समाजसेवी अजय सिंह ने मदद के बढ़ाए हाथ, पुलिस और आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को सौंपा जंपिंग गद्दा Success Story: पुलिस ने मांगी रिश्वत तो लड़की ने शुरू कर दी UPSC की तैयारी, पहले IPS बनीं; फिर IAS बनकर पिता का सपना किया साकार JEE Main 2025: जेईई मेन में VVCP के छात्र-छात्राओं ने फिर लहराया परचम, जिले के टॉप थ्री पर कब्जा BIHAR NEWS: बिहार के गरीबों के लिए 2102 करोड़ रू की मंजूरी, जल्द ही खाते में जायेगी राशि, डिप्टी CM ने PM मोदी को कहा 'धन्यवाद' Chanakya Niti: दौलत, औरत और औलाद ...चाणक्य ने इन्हें क्यों बताया अनमोल? नीतीश कुमार को बड़ा झटका, जेडीयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने दिया इस्तीफा Namami Gange Yojana: बिहार के इस जिले को केंद्र सरकार की सौगात, नमामी गंगे और अटल मिशन के तहत मिलेगा साढ़े पांच सौ करोड़ का विकास पैकेज जनेऊ नहीं उतारा तो परीक्षा से किया बाहर, FIR के बाद बढ़ी सियासत Parenting Tips: पढ़ाई के दौरान क्यों आती है बच्चों को नींद? ये काम करें; दूर हो जाएगी परेशानी Bihar politics: बहुमत है, पर नैतिकता नहीं', बीजेपी पर बरसे मनोज झा, वक्फ कानून की वापसी की उठाई मांग!
15-Jul-2024 09:24 PM
By SANT SAROJ
SUPAUL: आज के आधुनिक युग में भी अंधविश्वास की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि लोगों का विज्ञान और तर्क के बजाय तंत्र-मंत्र पर ज्यादा भरोसा है। इसका एक जीवंत उदाहरण आज सुपौल के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीयअस्पताल में देखने को मिला जहां सांप काटने के बाद दो मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों के पास पहुंचने से पहले ही तीन तांत्रिकों को अस्पताल परिसर में बुलाया गया। जिसने घंटों झाड़-फूंक का नाटक किया। इतना ही नहीं इस नाटक को देखने के लिए अस्पताल में लोगों की भीड़ लग गयी। तब घंटों अंधविश्वास का खेल चलता रहा और अस्पताल प्रशासन हाथ पर हाथ धर यह सब देखते रहे।
त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में तांत्रिकों का इस कदर बोलबाला था कि वहां की चिकित्सा व्यवस्था भी कुछ समय के लिए मौन रह गई। तांत्रिकों ने झाड़-फूंक की प्रक्रिया को इतना खींचा कि मरीजों का इलाज शुरू होने में काफी देर हो गई। दरअसल त्रिवेणीगंज के ही महेशुवा वार्ड 11 का एक 10 साल का बच्चे को सांप ने काट लिया था। वही त्रिवेणींगज के ही बघला गांव की एक महिला भी सर्पदंश के बाद इलाज के लिए त्रिवेणीगंज अस्पताल पहुंची थी लेकिन तांत्रिकों के द्वारा घंटो चले इस ड्रामें में अस्पताल प्रशासन भी मूकदर्शक बना रहा और किसी ने भी इस अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश नहीं की।
इससे स्पष्ट होता है कि आज भी गांव के कुछ लोग तंत्र-मंत्र पर कितनी आस्था रखते हैं। जबकि मेडिकल साइंस के क्षेत्र में इतनी तरक्की हो चुकी है। तांत्रिकों द्वारा किए गए झाड़-फूंक के नाटक के बाद डॉक्टरों ने मरीजों का इलाज शुरू किया। हालांकि गनीमत रही कि दोनों मरीजों में सर्पदंश के कोई लक्षण नही थे। त्रिवेणीगंज अस्पताल के चिकित्सक डॉ. देव दिवाकर ने कहा कि दोनों मरीजों में सर्पदंश के कोई लक्षण नहीं था फिलहाल दोनों की हालत स्थिर है। बहरहाल यह जरूरी है कि लोगों को अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र के चक्कर से निकालकर चिकित्सा विज्ञान पर विश्वास करना सिखाया जाए। इसके लिए शिक्षा और जागरूकता अभियानों की जरूरत है, ताकि समाज इस तरह के अंधविश्वासों से मुक्त हो सके और स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ा सके।