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Social Media and Marriage: झूठी चमक, असली दर्द… सोशल मीडिया और रिल्स के वजह हो रहे हैं अधिक तलाक

Social Media and Marriage: सोशल मीडिया ने जहां लोगों को जोड़ने का माध्यम बनाया, वहीं आज यह पति-पत्नी जैसे पवित्र रिश्ते के लिए चुनौती बनता जा रहा है। शक, दिखावा, माता-पिता की दखलअंदाजी और रील्स की होड़, ये सभी मिलकर दांपत्य जीवन में दरार पैदा कर रहे।

Social Media and Marriage

25-Sep-2025 11:46 AM

By First Bihar

Social Media and Marriage: आज सोशल मीडिया एक ऐसी क्रांति बनकर उभरा है, जिसने संचार के स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया है। यह प्लेटफॉर्म जहां एक ओर लोगों को अपने विचार और रचनात्मकता दिखाने का माध्यम देता है, वहीं दूसरी ओर यह रिश्तों के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और अब रील्स की दुनिया ने लोगों को इस हद तक जकड़ लिया है कि रिश्तों की बुनियादी ज़रूरी संवाद, अपनापन और समझ पीछे छूट गई है। सबसे ज्यादा असर उस रिश्ते पर पड़ा है, जिसे सबसे मजबूत माना जाता है पति-पत्नी का रिश्ता।


पति-पत्नी का संबंध विश्वास, सम्मान और सामंजस्य पर टिका होता है, लेकिन बदलते दौर में यह रिश्ता शक, अविश्वास और सोशल मीडिया के दिखावे की भेंट चढ़ता जा रहा है। कई युवा जोड़े अब सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने और 'परफेक्ट कपल' दिखने की होड़ में अपनी असल जिंदगी की समस्याओं को नजरअंदाज करने लगे हैं। परिणामस्वरूप, हर सप्ताह महिला आयोग के पास तलाक की मांग को लेकर 5 से 6 केस दर्ज हो रहे हैं। ये आंकड़े चिंताजनक हैं और साफ तौर पर यह दर्शाते हैं कि दांपत्य संबंधों में संवादहीनता और परिपक्वता की कमी तेजी से बढ़ रही है।


पहले जहां किसी भी दांपत्य विवाद में दोनों पक्ष रिश्ते को बचाने की कोशिश करते थे, अब स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि दोनों ही एक-दूसरे को नकार देने के लिए तैयार रहते हैं। "मैं सही, तू गलत" की मानसिकता और असहिष्णुता का बढ़ता चलन रिश्तों को खत्म कर रहा है। नफरत, गुस्सा और ईगो ये तीन तत्व आजकल हर दूसरे दंपती के रिश्ते में दरार डाल रहे हैं।


मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि तलाक के बढ़ते मामलों की एक अहम वजह माता-पिता, विशेषकर दोनों पक्षों की माताओं की जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी है। साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि शादी के बाद परिवारों को नई जोड़ी को अपने तरीके से रिश्ता बनाने देना चाहिए। बार-बार की हस्तक्षेप से मनमुटाव बढ़ता है, जो तलाक तक ले जा सकता है। अक्सर देखा गया है कि माता-पिता अपने बच्चों को अपनी सोच के अनुसार चलाने की कोशिश करते हैं, जिससे दंपती के बीच तनाव जन्म लेता है।


सोशल मीडिया, विशेषकर इंस्टाग्राम रील्स, आजकल तलाक के मामलों में एक नया कारण बनकर उभरा है। कई पति-पत्नी अब खुद को 'सोशल मीडिया कपल' के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश में अपनी निजी ज़िंदगी को खो बैठते हैं। उदाहरणस्वरूप, कई मामले सामने आए हैं जहां पत्नी द्वारा रील्स बनाना और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करना पति को पसंद नहीं आया, जिससे शुरू हुआ विवाद धीरे-धीरे तलाक की नौबत तक पहुंच गया।


इस संबंध में महिला आयोग के पास ऐसे केस दर्ज हुए हैं जहां दंपती के बीच केवल रील्स और सोशल मीडिया एक्टिविटी को लेकर इतना तनाव उत्पन्न हुआ कि रिश्ता टूट गया। पति का आरोप होता है कि पत्नी दिनभर फोन में लगी रहती है, वहीं पत्नी कहती है कि वह अपनी पहचान और स्वतंत्रता बनाए रखना चाहती है। इस आपसी टकराव में सबसे ज्यादा नुकसान रिश्ते का होता है।


मनोवैज्ञानिक यह भी बताते हैं कि आजकल के दंपती अपनी-अपनी स्वतंत्रता और पसंद को इतनी प्राथमिकता देने लगे हैं कि वे साथी की भावनाओं को समझने की कोशिश ही नहीं करते। पति-पत्नी दोनों के बीच 'अहम' की लड़ाई इस कदर बढ़ चुकी है कि एक-दूसरे के फैसलों में सहयोग की भावना समाप्त होती जा रही है। दोनों की सोच बनती जा रही है — "मैं जैसा हूं, वैसा ही रहूंगा", जबकि विवाह समझौते और सामंजस्य का रिश्ता है।


महिला आयोग द्वारा कई मामलों में काउंसलिंग कर दोनों पक्षों में समझौता कराने की कोशिश की जाती है, लेकिन कई बार दंपती पहले ही इतनी दूरी बना चुके होते हैं कि कोई समाधान नहीं निकलता। विशेषज्ञों का मानना है कि रिश्तों को मजबूत बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी है। आपसी संवाद, सहनशीलता और एक-दूसरे की भावनाओं को समझना।


अगर समय रहते सोशल मीडिया की झूठी चमक, माता-पिता की अत्यधिक दखलअंदाजी और व्यक्तिगत अहम को नियंत्रित न किया गया, तो आने वाले समय में दांपत्य जीवन और भी संकटग्रस्त होता जाएगा। ज़रूरत इस बात की है कि हम असल जिंदगी के रिश्तों को प्राथमिकता दें और डिजिटल दुनिया की चकाचौंध में अपनों से दूर न हो जाएं।