तैयार करने के स्पेशल ब्रांच के निर्देश के बाद ADG की सफाई ही उसकी कलई खोल रही है. ADG कह रहे हैं कि RSS और उससे जुड़े संगठनों के पदधारकों पर खतरा था. लिहाजा उनके पदाधिकारियों की सूची बनवायी गयी. हमने कई पुलिस पदाधिकारियों से बात की. उनका कहना था कि अगर किसी संगठन पर खतरा होता है तो सबसे पहले उसके प्रमुख को सूचना दी जाती है. फिर उसके दफ्तर की यानि RSS और उससे जुडे लोगों पर खतरा था तो पुलिस सुरक्षा देने के बजाय गुपचुप तरीके से उनकी सूची तैयार कर रही थी. RSS के पदाधिकारियों ने बताया कि अगर पुलिस ने सुरक्षा का वास्ता देकर जानकारी मांगी होती तो वे खुद तमाम पदधारकों की सूची उपलब्ध करा देते.
सरकार को कैसे नहीं थी खबर
स्पेशल ब्रांच के ADG ने आज सफाई दी कि RSS और उससे जुड़े संगठनों की जासूसी को लेकर निकाले गये SP के आदेश की खबर ना तो सरकार को थी ना ही आलाधिकारियों को. जबकि SP के पत्र में ही उसकी क़ॉपी ADG, IG और DIG को भेजने का साफ साफ जिक्र है. ADG ने अपनी ही व्यवस्था का मजाक उड़वा दिया है. उनकी सफाई का मतलब यही है कि खुफिया विभाग का SP स्तर का अधिकारी ऐसे अहम निर्देश न सिर्फ अपनी मर्जी से जारी करता है बल्कि उसकी जानकारी आलाधिकारियों को देने की झूठी बात भी लिखता है. स्पेशल ब्रांच में काम कर चुके रिटायर्ड अधिकारियों से हमने बात की, उन्होंने साफ साफ कहा कि ऐसे अहम निर्देश आलाधिकारियों के निर्देश के बगैर जारी ही नहीं किये जा सकते. वहीं, स्पेशल ब्रांच के SP के हर निर्देश की कॉपी आलाधिकारियों को जरूर भेजी जाती है.
खास दिन को ही क्यों जारी हुआ आदेश
RSS की जासूसी को लेकर निर्देश पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि 28 मई का दिन खास था. दरअसल, केंद्र में नयी सरकार बनने वाली थी और 28 मई को ही बीजेपी ने नीतीश कुमार को खरा जवाब दे दिया था. नीतीश तीन मंत्रियों की सूची लेकर बीजेपी के पास गये थे. लेकिन बीजेपी ने साफ साफ कह दिया था कि वो जेडीयू को एक मंत्री पद से ज्यादा नहीं दे सकती. इस वाकये के बाद नीतीश कुमार किस कदर बौखलाये थे ये छिपी हुई बात नहीं है.
बीजेपी में भारी नाराजगी से घबराये नीतीश
बीजेपी से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि बात उपर तक गयी है. केंद्र सरकार में बैठे लोगों को मालूम है कि स्पेशल ब्रांच को ऐसे आदेश कहां से जारी किये जाते हैं. पटना से लेकर दिल्ली तक तो बीजेपी के कई नेताओं ने नीतीश कुमार के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी की नाराजगी की खबर मिलने के बाद नीतीश ने खुद स्पेशल ब्रांच के आलाधिकारियो से बात की थी. उसके बाद ही आनन फानन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर सफाई दी गयी. लेकिन इस पूरे प्रकरण ने नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच गठबंधन की गांठें और खोल दी है. तभी ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसका असर आगे आने वाले दिनों में दिखना तय है.