Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा दिल्ली दंगों का आरोपी शरजील इमाम, कोर्ट से मांगी अंतरिम जमानत Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा दिल्ली दंगों का आरोपी शरजील इमाम, कोर्ट से मांगी अंतरिम जमानत इंटैक हेरिटेज क्विज़ में पूर्णिया चैप्टर और विद्या विहार के छात्रों ने रचा इतिहास, जीता पहला स्थान Bihar Election 2025: पूर्व IPS शिवदीप लांडे इस सीट से लड़ेंगे बिहार विधानसभा का चुनाव, NR कटवाने के बाद खुद किया एलान Bihar Election 2025: पूर्व IPS शिवदीप लांडे इस सीट से लड़ेंगे बिहार विधानसभा का चुनाव, NR कटवाने के बाद खुद किया एलान Bhojpur News: वर्मा फाउंडेशन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स ने रचा नया इतिहास, 124 विद्यार्थियों का CHO के पद पर हुआ चयन Bhojpur News: वर्मा फाउंडेशन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स ने रचा नया इतिहास, 124 विद्यार्थियों का CHO के पद पर हुआ चयन IRCTC घोटाले को लेकर रोहित सिंह ने लालू परिवार पर बोला बड़ा हमला, कहा– ‘तेजस्वी की हार राघोपुर से तय’ Bihar News: बिहार से दिल्ली जा रही एक्सप्रेस ट्रेन की AC बोगी में उठा धुआं, रेल यात्रियों में मचा हड़कंप; ऐसे टला बड़ा हादसा Bihar News: बिहार से दिल्ली जा रही एक्सप्रेस ट्रेन की AC बोगी में उठा धुआं, रेल यात्रियों में मचा हड़कंप; ऐसे टला बड़ा हादसा
13-Oct-2025 03:13 PM
By First Bihar
Bihar election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जहां एक ओर तमाम राजनीतिक दल जातीय समीकरणों के हिसाब से अपनी रणनीति तय कर रहे हैं, वहीं प्रशांत किशोर (PK) की पार्टी जन सुराज भी अब इस विमर्श के केंद्र में आ गई है। प्रशांत किशोर, जो अब तक “जात नहीं, जमात की राजनीति” का नारा देकर जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहे थे, अंततः उन्हें भी यह बताना पड़ा कि उनकी पार्टी में टिकट बंटवारे के दौरान जातिगत प्रतिनिधित्व का ध्यान रखा गया है।
रविवार को प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी की दूसरी प्रत्याशी सूची जारी की। इस सूची के बाद अब तक जन सुराज पार्टी ने कुल 110 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इस दौरान उन्होंने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह भी बताया कि उनकी पार्टी ने किन-किन वर्गों के लोगों को कितना प्रतिनिधित्व दिया है।
उन्होंने बताया कि इन 110 उम्मीदवारों में 19 सीटें सुरक्षित श्रेणी में आती हैं। इनमें से 18 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए हैं, जबकि एक सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है। इन आरक्षित सीटों पर उनके उम्मीदवार उसी वर्ग से होंगे, ताकि संवैधानिक आरक्षण की भावना का सम्मान हो सके।
इसके अलावा प्रशांत किशोर ने कहा कि 46 सामान्य सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। इन सामान्य सीटों पर उम्मीदवारों का चयन सामाजिक विविधता को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस श्रेणी में अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के 14 उम्मीदवार शामिल हैं, जिनमें से 10 हिंदू समाज से और 4 मुस्लिम समाज से आते हैं।
इसी तरह अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से 10 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। वहीं सामान्य वर्ग यानी ऊँची जाति के 11 उम्मीदवारों को मौका दिया गया है। इसके अतिरिक्त 14 उम्मीदवार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, जिनमें अधिकतर मुस्लिम और कुछ ईसाई उम्मीदवार शामिल बताए जा रहे हैं।
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी वर्ग या समुदाय को केवल प्रतीकात्मक तौर पर टिकट न दिया जाए, बल्कि हर सीट पर उम्मीदवार उस क्षेत्र के सामाजिक, राजनीतिक और जनसंपर्क की दृष्टि से मजबूत हों। उन्होंने कहा, “हमने जातीय समीकरण का इस्तेमाल वोट पाने के लिए नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए किया है। बिहार में आज तक राजनीति कुछ जातियों तक सीमित रही है। हमने यह दीवार तोड़ने की कोशिश की है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हरनौत विधानसभा सीट, जो पारंपरिक रूप से सामान्य सीट मानी जाती है, वहां उनकी पार्टी ने अनुसूचित जाति के उम्मीदवार को टिकट दिया है। प्रशांत किशोर का कहना है कि इससे यह संदेश जाएगा कि योग्य उम्मीदवार किसी भी वर्ग से हो, उसे अवसर मिलना चाहिए।
PK ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी का फोकस सिर्फ चुनाव जीतना नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में नई संस्कृति की स्थापना करना है। उन्होंने कहा, “जन सुराज जात नहीं, जमात की राजनीति पर भरोसा करती है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि बिहार जैसे राज्य में जाति को पूरी तरह नजरअंदाज करना संभव नहीं। इसलिए हमने संतुलन बनाया है—प्रतिनिधित्व भी और परिवर्तन भी।”
विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर का यह कदम रणनीतिक है। बिहार की राजनीति में जाति एक अहम फैक्टर रही है। अब जब वह खुद इस मुद्दे पर बोल रहे हैं और आंकड़ों के साथ पारदर्शिता दिखा रहे हैं, तो यह संकेत है कि जन सुराज पार्टी अब जमीन पर गंभीरता से उतर चुकी है।
प्रशांत किशोर की यह दूसरी सूची जारी होने के बाद अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि जन सुराज आखिर किन वर्गों में अपनी पकड़ बना पाएगी। जबकि प्रशांत किशोर का दावा है कि उनकी पार्टी “बिहार के हर तबके की आवाज” को मंच देने आई है, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सामाजिक संतुलन की राजनीति को जनता कितनी स्वीकारती है।
कुल मिलाकर, बिहार की सियासत में यह बयान साफ संकेत देता है कि चाहे कोई भी दल हो, जातीय समीकरणों से पूरी तरह दूर रहना अभी भी संभव नहीं है। प्रशांत किशोर की “जमात आधारित राजनीति” की राह भी अब जातीय प्रतिनिधित्व के बिना अधूरी नजर आती है — हालांकि वे इसे एक “संतुलित और समावेशी प्रयास” के रूप में पेश कर रहे हैं।