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Bihar sand mining : मंत्री बनते ही विजय कुमार सिन्हा का एक्शन शुरू,अवैध बालू खनन पर कसा जा रहा शिकंजा; विभाग ने जिलों को भेजा सख्त निर्देश

बिहार में बालू खनन शुरू होते ही अनियमितताओं की शिकायतें बढ़ीं। कई घाटों पर तय गहराई से अधिक खुदाई और अनुमति रहित क्षेत्रों में खनन मिलने पर विभाग ने सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

Bihar sand mining : मंत्री बनते ही विजय कुमार सिन्हा का एक्शन शुरू,अवैध बालू खनन पर कसा जा रहा शिकंजा; विभाग ने जिलों को भेजा सख्त निर्देश

24-Nov-2025 10:32 AM

By First Bihar

Bihar sand mining : बिहार में बालू खनन को लेकर एक बार फिर विवाद गहराने लगा है। तीन महीने की रोक हटने के बाद अक्टूबर के मध्य में जब खनन गतिविधियां दोबारा शुरू हुईं, तो उम्मीद थी कि नई व्यवस्था के साथ काम सुचारू रूप से चलेगा। लेकिन शुरूआती कुछ ही दिनों में राज्य के कई जिलों से अनियमितताओं और अवैध खनन की शिकायतें आने लगीं। बंदोबस्तधारियों द्वारा तय सीमा से अधिक गहराई तक खनन, अनुमति रहित क्षेत्रों में खुदाई और पर्यावरणीय मानकों की अनदेखी जैसे मामलों ने खान एवं भू-तत्व विभाग की चिंता बढ़ा दी है।


अनुमति से ज्यादा गहराई तक बालू निकालने की शिकायतें

विभाग को मिले फीडबैक के अनुसार, कई जिले ऐसे हैं जहां बालू घाटों पर तय गहराई यानी ‘माइनिंग डेप्थ’ का पालन नहीं किया जा रहा है। पर्यावरण स्वीकृति में बारीकी से यह निर्धारित होता है कि किसी भी घाट पर किस स्तर तक ही खुदाई की जा सकती है, ताकि नदी के बहाव और प्राकृतिक संतुलन पर असर न पड़े। लेकिन शिकायतों में यह बात सामने आई कि कई घाटों पर मशीनों से निर्धारित गहराई से नीचे तक खुदाई जारी है।


नदी के उन क्षेत्रों में भी खनन गतिविधियों का पता चला है, जहां अनुमति नहीं दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अनुमति-रहित क्षेत्रों में खनन नदी के प्राकृतिक ढांचे को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। पहाड़ के कटाव, नदी के मोड़ बदलने और भूजल स्तर गिरने जैसे खतरे अचानक पैदा हो जाते हैं। यह स्थिति न केवल पर्यावरणीय रूप से हानिकारक है, बल्कि आसपास की ग्रामीण बसाहटों, खेतों और सिंचाई व्यवस्था पर भी सीधा प्रभाव डालती है।


विभाग का निर्देश — हर जिले में बढ़ाई जाए निगरानी

विभाग ने हाल ही में सभी जिलों के खनिज विकास पदाधिकारियों (एमडीओ) और सहायक खनिज निदेशकों को एक सख्त पत्र भेजा है। इस पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि पर्यावरण स्वीकृति में तय किसी भी मानक का उल्लंघन अवैध खनन की श्रेणी में आता है। विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि ऐसे किसी भी मामले की जानकारी मिलते ही तुरंत कार्रवाई की जाए और दोषियों पर कानूनी प्रावधानों के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाए।


पत्र में यह भी उल्लेख है कि जिन घाटों की नीलामी प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है, उनके लिए जल्द नई नीलामी कराई जाए। बिना नीलामी वाले किसी भी घाट पर किसी भी रूप में बालू निकासी की अनुमति नहीं होगी। विभाग ने चेतावनी दी है कि ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि कोई व्यक्ति, समूह या माफिया अवैध खनन में शामिल पाया जाता है, तो उन पर तुरंत पुलिस केस दर्ज कराया जाएगा।


पर्यावरण और जल स्रोतों पर खतरनाक असर

विशेषज्ञ बताते हैं कि नदी घाटों पर तय सीमा से गहराई तक खनन करने से कई गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं।


नदी के बहाव में परिवर्तन: अत्यधिक खुदाई से नदी का मार्ग बदल सकता है।


तट कटाव: नदी किनारे बसे गांवों के घर और जमीन कटाव की चपेट में आ सकते हैं।


भूजल स्तर में गिरावट: पानी रिसाव की प्राकृतिक प्रक्रिया बाधित होती है, जिसके कारण हैंडपंप, कुओं और पेयजल स्रोतों पर असर पड़ता है।


सिंचाई पर प्रभाव: नदी का जलस्तर गिरने से किसानों की सिंचाई व्यवस्था प्रभावित होती है।


पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीके से खनन हो तो नदी का प्राकृतिक संतुलन प्रभावित नहीं होता। लेकिन जैसे ही तय नियमों को नजरअंदाज किया जाता है, नदी की पारिस्थितिकी असंतुलित हो जाती है, जिसका असर आने वाले वर्षों तक दिखाई देता है।


अवैध खनन से सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान

अवैध खनन न केवल पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है, बल्कि यह सरकार के राजस्व पर भी सीधा हमला है। जब बिना नीलामी या तय प्रक्रिया के बाहर खनन किया जाता है, तो यह बालू सीधे काले बाजार में पहुंचता है। इससे सरकारी खजाने को बड़ी मात्रा में राजस्व का नुकसान होता है।


इस वजह से विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हर घाट की गतिविधि पर रीयल-टाइम निगरानी जरूरी होगी। कई जिलों में ड्रोन सर्विलांस, टीम निरीक्षण और स्थानीय प्रशासन के साथ संयुक्त अभियान भी शुरू किए गए हैं।


सख्त कार्रवाई और नियमित निरीक्षण पर जोर

विभाग का मानना है कि यदि खनन प्रक्रिया को नियमों के दायरे में रखा जाए तो न केवल पर्यावरण की सुरक्षा संभव है, बल्कि राज्य को मिलने वाला राजस्व भी बढ़ेगा। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक घाट पर नियमित निरीक्षण हो, मशीनों के इस्तेमाल पर नियंत्रण रखा जाए और खनन की गहराई का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाए।


विभाग की इस नई सख्ती से उम्मीद है कि अवैध खनन पर लगाम लगेगी और तय मानकों के अनुसार ही काम होगा। आने वाले दिनों में यदि इन आदेशों का कड़ाई से पालन कराया गया, तो राज्य में बालू खनन व्यवस्था अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बन सकती है।


बिहार के लिए यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बालू खनन राज्य के राजस्व का एक बड़ा जरिया है। अवैध खनन पर अंकुश लगाने से जहां प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा होगी, वहीं सरकार को मिलने वाले राजस्व में भी बढ़ोतरी की संभावना है।