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16-Nov-2025 10:53 AM
By First Bihar
Lalu family dispute : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के भीतर एक बार फिर बड़ा सियासी तूफ़ान खड़ा हो गया है। लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी मानी जाने वाली और अपनी किडनी दान कर पिता की जान बचाने वाली रोहिणी आचार्य ने शनिवार को अचानक राजनीति से संन्यास लेने और परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया।
उनका यह फैसला न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। रोहिणी ने कहा कि उन्हें परिवार के अंदरूनी लोगों द्वारा “किनारे” किया जा रहा है और हार की जिम्मेदारी लेने से बचने के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब लालू परिवार में कलह यूं सतह पर आई हो—पिछले एक दशक से यह विवाद सत्ता, प्रभाव और राजनीतिक उत्तराधिकार के मुद्दों पर लगातार गहराता रहा है।
2017: विरासत की शुरुआत और पहली बड़ी दरार
लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद 2017 में राजद की कमान उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव को सौंपी गई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह RJD के भीतर शक्ति संतुलन की शुरुआत थी। तेजस्वी को उत्तराधिकारी बनाना बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को रास नहीं आया, और इसी क्षण से दोनों भाइयों के बीच प्रतिस्पर्धा की नींव पड़ गई। तेज प्रताप ने कई मौकों पर स्वयं को लालू प्रसाद यादव का “असली वारिस” बताया। सत्ता, कार्यकर्ताओं पर पकड़ और निर्णय लेने की क्षमता को लेकर दोनों के बीच खींचतान समय-समय पर सार्वजनिक होती रही।
2018–2019: निजी तनाव से राजनीतिक बगावत तक
पारिवारिक कलह ने 2018 में तब बड़ा मोड़ लिया, जब तेज प्रताप ने शादी के सिर्फ पांच महीने बाद पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। उन्होंने खुलकर कहा कि “परिवार मेरी बात नहीं सुनता, घुट-घुटकर जीने का कोई मतलब नहीं है।”इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देते हुए “लालू-राबड़ी मोर्चा” बनाया और RJD के अधिकृत उम्मीदवार का विरोध किया। जहानाबाद सीट पर उन्होंने अपने समर्थक चंद्र प्रकाश को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतारा, जिसके कारण RJD मात्र 1,751 वोट से हार गई।
यही नहीं, ऐश्वर्या और राबड़ी देवी के बीच हुआ विवाद भी घर के अंदरूनी तनाव का बड़ा संकेत था। ऐश्वर्या ने राबड़ी देवी और मीसा भारती पर दुर्व्यवहार और खाना न देने जैसे गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा—“मुझे किचन में जाने नहीं दिया जाता, खाना मायके से भेजा जाता है।” यह घटना लालू परिवार में चल रही खाई को पहली बार व्यापक रूप से सार्वजनिक कर गई।
2021: अपनी ही पार्टी से टकराव
तेज प्रताप का विवादों का सिलसिला यहीं नहीं रुका। 2021 में उन्होंने RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से तीखा टकराव कर लिया, जब उन्होंने छात्र RJD के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव को निलंबित किया—जो तेज प्रताप का करीबी था। तेज प्रताप ने इस कार्रवाई को पार्टी संविधान के खिलाफ बताया, जबकि तेजस्वी यादव ने जगदानंद का समर्थन किया। यह RJD के भीतर दो अलग-अलग सत्ता केंद्रों का स्पष्ट संकेत था।
2022–2025: तेज प्रताप का निष्कासन और “जयचंद” विवाद
तेज प्रताप लगातार आरोप लगाते रहे कि तेजस्वी यादव और उनके करीबी उन्हें साजिशन राजनीतिक रूप से कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने तेजस्वी के रणनीतिक सलाहकार संजय यादव को “जयचंद” तक कहा। मई 2025 में मामला तब चरम पर पहुंच गया जब तेज प्रताप ने फेसबुक पर एक महिला के साथ 12 साल के रिश्ते का दावा किया। यह पोस्ट लालू यादव को बेहद नागवार गुजरी और उन्होंने तेज प्रताप को न सिर्फ RJD बल्कि परिवार से भी 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। तेज प्रताप ने आरोप लगाया कि यह सब संजय यादव के इशारे पर किया गया और उन्होंने तेजस्वी को भ्रमित कर परिवार तोड़ने की कोशिश की।
2025: रोहिणी आचार्य का “परिवार त्याग”—नई और सबसे बड़ी दरार
सितंबर 2025 में रोहिणी आचार्य ने भी मोर्चा खोल दिया। तेजस्वी के बढ़ते प्रभाव और संजय यादव की भूमिका से नाखुश होकर उन्होंने अचानक एक्स पर लालू प्रसाद, तेजस्वी, तेज प्रताप और मीसा भारती सभी को अनफॉलो कर दिया। उन्होंने संजय यादव को भी “जयचंद” कहा—बिलकुल वैसा ही आरोप जो तेज प्रताप पहले लगा चुके थे।
चुनाव हार के बाद बढ़े तनाव
बिहार चुनाव 2025 में RJD की करारी हार के बाद सारा गुस्सा भड़क उठा। नवंबर 2025 में रोहिणी ने अपने पोस्ट में लिखा: उन्हें परिवार के कुछ लोगों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से अलग-थलग किया जा रहा है। हार की जिम्मेदारी लेने से बचने के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया गया। रमीज नेमत और संजय यादव परिवार को भीतर से तोड़ रहे हैं। अब वह राजनीति छोड़ रही हैं और परिवार से नाता तोड़ रही हैं।
उनके इन आरोपों ने RJD और लालू परिवार दोनों में बड़ी असहजता पैदा कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह लालू परिवार के इतिहास की सबसे गंभीर सार्वजनिक कलह है—क्योंकि रोहिणी को हमेशा परिवार की संतुलनकारी सदस्य माना जाता था।
RJD और बिहार की राजनीति पर पड़ने वाला असर
लालू परिवार बिहार की राजनीति का आधार रहा है। परिवार के भीतर लगातार बढ़ती खींचतान RJD की संगठनात्मक संरचना को कमजोर कर रही है। तेजस्वी नेतृत्व की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहा है। पार्टी कैडर में भ्रम की स्थिति है। परिवार में तीन अलग-अलग धड़े बन चुके हैं—तेजस्वी, तेज प्रताप और अब रोहिणी का गुट। संजय यादव और रमीज नेमत जैसे सलाहकारों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह कलह यूं ही जारी रही, तो RJD 2025 की हार के बाद और अधिक कमजोर होती जाएगी और भविष्य की राजनीति में उसकी भूमिका लगातार घटती जाएगी।
रोहिणी आचार्य का राजनीति से संन्यास और परिवार से दूरी बनाना लालू परिवार के अंदरूनी विवाद की अब तक की सबसे बड़ी घटना है। यह स्पष्ट है कि परिवार और पार्टी दोनों में वर्षों से चली आ रही खींचतान अब विस्फोटक स्तर पर पहुंच चुकी है। बिहार की राजनीति में RJD की आगे की दिशा काफी हद तक इसी पर निर्भर करेगी कि क्या परिवार इन दरारों को भर पाता है या पार्टी में एक लंबे दौर की अस्थिरता की शुरुआत हो चुकी है।