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14-Mar-2022 12:41 PM
PATNA: 100 साल पूरे करने वाले बिहार विधानसभा ने 14 मार्च 2022 जैसा दिन पहले कभी नहीं देखा होगा. भरे सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा के सर्वोच्च आसन पर बैठे विजय कुमार सिन्हा को कहा-हमें आपका निर्देश मंजूर नहीं है. आप कौन हैं जो सरकार को कह रहे हैं कि उसने सही जवाब नहीं दिया है. ऐसे सदन नहीं चलेगा. मुख्यमंत्री जब भरे सदन में विधानसभा के सर्वोच्च आसन पर बैठे स्पीकर को हड़का रहे थे तो लोकतंत्र को जानने वाले सन्न थे. लेकिन जेडीयू के विधायक बेंच थपथपा रहे थे. ये सारा बखेड़ा सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष से लेकर पक्ष और विपक्ष के ज्यादातर विधायकों के हंगामे के बावजूद सरकार एक दरोगा औऱ डीएसपी पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं है.
सदन में मुख्यमंत्री का पूरा बयान पढ़िए
“आप इस तरह से हाउस चला रहे हैं? आज तक कभी नहीं हुआ जिस तरीके की बात हो रही है. जब सरकार ने कह दिया कि पुलिस मामले की इन्क्वायरी कर रही है. इन्क्वायरी हो रही है तो रिपोर्ट कोर्ट में जायेगी. इस हाउस को अधिकार है? किसी केस की इन्क्वायरी करना पुलिस का काम है, आप इंटरफेयर नहीं कर सकते हैं.”
लोकतंत्र औऱ संविधान को जानने वाले लोग मुख्यमंत्री का तेवर देख कर हतप्रभ थे. इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष ने टोका-माननीय मुख्यमंत्री जी. नीतीश कुमार इसके बाद औऱ गुस्से में आये.
“नहीं, संविधान निकालिये. इस तरह से नहीं चलेगा. मैं जान बूझ कर आकर सुन रहा था (मुख्यमंत्री अपने चेंबर में बैठकर सुन रहे थे). जब आपने कहा कि दो बाद दिन सरकार को फिर जवाब देना होगा तो मैं सदन में आया. आप ठीक तरीके से सुन लीजिये. ये बात किसी तरह से मंजूर नहीं है. सुनिये, ये मंजूर नहीं है. ये आपका काम नहीं है. आप संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं. इस तरह से नहीं चलेगा ”
विधानसभा अध्यक्ष ने फिर कहा-विधायक सवाल पूछ रहे थे कि कितने लोगों के खिलाफ कुर्की जब्ती की कार्रवाई हुई. मंत्री उत्तर नहीं दे पाये तो मैंने दो दिन बाद पूरा जवाब देने कहा है. मुख्यमंत्री और गर्म हुए.
“ ये बात आप ठीक से सुन लीजिये. ये बात(आसन का निर्देश) किसी तरह से मंजूर नहीं है. आप कौन हैं जो कह रहे हैं कि सरकार आज नहीं दूसरे दिन जवाब देगी. ऐसे नहीं चलेगा, हम ऐसे नहीं चलने देंगे.”
सदन के सर्वोच्च पद पर बैठे विधानसभा अध्यक्ष बीच-बीच में खुद कुछ बोलने की कोशिश कर रहे थे. मुख्यमंत्री उन्हें ही चुप करा दे रहे थे. लाचार विधानसभा अध्यक्ष के सामने खामोश हो जाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बच रहा था.
दरोगा-डीएसपी के लिए लोकतंत्र हुआ तार-तार
अब हम आपको इससे पहले का वाकया बताते हैं. दरअसल विधानसभा में बीजेपी के विधायक संजय सरावगी ने सरकार से लखीसराय जिले में हो रही आपराधिक घटनाओं को लेकर सवाल पूछा था. विधायक ने पूछा था कि लखीसराय में 50 दिनों में 9 लोगों की हत्या कर दी गयी है. उसमें पुलिस ने क्या कार्रवाई की. विधायक ने कहा कि इससे पहले भी लखीसराय जिले में सरस्वती पूजा के दौरान शराब पीकर बार बालाओं का डांस कराने के मामले में निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.
बीजेपी विधायक संजय सरावगी लखीसराय जिले में हो रहे क्राइम को लेकर सरकार से सवाल पूछ रहे थे. वे कह रहे थे कि सरकार कह रही है कि हत्याओं को लेकर सिर्फ 9 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है. सरकार बताये कि बाकी अपराधी की अब तक क्यों नहीं गिरफ्तारी हुई. सरकार की ओर से जवाब दे रहे मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि पुलिस कार्रवाई कर रही है. विधायक संतुष्ट नहीं हुए. फिर सरकार से सवाल पूछा-पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है. मंत्री ने टालने वाले तरीके से कहा-हम इसको दिखवा लेंगे. इसी बीच बीजेपी के एक और विधायक उठ खड़े हुए औऱ पूछा-लखीसराय में हत्याओं के मामले में जो फरार अपराधी हैं उनके खिलाफ कुर्की जब्ती की कार्रवाई क्यों नहीं की गयी. पुलिस ने कितनों की कुर्की जब्ती की. मंत्री के पास ठोस जवाब नहीं था. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वे सवाल को स्थगित कर रहे हैं और दो दिन बाद सरकार को फिर से इसका जवाब देना होगा.
जैसे ही विधानसभा अध्यक्ष ने ये कहा कि दो दिन बाद सरकार फिर से जवाब देगी वैसे ही मंत्री विजेंद्र यादव ने उसका विरोध किया. लेकिन अध्यक्ष नहीं माने औऱ अपने फैसले पर अड़े रहे. इसी बीच मुख्यमंत्री सदन के भीतर पहुंचे. मुख्यमंत्री विधानसभा के अपने चेंबर में थे जहां टीवी सेट पर विधानसभा की कार्यवाही दिखती रहती है. जैसे ही अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को दो दिन बाद पूरा जवाब देना होगा. वैसे ही तेज चाल से लपकते हुए मुख्यमंत्री सदन में पहुंचे.
बेसब्र थे मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार जब सदन के भीतर पहुंचे तो दूसरा सवाल शुरू हो चुका था. मंत्री जीवेश मिश्रा जवाब दे रहे थे. संवैधानिक व्यवस्था ये है कि सदन के भीतर मुख्यमंत्री से लेकर दूसरा कोई विधायक अध्यक्ष की अनुमति से ही अपनी बात रख सकता है. लेकिन नीतीश कुमार ने सवाल का जवाब दे रहे मंत्री जीवेश मिश्रा को खुद बैठने को कहा और फिर अध्यक्ष पर जिस तरीके से बरसे उसकी कहानी उपर बतायी गयी है.
दिलचस्प बात ये है कि मुख्यमंत्री बार-बार ये कह रहे थे कि विधानसभा अध्यक्ष पुलिस इन्क्वायरी में दखल दे रहे हैं. जबकि विधायक ने सवाल ये पूछा था कि हत्या के मामलों में अपराधियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई. अगर अपराधी फरार हैं तो पुलिस ने कितने अपराधियों की कुर्की जब्ती की. नीतीश कुमार ने अध्यक्ष को कहा कि संविधान पढ लीजिये. वे कह रहे थे पुलिस के काम पर चर्चा का अधिकार विधानसभा को नहीं है.
कहां से शुरू हुआ है फसाद
दरअसल ये फसाद पिछले महीने से शुरू हुआ है और ये बताता है कि बिहार में लोकतंत्र किस तरह से तार-तार हो गया है. संविधान के मुताबिक किसी राज्य में लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था विधानसभा है. उसी विधानसभा के अध्यक्ष को उनके गृह जिले में डीएसपी औऱ थानेदार ने बेईज्जत कर दिया. सदन में कई दफे हंगामा हुआ. विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति में ये फैसला हुआ कि डीएसपी का ट्रांसफर कर दिया जायेगा. लेकिन आज तक एक सिपाही पर भी कार्रवाई नहीं हुई. सरकार ने एक दरोगा तक के लिए विधानसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जमकर जलील किया.
लोकतंत्र का सबसे काला दिन
लखीसराय के इस मामले पर सरकार की बेचैनी ने आज के दिन को 101 साल पुराने बिहार विधानसभा को सबसे काला दिन बना दिया. बीच सदन में सबसे बड़े पद पर बैठे व्यक्ति को मुख्यमंत्री ने कहा कि आपका फैसला मंजूर नहीं करेंगे. हम आपकी हरकतों को बर्दाश्त नहीं करेंगे. लोकतंत्र और संविधान रौंदा जा रहा था और जेडीयू के विधायक मेज थपथपा रहे थे.