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बिहार में फाइलेरिया की दवा खाने से 1500 से अधिक बच्चे बीमार, स्कूलों में मची अफरातफरी

 बिहार में फाइलेरिया की दवा खाने से 1500 से अधिक बच्चे बीमार, स्कूलों में मची अफरातफरी

11-Feb-2024 09:11 AM

By First Bihar

PATNA : बिहार के विभिन्न जिले के स्कूलों में शनिवार को फाइलेरियारोधी व कृमिरोधी दवा खाने के बाद कुछ बच्चों की तबीयत खराब हो गई। सिर दर्द, पेट दर्द और उल्टी की शिकायत पर कुछ बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। कई बच्चे बेहोश भी हो गए। बीमार बच्चों की संख्या पूरे राज्य में करीब दो हजार है। हालांकि इलाज के बाद सभी की तबीयत ठीक बतायी जा रही है। 


दरअसल,  शनिवार से बिहार में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम शुरू हुआ है, जिसमें बच्चों को उनके स्कूलों में दवा खिलाई गई। उधर, स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि दवा बिल्कुल सुरक्षित है। घबराने की जरूरत नहीं है। दवा खाने के बाद माइक्रोफाइलेरिया के नष्ट होने से ऐसे लक्षण पैदा होते हैं। हालांकि, फाइलेरिया के साथ कृमि की दवा एल्बेंडाजोल खाने से शनिवार को सैकड़ों बच्चे बीमार हो गए। पेट दर्द, चक्कर और उल्टी की शिकायत से स्कूलों में अफरातफरी मच गई।बच्चों को आनन-फानन अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन, कुछ समय के उपचार के बाद बच्चों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। सभी बच्चों की तबीयत ठीक बताई जा रही है।


मिली जानकारी के अनुसार,  गोपालगंज में 200, भभुआ में 500, मुंगेर में 142, भागलपुर में 84, पूर्वी चंपारण में 54, सीतामढ़ी में 30 और खगडिया में 24 बच्चे बीमार हुए थे। कैमूर के मोहनियां अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों में करीब 1500 बच्चे बीमार हुए थे। मुंगेर के जिला फाइलेरिया पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि एल्बेंडाजोल दवा चबाकर नहीं खाने से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। खाली पेट यह दवा नहीं खानी चाहिए।


उधर, इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी फाइलेरिया डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने कहा कि दवा बिल्कुल सुरक्षित है। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से दुष्प्रभाव नहीं होता है। अगर किसी व्यक्ति को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक है कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि (माइक्रोफाइलेरिया) मौजूद हैं। दवा खाने के बाद माइक्रोफाइलेरिया के नष्ट होने से ऐसे लक्षण पैदा होते हैं। खाली पेट दवा नहीं खानी है। स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन के बाद ही दवा खिलायी जा रहा है।