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16-Nov-2025 04:09 PM
By First Bihar
DESK: मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने समाज सुधारक राजा राममोहन राय को अंग्रेजो का दलाल कर दिया था। इस विवादित बयान को लेकर खूब किरकिरी हुई जिसके बाद आखिरकार भाजपा नेता को वीडियो जारी कर माफी मांगनी पड़ गयी। वो अचानक अपने बयान से पलट गये। वीडियो जारी कर अब माफी मांग कर रहे हैं। कह रहे हैं कि बहुत बड़ी गलती हो गयी।
दरअसल बीजेपी नेता और एमपी के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार शनिवारको आगर मालवा में बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में देश के प्रसिद्ध समाज सुधारक राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल कह दिया था। उनके इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया। जिसे देखते हुए शिक्षा मंत्री ने रविवार को एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती कार्यक्रम में उनके जीवन पर बोलते समय मुझसे बड़ी गलती हो गयी है।
राजा राममोहन राय के बारे में गलत शब्द मुंह से निकल गए। जिसे लेकर अत्यंत दुखी हूं। मैं प्रायश्चित करता हूं। राजा राममोहन राय एक प्रसिद्ध समाज सुधारक थे और मैं व्यक्तिगत रूप से उनका सम्मान करता हूं। त्रुटिवश मेरे मुंह से गलत बयान निकल गया था, जिसके लिए मैं क्षमा मांगता हूं। शिक्षा मंत्री के इस बयान पर टीएमसी सांसद और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष रीताब्रत बनर्जी ने कहा कि यह भाजपा की बांग्ला-विरोधी मानसिकता का स्पष्ट प्रदर्शन है।
एंमपी के शिक्षा मंत्री ने क्या कहा था?
शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने आगर मालवा में कहा था कि अंग्रेजी शासन मिशनरी स्कूलों के जरिए लोगों की आस्था बदलने का कुचक्र चला रहा था। इसी साजिश का हिस्सा राजा राममोहन राय भी थे। उस दौर में अंग्रेजों के संचालित मिशनरी स्कूल ही शिक्षा का साधन थे, जहां धर्मांतरण की कोशिशें होती थीं। कई लोगों को अंग्रेजों ने फर्जी समाज सुधारक बनाकर पेश किया। इसी क्रम में उन्होंने राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल बताया।
शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के इस बयान पर टीएमसी सांसद रीताब्रत बनर्जी ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी की बंगाल के महापुरुषों के प्रति नफरत हर हद पार कर गई है। सती प्रथा को समाप्त करने और आधुनिकता, मानवतावाद और महिला अधिकारों की शुरुआत करने वाले राजा राम मोहन राय को "ब्रिटिश एजेंट" कहना कोई बड़ी चूक नहीं है। यह भाजपा की बांग्ला-विरोधी मानसिकता का स्पष्ट प्रदर्शन है। टीएमसी सांसद ने आगे कहा कि जब आप बंगाल की बुद्धिमता की बराबरी नहीं कर पाते, तो उसे बदनाम करने की कोशिश करते हैं। लेकिन बंगाल ने 2021 में इस नफरत को नकार दिया है। 2024 में भी इसे नकार दिया है। 2026 में बंगाल की जनता के हाथों इस बांग्ला विरोधी भाजपा का पतन अवश्यंभावी है।
वही एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस ने कहा कि पहले बयान देना फिर माफी मांगना बौद्धिक दिवालियापन है। वही नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने X पर लिखा कि मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा राजा राममोहन राय जैसे महान समाज-सुधारक को “अंग्रेज़ों का दलाल” कहना सिर्फ अज्ञान नहीं, बल्कि देश के महान नायकों का घोर अपमान और बौद्धिक दिवालियापन है।भाजपा–RSS की यही पुरानी साज़िश है अपने विचारधारा-सेवा करने वालों को इतिहास के केंद्र में लाना और वास्तविक राष्ट्रनिर्माताओं को बदनाम करना। जनता के आक्रोश के बाद मंत्रीजी ने भले ही माफी मांग ली हो, लेकिन सवाल यह है..क्या सांप्रदायिक मानसिकता सिर्फ एक माफी से बदल जाती है? क्या इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने वाली सोच किसी मंत्री के पद पर रहते हुए स्वीकार्य है? जब एक मंत्री अपने पद पर रहते हुए ऐसे गैरजिम्मेदार, विभाजनकारी और शर्मनाक बयान देता है, तो यह सिर्फ उसकी नहीं, पूरी सरकार की सोच, चरित्र और दिशा का आईना होता है। कांग्रेस पार्टी ऐसे अपमान, ऐसी मानसिकता और इतिहास-विद्वेष को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगी।