School News: स्कूलों के नाम में न लगाएं ग्लोबल या इंटरनेशनल, सरकार ने जारी किया सख्त आदेश School News: स्कूलों के नाम में न लगाएं ग्लोबल या इंटरनेशनल, सरकार ने जारी किया सख्त आदेश RAID IN PATNA : पटना सिविल कोर्ट कैंपस की दुकान में रेड, इस वजह से नाराज हुए फूड इंस्पेक्टर; शॉप सील करने का आदेश AADHAAR Card Online Update: आधार कार्ड को अब घर बैठे करें अपडेट, जानिए.. नाम, मोबाइल नंबर और एड्रेस चेंज करने का आसान तरीका AADHAAR Card Online Update: आधार कार्ड को अब घर बैठे करें अपडेट, जानिए.. नाम, मोबाइल नंबर और एड्रेस चेंज करने का आसान तरीका Bihar Road Authority : बिहार सरकार खुद बनाएगी एक्सप्रेस-वे, केंद्र पर नहीं रहेगा भरोसा! यूपी मॉडल पर बनेगी विशेष अथॉरिटी Bihar Crime News: बिहार में दो पक्षों के बीच दिनदहाड़े ताबड़तोड़ फायरिंग, गोलीबारी का वीडियो वायरल Bihar Crime News: बिहार में दो पक्षों के बीच दिनदहाड़े ताबड़तोड़ फायरिंग, गोलीबारी का वीडियो वायरल Fake railway ticket : AI से टिकट बनाकर यात्रा कर रहा था स्टूडेंट कर ग्रुप, TTE को हुआ शक; जानिए फिर क्या हुआ Success Story: कौन हैं IPS नचिकेता झा, जिन्हें मिली NSCS में बड़ी जिम्मेवारी; कैसे हासिल किया मुकाम?
03-Jun-2025 02:15 PM
By First Bihar
Bakrid 2025: ईद-उल-अज़हा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है, जो बलिदान और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में इस बार बकरीद से ठीक पहले एक मुस्लिम-बहुल देश ने बकरीद पर पशु कुर्बानी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर वैश्विक ध्यान खींचा है। इस देश ने न केवल पशु बाजारों को बंद कर दिया है, बल्कि बकरी, भेड़, ऊंट या किसी अन्य जानवर की कुर्बानी पर भी रोक लगा दी है।
यह अभूतपूर्व कदम देश में लंबे समय से चली आ रही पर्यावरणीय और आर्थिक चुनौतियों के जवाब में उठाया गया है। पिछले छह वर्षों से भीषण सूखे ने इस देश की कृषि और पशुधन अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है। पशुधन की संख्या में भारी गिरावट और मांस की बढ़ती कीमतों ने सामान्य परिवारों पर वित्तीय बोझ बढ़ा दिया है। इस संकट को देखते हुए, देश के शासक ने एक शाही फरमान जारी किया, जिसमें इस साल बकरीद पर पारंपरिक पशु बलि को रद्द करने का आदेश दिया गया।
इस निर्णय का उद्देश्य पशुधन की रक्षा करना और आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों पर दबाव कम करना है। देश के धार्मिक मामलों के मंत्री ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर इस संदेश को पढ़ते हुए कहा, “हमें धार्मिक परंपराओं का सम्मान करना है, लेकिन जलवायु संकट और आर्थिक दबाव को भी ध्यान में रखना होगा।” इसके बजाय, लोगों से इबादत, दान और उपवास के जरिए त्योहार मनाने की अपील की गई।
इस निर्देश को लागू करने के लिए देश के प्रशासन ने भी सख्त कदम उठाए हैं। सभी साप्ताहिक और मौसमी पशु बाजारों को बंद कर दिया गया है, और नगरपालिका बूचड़खानों को अस्थायी रूप से सील कर दिया गया है। कुछ क्षेत्रों में तो बलि के लिए उपयोग होने वाले उपकरणों की बिक्री तक पर भी रोक लगा दी गई है। स्थानीय गवर्नरों और अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि वे इस प्रतिबंध को सख्ती से लागू करें।
कई शहरों में पुलिस ने घरों में छापेमारी कर कुर्बानी के लिए लाए गए पशुओं, खासकर भेड़ों, को जब्त किया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सुरक्षाकर्मी घरों से भेड़ें ले जाते दिखे, जिसने जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। कुछ लोग इसे पर्यावरण और पशु संरक्षण की दिशा में साहसिक कदम मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बता रहे हैं।
बता दें कि यह देश कोई और नहीं बल्कि मोरक्को है और कुर्बानी न देने के नियम ने इस देश में अब तीखी बहस छेड़ दी है। जहां कुछ नागरिकों ने सूखे और आर्थिक संकट के मद्देनजर इस कदम का समर्थन किया, वहीं कई लोगों ने इसे धार्मिक परंपराओं पर हमला माना है।
इस इस्लामिक देश का यह फैसला दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक बड़ा संदेश माना जा रहा है। राजा मोहम्मद VI का यह कदम पशुधन संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता देता है, जो आधुनिक समय में धार्मिक परंपराओं को फिर से परिभाषित करने की जरूरत को बहुत ही अच्छे से दर्शाता है।