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17-Aug-2025 03:51 PM
By First Bihar
Parenting Tips: बदलते समय के साथ केवल लोगों की जीवनशैली और खानपान में ही नहीं, बल्कि बच्चों की पढ़ाई और मनोरंजन के तरीकों में भी बड़ा बदलाव आया है। आज ऑनलाइन क्लास, प्रोजेक्ट वर्क, गेमिंग और सोशल कनेक्टिविटी के लिए स्मार्टफोन बच्चों की ज़रूरत बन गया है। हालांकि, बच्चों को स्मार्टफोन देना एक गंभीर फैसला है, जो उनके मानसिक विकास, व्यवहार और डिजिटल दुनिया से जुड़ाव को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
पहला स्मार्टफोन बच्चों के चेहरे पर खुशी ज़रूर लाता है, लेकिन इसके साथ जुड़ी पेरेंट्स की चिंताएं भी उतनी ही वास्तविक हैं। इंटरनेट, गेम्स और सोशल मीडिया की लत उनके शैक्षणिक प्रदर्शन, व्यवहारिक संतुलन और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इसलिए सिर्फ फोन देना ही नहीं, उससे पहले कुछ अहम बातों को बच्चों को समझाना ज़रूरी है।
1. सीमित स्क्रीन टाइम का महत्व समझाएं
बच्चों को स्मार्टफोन देने से पहले उनका स्क्रीन टाइम निर्धारित करना बहुत जरूरी है। उन्हें बताएं कि मोबाइल स्क्रीन के ज्यादा उपयोग से आंखों की रोशनी पर असर पड़ सकता है, नींद की गुणवत्ता घट सकती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी कम हो सकती है। साथ ही उन्हें यह भी समझाएं कि ज्यादा समय स्क्रीन पर बिताने से पढ़ाई और खेल जैसी जरूरी गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। आप चाहें तो स्क्रीन टाइम के लिए डिजिटल पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स का सहारा ले सकते हैं।
2. डिवाइस केयर की जानकारी दें
स्मार्टफोन केवल एक मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि एक संवेदनशील और महंगा डिवाइस होता है। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि वे अपने फोन को पानी, धूल और गिरने से कैसे बचाएं। उन्हें फोन की सफाई, चार्जिंग हैबिट्स और केस/स्क्रीन प्रोटेक्टर के इस्तेमाल के बारे में भी जानकारी दें ताकि डिवाइस लंबे समय तक सही काम करता रहे।
3. ऑनलाइन सेफ्टी और साइबर सिक्योरिटी सिखाएं
डिजिटल दुनिया में मौजूद खतरों से बच्चों को अवगत कराना बेहद ज़रूरी है। उन्हें बताएं कि किसी अजनबी व्यक्ति से ऑनलाइन चैट न करें, संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें और अपनी पर्सनल जानकारी (जैसे पता, मोबाइल नंबर, स्कूल की जानकारी) किसी के साथ भी साझा न करें। साथ ही उन्हें यह भी सिखाएं कि किसी भी परेशानी या अजीब ऑनलाइन व्यवहार को तुरंत पैरेंट्स से शेयर करें।
4. सोशल मीडिया की जिम्मेदारी समझाएं
अगर बच्चा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है, तो उसे यह जरूर समझाएं कि सोशल मीडिया पर शेयर किया गया कंटेंट स्थायी होता है और गलत पोस्ट, फोटो या वीडियो उनके भविष्य पर असर डाल सकते हैं। उन्हें डिजिटल इमेज और प्राइवेसी की अहमियत बताएं और सिखाएं कि क्या शेयर करना सुरक्षित है और क्या नहीं।
5. रियल और डिजिटल लाइफ में बैलेंस बनाना सिखाएं
आजकल के बच्चों में देखा गया है कि वे बाहर खेलने या परिवार के साथ समय बिताने के बजाय फोन पर ज्यादा समय बिताना पसंद करते हैं। ऐसे में उन्हें यह समझाना जरूरी है कि रियल लाइफ इंटरैक्शन, खेल और पारिवारिक समय भी उतना ही जरूरी है। पेरेंट्स को चाहिए कि वे खुद भी एक उदाहरण बनें और फोन से दूर रहकर बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।
बच्चों को स्मार्टफोन देना केवल एक टेक्नोलॉजिकल कदम नहीं, बल्कि एक बड़ी ज़िम्मेदारी भी है। अगर आप उन्हें सही गाइडेंस और सीमाएं देते हैं, तो वे डिजिटल दुनिया में सुरक्षित, जिम्मेदार और समझदार बन सकते हैं। याद रखें, स्मार्टफोन से ज्यादा जरूरी है स्मार्ट पैरेंटिंग।