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BJP observers Bihar : बिहार में बीजेपी का जातीय दांव: दलित–ओबीसी नेताओं को पर्यवेक्षक बनाकर क्या संदेश देना चाहती है पार्टी

बीजेपी ने बिहार में विधायक दल के नेता के चयन के लिए बड़ा कदम उठाते हुए यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है, जबकि केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और साध्वी निरंजन ज्योति को सह-पर्यवेक्षक बनाया गया है।

BJP observers Bihar  : बिहार में बीजेपी का जातीय दांव: दलित–ओबीसी नेताओं को पर्यवेक्षक बनाकर क्या संदेश देना चाहती है पार्टी

19-Nov-2025 08:47 AM

By First Bihar

BJP observers Bihar  : बिहार की नई राजनीतिक हलचल के बीच भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार देर शाम एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी। बीजेपी के संसदीय बोर्ड ने उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाया है, जबकि केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को सह-पर्यवेक्षक के रूप में नामित किया है। दिलचस्प बात यह है कि तीनों नेताओं का सामाजिक वर्ग दलित और ओबीसी से आता है, जिससे बीजेपी ने बिहार की जातीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए बड़े संदेश देने की कोशिश की है।


पार्टी ने इस कदम के ज़रिए साफ़ संकेत दिया है कि वह आगामी राजनीतिक परिस्थितियों में सामाजिक न्याय, प्रतिनिधित्व और हिंदुत्व की अपनी पारंपरिक लाइन को एक साथ साधकर आगे बढ़ने वाली है। इन पर्यवेक्षकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि वे बुधवार को पटना में सुबह 10 बजे होने वाली विधायक दल की बैठक में नए नेता का चयन कराएंगे और आगे सरकार गठन की दिशा भी तय करेंगे।


दलित–ओबीसी समीकरण को साधने की रणनीति

बीजेपी ने जिन तीन नेताओं को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया है, उन सभी का बैकग्राउंड एक खास संदेश देता है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बिहार की सामाजिक बनावट में ओबीसी और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ऐसे में बीजेपी नेतृत्व ने इन्हीं वर्गों से पर्यवेक्षक चुनकर यह संकेत दिया है कि पार्टी सत्ता और संगठनात्मक फैसलों में सामाजिक संतुलन साधने को प्राथमिकता दे रही है।


1. केशव प्रसाद मौर्य — ओबीसी वर्ग का बड़ा चेहरा

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के ओबीसी नेतृत्व का प्रमुख चेहरा माने जाते हैं। वे मौर्य–कुशवाहा समाज से आते हैं, जो बिहार में भी एक बड़ा और प्रभावशाली वोट बैंक है। मौर्य की राजनीतिक छवि जमीनी नेता की रही है। वे पिछड़ों और अतिपिछड़ों तक बीजेपी का संदेश पहुँचाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। यही वजह है कि उन्हें केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाकर पार्टी ने संकेत दिया है कि बिहार की भावी सत्ता संरचना में भी ओबीसी की भूमिका अहम रहेगी।


2. अर्जुन राम मेघवाल — दलित समुदाय से आने वाले केंद्रीय कानून मंत्री

राजस्थान के कद्दावर दलित नेता अर्जुन राम मेघवाल इस समय केंद्र सरकार में कानून मंत्री हैं और पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व में उनकी पकड़ मजबूत है। पूर्व नौकरशाह से नेता बने मेघवाल का चयन बीजेपी के व्यापक दलित आउटरीच का हिस्सा माना जा रहा है। बिहार में दलित वोट बैंक हमेशा से सत्ता की गणित को प्रभावित करता रहा है। नए राजनीतिक समीकरणों के बीच मेघवाल की मौजूदगी का संदेश स्पष्ट है कि बीजेपी दलित प्रतिनिधित्व को महत्व दे रही है।


3. साध्वी निरंजन ज्योति — ओबीसी–निषाद समाज का प्रतिनिधित्व

साध्वी निरंजन ज्योति निषाद समुदाय से आती हैं, जो बिहार में निगन समुदायों के बीच प्रभावशाली मानी जाती है। वे वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़ी रही हैं और हिंदुत्व के मजबूत चेहरों में गिनी जाती हैं। बीजेपी ने उन्हें सह-पर्यवेक्षक बनाकर पिछड़े वर्ग और हिंदुत्व की संयुक्त राजनीति का संदेश देने की कोशिश की है।


बीजेपी का राजनीतिक संदेश बेहद स्पष्ट

बीजेपी का यह फैसला कई स्तरों पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दलित–ओबीसी प्रतिनिधित्व को प्रमुखता बिहार में सत्ता परिवर्तन के नए दौर में बीजेपी यह दिखाना चाहती है कि वह सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व को भी लेकर गंभीर है। ऐसे तीन नेता चुनना एक तरह से 'इंडिकेटिव पॉलिटिक्स' है।


नीतीश –भाजपा गठजोड़ और नई सत्ता संरचना की तैयारी

बिहार की राजनीति में इस समय भाजपा -जदयू गठजोड़ की नई संरचना तैयार हो रही है। ऐसे में विधायक दल के नेता का चयन बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। पार्टी चाहती है कि यह प्रक्रिया सामाजिक रूप से संतुलित, अनुशासित और राजनीतिक संदेशों से लैस हो।


दलित–पिछड़ा वोट बैंक की लंबी रणनीति

बिहार में आने वाले वर्षों में होने वाले चुनावों को देखते हुए बीजेपी अभी से अपने सबसे बड़े वोट बैंक को साधने में जुट गई है। केंद्रीय नेतृत्व के हालिया फैसलों में इसी रणनीति की झलक दिखाई देती है।विधायक दल की बैठक: बुधवार सुबह 10 बजे पटना में अहम फैसला। सभी पर्यवेक्षक बुधवार सुबह पटना पहुँचेंगे। सुबह 10 बजे विधायक दल की बैठक होगी जिसमें:नेता का चुनाव,सरकार गठन की औपचारिक रूपरेखा,और जदयू के साथ समन्वय की योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।प्रेक्षकों के अनुसार, यह बैठक बिहार के अगले राजनीतिक घटनाक्रम की दिशा तय करेगी। बीजेपी ने जिस तरह नियंत्रित, योजनाबद्ध और वैचारिक रूप से संतुलित टीम पटना भेजी है, उससे संकेत मिलता है कि वह बिहार की राजनीति में एक नए चेहरे, नई लाइन और नए संतुलन के साथ आगे बढ़ने वाली है।