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29-Oct-2022 07:01 PM
By AKASH KUMAR
AURANGABAD: औरंगाबाद के देव स्थित पौराणिक सूर्य मंदिर की महिमा और उसकी गरिमा अपरम्पार है। यहां भगवान भास्कर अपने तीनों स्वरूपों में विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी श्रद्धालु यहां सच्चे मन से भगवान भास्कर की पूजा अर्चना करता है भगवान सूर्य उनकी मनोकामना जरूर पूरा करते है।
लोक आस्था का महापर्व छठ का आज खरना पूजा है। कल रविवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को छठव्रती अर्घ्य देंगी। देव के सूर्य मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु अर्घ्य देने के लिए आते हैं। इसे लेकर पूरी तैयारियां कर ली गयी है। महापर्व छठ पर उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के भी व्यापक प्रबंध किये गये हैं।
औरंगाबाद की सूर्य नगरी देव स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर न सिर्फ लाखों करोड़ों लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतिक है बल्कि अपनी अद्भुत स्थापत्य कला का एक अद्वितीय नमूना भी है। बिना सीमेंट-गारा के एक पथ्थर के ऊपर दूसरे पत्थर को रखकर इस मंदिर को बनाया गया है। 100 फ़ीट ऊंचा यह सूर्य टेंपल सैंकड़ों वर्षों से अडिग और निस्चल खड़ा है । जो हर किसी को हैरान कर देता है।
इस मंदिर में भगवान सूर्य अपने तीनों रूप उदयाचल ,मध्याचल और अस्ताचल स्वरूपों में विद्यमान हैं। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी यहां सच्चे मन से भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करते हैं उनकी मनोकामना भगवान सूर्य जरूर पूरा करते हैं। यही कारण है कि लोक आस्था का महापर्व छठ के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। हर साल यहां करीब 12 लाख श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। यहां औरंगाबाद के ही लोग नहीं आते बल्कि दूर दराज इलाके और अन्य राज्यों से भी लोग अस्ताचलगामी और उदयगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचते हैं। इसे लेकर लोगों के बीच खासा उत्साह का माहौल देखने को मिलता है।
मंदिर से करीब 50 मीटर की दूरी पर सूर्यकुंड तालाब भी स्थित है जो अपने आप में अद्भूत है। सूर्यकुंड में नहाने से कुष्ठ रोग बीमारी ठीक हो जाता है और पुत्र रत्न की भी प्राप्ति होती है। छठ के मौके पर इस कुंड के चारों ओर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। भीड़ इतनी होती है कि पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती। औरंगाबाद का देव सूर्य मंदिर से लोगों की आस्था इतनी गहरी है कि सिर्फ छठ के मौके पर ही नहीं बल्कि आए दिन सैंकड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचते है और भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करते हैं।