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22-Nov-2023 06:51 PM
By First Bihar
PATNA: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग लंबे समय से उठाते रहे हैं। इसको लेकर खूब राजनीति भी होती रही है। कैबिनेट से प्रस्ताव पारित होने के बाद विशेष राज्य के दर्जा को लेकर एक बार फिर बिहार की सियासत गर्म हो गई है। विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव का समय आते ही मुख्यमंत्री विशेष राज्य के दर्जा की मांग उठाते हैं हालांकि मुख्यमंत्री ने विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करते हुए खुद बता दिया है कि आखिर बिहार को विशेष राज्य के दर्जा की जरुरत क्यों है।
विरोधियों को जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक्स पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा है। मुख्यमंत्री ने लिखा कि, ‘देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है। जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के आरक्षण सीमा को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है अर्थात सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के लिये आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है’।
सीएम ने आगे लिखा, ‘सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा। अर्थात इन सभी वर्गो के लिए कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को मिलाकर बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार पाये गये हैं, उन सभी परिवार के एक सदस्य को रोजगार हेतु 2 लाख रूपये तक की राशि किश्तों में उपलब्ध करायी जायेगी। 63,850 आवासहीन एवं भूमिहीन परिवारों को जमीन क्रय के लिए दी जा रही 60 हजार रूपये की राशि की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रूपये कर दिया गया है। साथ ही इन परिवारों को मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रूपये दिये जायेंगे। जो 39 लाख परिवार झोपड़ियों में रह रहे हैं उन्हें भी पक्का मकान मुहैया कराया जायेगा जिसके लिए प्रति परिवार 1 लाख 20 हजार रूपये की दर से राशि उपलब्ध करायी जायेगी’।
मुख्यमंत्री ने आगे लिखा, ‘सतत् जीविकोपार्जन योजना के अन्तर्गत अत्यंत निर्धन परिवारों की सहायता के लिए अब 01 लाख रूपये के बदले 02 लाख रूपये दिये जायेंगे। इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लगभग 2 लाख 50 हजार करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी। इन कामों के लिये काफी बड़ी राशि की आवश्यकता होने के कारण इन्हें 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यदि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाय तो हम इस काम को बहुत कम समय में ही पूरा कर लेंगे। हमलोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग वर्ष 2010 से ही कर रहे हैं। इसके लिए 04 नवम्बर, 2012 को पटना के गाँधी मैदान में तथा 17 मार्च, 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए अधिकार रैली भी की थी’।
सीएम नीतीश आगे लिखते हैं कि, ‘हमारी मांग पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितम्बर, 2013 में प्रकाशित हुई थी परन्तु उस समय भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया। मई, 2017 में भी हमलोगों ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। आज कैबिनेट की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने हेतु केन्द्र सरकार से अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। मेरा अनुरोध है कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुये केन्द्र सरकार बिहार को शीघ्र विशेष राज्य का दर्जा दे’।