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15-Nov-2025 10:04 AM
By First Bihar
RJD MLA : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार राजनीति की तस्वीर पूरी तरह बदलकर रख दी है। महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी माने जाने वाली राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को इस चुनाव में मात्र 25 सीटों पर ही जीत हासिल हुई है। यह आंकड़ा न सिर्फ राजद के कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक है बल्कि विपक्ष के भविष्य को लेकर भी गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि राजद को एक सीट और कम मिलती, यानी वह 24 पर सिमट जाती, तो बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता की कुर्सी भी बचाना मुश्किल हो जाता।
पिछले चुनाव में राजद ने मजबूत प्रदर्शन करते हुए बड़ी संख्या में सीटें जीती थीं। उस प्रदर्शन के आधार पर पार्टी को इस बार भी उम्मीद थी कि मतदाता उनके पक्ष में भारी समर्थन देंगे। खासकर तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार में जिस तरह की ऊर्जा दिखाई, जिस तरह सरकार बनाने का दावा बार-बार दोहराया, उससे पार्टी कैंप में उत्साह बना हुआ था। लेकिन नतीजों ने उनकी उम्मीदों को झटका दे दिया। तेजस्वी यादव ने सभाओं में कहा था कि जनता इस बार परिवर्तन चाहती है और वे सरकार बनाने जा रहे हैं, मगर अंतिम परिणाम इसके बिल्कुल उलट रहे।
राजद को मिली कम सीटों के कई कारण राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह रही कि इस बार कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला। कुछ सीटों पर राजद के वोट बैंक में सेंधमारी भी हुई, जिसकी वजह से पार्टी पिछड़ती चली गई। दूसरी तरफ एनडीए की चुनावी रणनीति और गठबंधन की मजबूती ने भी राजद को काफी नुकसान पहुँचाया। एनडीए में शामिल दलों ने बूथ स्तर से लेकर अंतिम मतदान तक बेहद संगठित तरीके से काम किया, जिसका सीधा असर परिणामों पर दिखा।
इस बार की चुनावी हवा शुरू में भले ही महागठबंधन के पक्ष में दिख रही थी, लेकिन धीरे-धीरे माहौल बदला और अंतिम चरण तक आते-आते समीकरण पूरी तरह बदल चुके थे। तेजस्वी यादव ने बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और महंगाई जैसे मुद्दों को चुनावी केंद्र में रखने की कोशिश की, लेकिन ये मुद्दे मतदाताओं को पूरी तरह से आकर्षित नहीं कर सके। दूसरी तरफ एनडीए ने विकास और स्थिर सरकार का मुद्दा प्रभावी ढंग से पेश किया, जिसका लाभ उन्हें सीधे तौर पर मिला।
राजद की सीटों में आई भारी गिरावट का असर बिहार की राजनीति पर लंबे समय तक देखने को मिलेगा। एक ओर जहां पार्टी को संगठनात्मक रूप से खुद को मजबूत करने की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष की भूमिका में रहते हुए जनता के मुद्दों को मजबूती से उठाने की चुनौती भी खड़ी हो गई है। यदि राजद एक सीट और कम ले आती, तो विधानसभा में विपक्ष के नेता की स्थिति बेहद कमजोर हो जाती और यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय बन सकता था।
हालांकि पार्टी नेतृत्व का मानना है कि यह हार एक सीख है और आने वाले समय में वे संगठन को और मजबूत करेंगे। तेजस्वी यादव ने भी परिणामों के बाद कहा कि वे जनता की आवाज़ का सम्मान करते हैं, लेकिन मुद्दों पर संघर्ष जारी रखेंगे।
लंबे समय से बिहार की राजनीति में राजद एक बड़ी ताकत रहा है, लेकिन इस बार के नतीजे बताते हैं कि पार्टी को अब रणनीति बदलने, युवा नेतृत्व को और अधिक सशक्त करने तथा जमीनी स्तर पर संपर्क बढ़ाने की जरूरत है।
जो भी हो, इस विधानसभा चुनाव ने यह साफ कर दिया है कि बिहार की राजनीति में अब समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। राजद को फिर से मजबूत कद हासिल करने के लिए लंबी राजनीतिक यात्रा करनी होगी और आने वाले चुनावों में जनता का भरोसा दोबारा जीतने के लिए निरंतर प्रयास करना होगा।
| क्रम | विधानसभा क्षेत्र (कोड) | उम्मीदवार का नाम |
|---|---|---|
| 1 | ढाका (21) | फैसल रहमान |
| 2 | बिस्फी (35) | आसिफ अहमद |
| 3 | रानीगंज (47) | अविनाश मंगलम |
| 4 | मधेपुरा (73) | चन्द्रशेखर |
| 5 | महिषी (77) | गौतम कृष्ण |
| 6 | पारू (97) | शंकर प्रसाद |
| 7 | रघुनाथपुर (108) | ओसामा शहाब |
| 8 | मढ़ौरा (117) | जितेन्द्र कुमार राय |
| 9 | गरखा (119) | सुरेन्द्र राम |
| 10 | परसा (121) | करिश्मा |
| 11 | राघोपुर (128) | तेजस्वी प्रसाद यादव |
| 12 | उजियारपुर (134) | आलोक कुमार मेहता |
| 13 | मोरवा (135) | रणविजय साहू |
| 14 | मटिहानी (144) | नरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ ‘बोगो सिंह’ |
| 15 | साहेबपुर कमाल (145) | सत्तानन्द सम्बुद्ध उर्फ ‘ललन जी’ |
| 16 | फतुहा (185) | डॉ. रामानन्द यादव |
| 17 | मनेर (187) | भाई बिरेंद्र |
| 18 | ब्रहमपुर (199) | शम्भू नाथ यादव |
| 19 | जहानाबाद (216) | राहुल कुमार |
| 20 | मखदुमपुर (218) | सुबेदार दास |
| 21 | गोह (219) | अमरेन्द्र कुमार |
| 22 | बोध गया (229) | कुमार सर्वजीत |
| 23 | टिकारी (231) | अजय कुमार |
| 24 | वारिसलीगंज (239) | अनीता |
| 25 | चकाई (243) | सावित्री देवी |