Bihar News: बिहार चुनाव के बीच करोड़ों की लागत से बना पुल धंसा, कांग्रेस बोली- जनता सब देख रही है, अब वोट से चोट करेगी Bihar News: बिहार चुनाव के बीच करोड़ों की लागत से बना पुल धंसा, कांग्रेस बोली- जनता सब देख रही है, अब वोट से चोट करेगी बेतिया में मिनीगन फैक्ट्री का खुलासा, हथियार और उपकरण के साथ बाप-बेटा गिरफ्तार Bihar Election 2025: ओवैसी के नेता के बिगड़े बोल, खुले मंच से तेजस्वी यादव की आंख, उंगली और जुबान काटने की दी धमकी Bihar Election 2025: ओवैसी के नेता के बिगड़े बोल, खुले मंच से तेजस्वी यादव की आंख, उंगली और जुबान काटने की दी धमकी Bihar Election 2025: 'बिहार में सड़कें नहीं थीं, लेकिन बम जरूर फेंके जाते थे', रवि किशन को याद आया जंगलराज का पुराना दौर Bihar Election 2025: 'बिहार में सड़कें नहीं थीं, लेकिन बम जरूर फेंके जाते थे', रवि किशन को याद आया जंगलराज का पुराना दौर Bihar Election 2025: चुनावी रंग में रंगा बिहार, पटना पहुंचकर क्या बोलीं चुनाव आयोग की स्वीप आइकॉन नीतू चंद्रा? Bihar Election 2025: चुनावी रंग में रंगा बिहार, पटना पहुंचकर क्या बोलीं चुनाव आयोग की स्वीप आइकॉन नीतू चंद्रा? Aparajit Lohan : दुलारचंद हत्याकांड के बाद बदले गए नए ग्रामीण SP अपराजित कौन हैं ? इस खबर पढ़िए पटना के नए ग्रामीण एसपी की कहानी; आप भी जान जाएंगे क्या है काम करने का तरीका
03-Nov-2025 11:15 AM
By First Bihar
Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव 2024 में हार का सामना करने वाले 23 उम्मीदवार अब विधानसभा चुनाव में मैदान में हैं। इनमें से 18 स्वयं विधायक बनने की दौड़ में हैं, जबकि पांच ने अपने परिवार के सदस्यों को चुनाव में उतारा है।
लोकसभा चुनाव में हारने वाले इन उम्मीदवारों में 12 राजद, चार जदयू, दो भाजपा और एक-एक कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा, माकपा और वीआईपी के उम्मीदवार शामिल हैं। राजद ने विशेष रूप से रनर अप रहे 12 उम्मीदवारों और उनके परिजनों को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया है।
उदाहरण के तौर पर वाल्मीकिनगर से 98,675 वोट से हारे दीपक यादव अब नरकटियागंज विधानसभा से उम्मीदवार हैं। सुपौल में 1.70 लाख वोट से हारे चंद्रहास चौपाल, उजियारपुर में 60 हजार वोट से हारे आलोक मेहता, मुंगेर में 81 हजार वोट से हारी कुमारी अनिता, अररिया में 20 हजार वोट से हारे शाहनवाज आलम, बांका में 1.04 लाख वोट से हारे जयप्रकाश नारायण और दरभंगा में 1.70 लाख वोट से हारे ललित कुमार अब विधानसभा चुनाव में भाग ले रहे हैं।
कुछ उम्मीदवारों ने खुद मैदान में न उतरकर अपने परिजनों को विधानसभा चुनाव में उतारा है। इसमें मुजफ्फरपुर में वीआईपी से हारे अजय निषाद की पत्नी रमा निषाद भाजपा के टिकट पर अराई विधानसभा से चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस ने भागलपुर लोकसभा में 1.05 लाख वोट से हारे अजीत शर्मा को भागलपुर विधानसभा से टिकट दिया है। नालंदा लोकसभा में 1.69 लाख वोट से हारे संदीप सौरव (भाकपा माले) को पालीगंज विधानसभा से उतारा गया। बेगूसराय में करीब 81 हजार वोट से हारे अवधेश कुमार राय को बछवाड़ा विधानसभा सीट से टिकट मिला। खगड़िया में माकपा से हारे संजय कुमार के भाई अजय कुमार को विभूतिपुर विधानसभा से उतारा गया।
बता दें कि हारने वाले उम्मीदवारों के साथ ही जीते हुए दो सांसदों के परिजन भी विधानसभा चुनाव में भाग ले रहे हैं। शिवहर की जदयू सांसद लवली आनंद के बेटे चेतन आनंद नवीनगर से भाजपा के टिकट पर, और वैशाली से लोजपा सांसद वीणा देवी की बेटी कोमल सिंह जदयू के टिकट पर गायघाट विधानसभा से चुनाव लड़ रही हैं। जदयू और भाजपा के कुल 10 उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव में हार मिली थी। इनमें जदयू के चार और भाजपा के दो उम्मीदवार विधानसभा चुनाव में उतरे हैं, जिसमें जहानाबाद में 1.42 लाख वोट से हारे जदयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को विधानसभा उम्मीदवार बनाया गया। कटिहार लोकसभा में 50 हजार वोट से हारे जदयू के दुलालचंद गोस्वामी को कदवा विधानसभा से उम्मीदवार बनाया गया।
इधर, राजद उम्मीतवार के रन-रप में दरभंगा ग्रामीण और गया लोकसभा में 1.02 लाख वोट से हारे राजद के कुमार सर्वजीत को बोधगया विधानसभा से उम्मीदवार बनाए गए। मधुबनी में हारे अली अशरफ फातमी के बेटे फराज फातमी, वैशाली में हारे मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी, किशनगंज में हारे मुजाहिद आलम और पूर्णिया में हारे संतोष कुशवाहा को राजद के टिकट पर मैदान में उतारा गया। वहीं, पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर 85 हजार वोट से हारे रामकृपाल यादव को दानापुर, जबकि बक्सर सीट पर हारे मिथिलेश तिवारी को बैकुंठपुर विधानसभा से उम्मीदवार बनाया गया। सीवान लोकसभा में हारे हेना शहाब के बेटे ओसामा शहाब को रघुनाथपुर विधानसभा से राजद ने टिकट दिया।
इस तरह, लोकसभा चुनाव में हारने वाले उम्मीदवारों और उनके परिवार विधानसभा चुनाव में भाग लेकर अपनी राजनीतिक वापसी की कोशिश कर रहे हैं। यह रणनीति राजनीतिक दलों द्वारा विधानसभा चुनाव में अनुभवी और लोकप्रिय चेहरों को उतारने के तौर पर देखी जा रही है।