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                            27-Jul-2021 07:01 AM
PATNA : बिहार की नीतीश सरकार भले ही सुशासन का दावा करती हो लेकिन सरकार में अफसरशाही के आरोप लगातार लगते रहे हैं। पिछले दिनों बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी ने अफसरशाही का आरोप लगाते हुए इस्तीफे तक की पेशकश कर डाली थी। मदन सहनी ने कहा था कि अधिकारी तो दूर चपरासी तक उनकी बात नहीं सुनता। यही बात सोमवार को मंत्री मुकेश सहनी ने भी कहीं और बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक में तो अफसरशाही को लेकर जबरदस्त नाराजगी देखने को मिली। विधानमंडल के मानसून सत्र को लेकर बीजेपी के विधायकों की सोमवार शाम बैठक बुलाई गई थी। बीजेपी कार्यालय में आयोजित से विधायकों और विधान पार्षदों की बैठक के ढाई घंटे तक चली लेकिन बैठक में बीजेपी के विधायकों ने जो कुछ कहा उसे सुनने के बाद प्रदेश नेतृत्व के भी होश उड़ गए।
बीजेपी के लगभग आधा दर्जन विधायकों ने आरोप लगाया कि बिहार में अफसरशाही बेलगाम हो चुकी है। विधायकों ने खुले मंच से पार्टी के नेताओं को बताया कि कैसे अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। अधिकारियों के कामकाज करने का तरीका ऐसा है कि विधायकों का सम्मान तक नहीं किया जाता। वह किसी तरह का कोई प्रोटोकॉल का पालन तक नहीं करते। इतना ही नहीं इन अधिकारियों का मनोबल इतना ऊपर है कि कार्रवाई का डर भी इनके मन में नहीं होता। विधायकों का आरोप था कि इन अधिकारियों के ऊपर कोई एक्शन नहीं लिया जाता इसलिए वह अपनी मनमर्जी चलाते हैं। पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा के साथ-साथ संजय सरावगी, राजेश सिंह, हरी भूषण ठाकुर बचौल और रामप्रवेश राय ने अफसरशाही को लेकर गहरा असंतोष जताया। इन विधायकों का कहना था कि अधिकारियों का रवैया विधायिका के प्रति सम्मान नहीं दिखाता। बीजेपी विधायकों ने सीधा आरोप लगाया कि बिहार के इतिहास में इतनी कमजोर विधायिका कभी नहीं रही। विधायक अब बेबस नजर आते हैं।
बीजेपी विधायकों में अफसरशाही को लेकर कई उदाहरण भी दिये। विधानमंडल दल की बैठक में विधायकों का कहना था कि अफसर ना तो उनकी बात सुनते हैं और ना ही उनके अनुरोध पर कोई काम करते हैं। जन समस्याओं को लेकर अधिकारियों के पास अगर हम नहीं जाएंगे तो कहां जाएंगे? ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में तो उनकी कोई हैसियत ही नहीं रह गई है। अपनी ही सरकार में सत्तापक्ष के विधायक इतने उपेक्षित रहेंगे तो कार्यकर्ताओं की स्थिति समझी जा सकती है। विधानमंडल दल की बैठक में बीजेपी विधायक जब नाराजगी जता रहे थे तो डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद ने उन्हें टोका। तार किशोर प्रसाद ने कहा कि विधायकों का सम्मान है और सरकार में उनकी उपेक्षा नहीं होगी। पार्टी में अफसरशाही को लेकर बढ़ती नाराजगी को देखते हुए नेतृत्व ने यह तय किया है कि अब हर दो महीने पर विधायकों की बैठक होगी। इस बैठक में बीजेपी के विधायक के अपनी परेशानी और शिकायतें बता पाएंगे साथ ही साथ जिन अफसरों की मनमानी को लेकर शिकायतें हैं उनके बारे में भी फीडबैक लिया जाएगा। बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक में सोमवार की शाम जो कुछ हुआ उसे लेकर सबसे ज्यादा परेशान अगर कोई होगा तो वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार होंगे।