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02-Nov-2025 08:48 AM
By First Bihar
Mokama Assembly : बिहार की राजनीति में मोकामा विधानसभा का इलाका हमेशा सुर्खियों में रहा है। इसकी वजह यह है कि यहां हमेशा से दो बाहुबली नेताओं के बीच टक्कर चलती रही है। कभी ये बाहुबली खुद आमने-सामने होते हैं, तो कभी इनके परिवार वाले मैदान में नजर आते हैं। ऐसे में इस बार भी मुकाबला दो बाहुबली उम्मीदवारों के बीच चल रहा है। लेकिन तभी एक ऐसा खेल हुआ जिसने पूरी बाजी ही पलटकर रख दी। अब सवाल यह है कि वह खेल क्या था? तो चलिए आपको विस्तार से बताते हैं कि क्या हुआ।
हुआ कुछ यूं कि 30 अक्टूबर को मोकामा के टाल इलाके में जेडीयू कैंडिडेट अपने तयशुदा कार्यक्रम के तहत प्रचार-प्रसार कर रहे थे। वे टारतर इलाके में प्रचार-प्रसार कर भोजन-भात करने के बाद अपने काफिले के साथ आगे बढ़ रहे थे। तभी कच्ची सड़क पर चलते हुए उनके काफिले के सामने, चुनावी मैदान में जन सुराज प्रत्याशी के रूप में उतरे पीयूष प्रियदर्शी अपने समर्थकों के साथ गाड़ियों के काफिले सहित पहुंच जाते हैं।
इसी बीच, अनंत सिंह के समर्थक नीचे उतरते हैं और पीयूष प्रियदर्शी को गाड़ी पीछे लेने को कहते हैं। अब ट्विस्ट यह है कि गाड़ी पीछे लेने के लिए शांति से नहीं कहा जाता, बल्कि जातीय वर्चस्व का प्रदर्शन करते हुए गाली-गलौज की जाती है। इसके बाद पीयूष प्रियदर्शी की ओर से भी गाली-गलौज शुरू हो जाती है। फिर अनंत सिंह के समर्थकों की ओर से थप्पड़-घूंसे भी चलाए जाते हैं और विवाद बढ़ जाता है। कुछ गाड़ियां आगे बढ़ ही पाती हैं कि तभी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थकों की ओर से अनंत सिंह के काफिले पर पथराव शुरू हो जाता है। इसके प्रतिकार में अनंत सिंह के समर्थक हाथों में कच्चे डंडे लेकर पीयूष प्रियदर्शी के काफिले पर हमला कर देते हैं।
इसी दौरान, वहां मौजूद लोगों के अनुसार, दुलारचंद यादव नीचे आते हैं और अनंत सिंह से बहस शुरू हो जाती है। कहते हैं कि इसी बीच अनंत सिंह की ओर से उनके साथ हाथापाई भी होती है। इसके बाद अनंत सिंह अपने साथ वालों को कुछ इशारा करते हैं और फिर खेल यहीं से शुरू हो जाता है।
सूत्र बताते हैं कि इशारे के बाद अनंत सिंह के समर्थक और उग्र हो जाते हैं। वे जमकर गाली-गलौज और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं और जन सुराज कैंडिडेट की गाड़ी पर हमला करते हैं। इस समय तक दुलारचंद के परिवार का कोई सदस्य उनके साथ नहीं होता। लेकिन टेलीफोन पर सूचना मिलने के बाद उनका परिवार घटनास्थल की ओर रवाना हो जाता है। तब तक यह खबर मिलती है कि दुलारचंद यादव के पैर में गोली मार दी गई है और उन पर गाड़ी चढ़ा दी गई है, जिससे उनकी मौत हो गई। सूत्र बताते हैं कि इस दौरान दहशत फैलाने के लिए लगभग 10 राउंड हवाई फायरिंग की गई थी। इस दौरान एक गोली दुलारचंद के पैर में मारी जाति है और कुछ लोग उनकी छाती पर चढ़ जाते हैं और उसके बाद एक गाड़ी भी उनके ऊपर से गुजारी जाती है और उसके बाद उनका सांस टूट जाता है तो उन्हें छोड़कर लोग रवाना हो जाते हैं। हालांकि फर्स्ट बिहार इस बात की पुष्टि नहीं करता कि गाड़ी उन पर चढ़ाई गई थी या नहीं, और लोग दुलारचंद की छाती पर चढ़े थे या नहीं और कितने राउंड फायरिंग हुई थी — लेकिन वहां मौजूद लोग यही बता रहे हैं। इस बीच, अनंत सिंह कुछ गाड़ी के साथ अपना काफिला लेकर वहां से आगे बढ़ जाते है। उनके समर्थक वहां कुछ देर के लिए रूकते हैं उसके बाद वहां से रवाना होते हैं।
इसके बाद तारतर इलाके में जमकर हंगामा शुरू होता है। कुछ लोग सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर देते हैं। सूचना पर घोसबरी थानाध्यक्ष और भदौर थानाध्यक्ष घटना स्थल पर पहुंचते हैं और दुलारचंद यादव के परिजनों से मिलते हैं। इसी दौरान परिजन दोनों थानाध्यक्षों का विरोध करना शुरू कर देते हैं। वे इसकी सूचना वरीय पुलिस अधिकारियों को देते हैं कि माहौल काफी खराब है, आप तुरंत पहुंचें। इसके बाद FSL की टीम के साथ सीनियर अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचते हैं। वे कहते हैं कि इलाके में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, आप शव का पोस्टमार्टम करवाएं — हमने इसकी सूचना अनुमंडलीय अस्पताल में दे दी है। इस समय तक दुलारचंद के परिजन पुलिस से बातचीत करने को तैयार नहीं होते।
आगे जब सुबह दुलारचंद यादव के शव को तारतर से बाईपास के रास्ते ले जाने का प्लान बनता है, तो परिजन कहते हैं कि हम शव उस रास्ते से नहीं ले जाएंगे बल्कि पुराने रास्ते से ही ले जाएंगे। इस बीच दुलारचंद यादव के समर्थकों की संख्या इतनी बढ़ जाती है कि पुलिस को उनकी बात माननी पड़ती है। शव को मोर गांव होकर पुराने रास्ते से आगे ले जाया जाता है। इसकी वजह यह थी कि रास्ते में कई ऐसे गांव थे जो दुलारचंद यादव की जाति से जुड़े थे और वहां से उन्हें सहानुभूति मिलती।
मोर गांव में शव पहुंचने पर ट्रैक्टर पर आरजेडी प्रत्याशी वीणा देवी आती हैं और कुछ दूरी तक उनके साथ चलती हैं। लेकिन तभी पंडारक में शव यात्रा के दौरान पत्थरबाजी की सूचना मिलती है। सूत्र बताते हैं कि शव यात्रा में शामिल लोग एक जाति विशेष को टारगेट कर गाली-गलौज और नारेबाजी कर रहे थे। इसी बीच जब एक शख्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो पत्थरबाजी शुरू हो गई। प्रतिकार में दूसरी तरफ से भी पत्थरबाजी की गई। बताया जाता है कि इस दौरान कुछ राउंड फायरिंग भी की गई।
इसके बाद शव अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचता है। पुलिस अधिकारी परिजनों से कहते हैं कि शव हमें दें, हम पोस्टमार्टम करवाएंगे। लेकिन परिजन कहते हैं कि हम शव नहीं देंगे, पोस्टमार्टम लाइव होना चाहिए। अधिकारी समझाते हैं कि ऐसा संभव नहीं है, वरना हमें कठोर कदम उठाना पड़ेगा। इस बीच परिजन पुलिस पर FIR दर्ज न करने का आरोप लगाते हैं। तभी अधिकारी बताते हैं कि FIR दर्ज हो चुकी है और उसकी रिसीविंग भी परिजनों को दे दी जाती है।
फिर परिजन पोस्टमार्टम के लिए तैयार होते हैं, लेकिन शर्त रखते हैं कि रिपोर्ट उनके पक्ष में आनी चाहिए। अधिकारी कहते हैं कि सच जो होगा वही सामने आएगा। इसके बाद तीन डॉक्टरों के पैनल द्वारा पोस्टमार्टम किया जाता है। रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि होती है कि दुलारचंद यादव को बाएं पैर के टखने के पास गोली लगी थी और गोली आर-पार हो गई थी। लेकिन रिपोर्ट में यह भी सामने आता है कि दुलारचंद यादव का फेफड़ा फट गया था और शरीर पर अन्य चोटें भी थीं।
अब सवाल यह उठता है कि वह "भारी चीज़" क्या थी जिससे दुलारचंद यादव का फेफड़ा फट गया और शरीर पर चोटें कैसे आईं? जब आदर्श आचार संहिता लागू है, तो फायरिंग कैसे हो गई? अनंत सिंह इतनी गाड़ियों के काफिले के साथ चल किसकी अनुमति से रहे थे?
पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवालों के बाद देर रात पुलिस ने एक्शन लेते हुए अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया, और यह बताया कि वे घटना के समय मौके पर मौजूद थे तथा उन्होंने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। साथ ही हत्या के मामले में भी उनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई है। अब देखना यह है कि इसके बाद मोकामा का माहौल किस दिशा में जाता है और वहां के समीकरण कैसे बदलते हैं।