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Bihar Election 2025: एक ही सीट पर तीन बहुओं की मजबूत दावेदारी, किसके घर बजेंगे ढ़ोल-नगारे और किसके घर पर होगा सन्नाटा; जानिए क्या कहता है समीकरण

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीतामढ़ी की परिहार सीट इस बार विशेष रूप से चर्चा में है, क्योंकि यहां तीन बहुएं आमने-सामने हैं। यह मुकाबला न सिर्फ व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का है, बल्कि सत्ता की राजनीति और स्थानीय ताकतों के समीकरण...

Bihar Election 2025

13-Nov-2025 12:11 PM

By First Bihar

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीतामढ़ी की परिहार सीट इस बार विशेष रूप से चर्चा में है, क्योंकि यहां तीन बहुएं आमने-सामने हैं। यह मुकाबला न सिर्फ व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का है, बल्कि सत्ता की राजनीति और स्थानीय ताकतों के समीकरण का भी प्रतीक माना जा रहा है। परिहार सीट को इस बार राजनीतिक रूप से “हॉट सीट” घोषित किया गया है, और तीनों बहुओं की अलग-अलग पहचान और रणनीतियां इसे और दिलचस्प बना रही हैं।


भाजपा की प्रत्याशी गायत्री देवी 2015 और 2020 में जीत चुकी हैं और इस बार तीसरी बार जीत दर्ज करने की उम्मीद रखती हैं। उनके पति रामनरेश यादव भी पहले विधायक रह चुके हैं। जानकारों का कहना है कि इस बार भी यदि गायत्री देवी जीतती हैं, तो इसमें अप्रत्यक्ष रूप से रितु जायसवाल के वोटों का योगदान होगा, जो महागठबंधन के वोटों को विभाजित करने में अहम साबित हो सकता है। यह सत्ता का खेल स्पष्ट रूप से दिखाता है कि कैसे पार्टी और उम्मीदवार स्थानीय समीकरण और वोटों के अंतर का इस्तेमाल करते हैं।


राजद की प्रत्याशी स्मिता गुप्ता, जो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की पुत्रवधू हैं, इस चुनाव में पार्टी की स्थानीय प्रतिष्ठा और राजनीतिक दांव को मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। डॉ. पूर्वे पहले भी विधायक रह चुके हैं और उनकी हार-जीत के इतिहास ने इस सीट को रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बना दिया है। हालांकि, रितु जायसवाल की बागी उम्मीदवारी ने स्मिता की जीत को आसान नहीं होने दिया। यहां स्पष्ट है कि सत्ता का खेल केवल वोटों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक गठबंधन और स्थानीय प्रभाव का भी है।


तीसरी बहू रितु जायसवाल ने इस बार निर्दलीय चुनाव लड़कर परिहार को हॉट सीट बना दिया है। वह अपने क्षेत्र में लोकप्रिय और सक्रिय रही हैं, खासकर पेयजल संकट के दौरान अपने मतदाताओं की मदद करने के लिए। रितु की उपस्थिति और सक्रियता ने इस सीट पर सत्ता का समीकरण पूरी तरह बदल दिया है। उनकी निर्दलीय उम्मीदवारी ने राजद और भाजपा दोनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। सत्ता का यह खेल केवल पार्टी लाइन से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत प्रभाव और स्थानीय समर्थन से तय होने वाला है।


तीनों बहुओं के बीच मुकाबला केवल व्यक्तिगत जीत-हार का नहीं है, बल्कि सीट पर सत्ता का नियंत्रण, स्थानीय राजनीति और पार्टी प्रभाव का भी संघर्ष है। भाजपा, राजद और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच वोटों का विभाजन और स्थानीय नेताओं का समर्थन तय करेगा कि जनता किसकी सरकार और किसकी सत्ता को मजबूत मानती है। यह चुनाव इस लिहाज से राजनीतिक रणनीति, गठबंधन और व्यक्तिगत लोकप्रियता का खेल बन गया है।


14 नवंबर को होने वाली मतगणना में यह स्पष्ट होगा कि कौन सत्ता की कुर्सी पर काबिज होगा और कौन अपनी मेहनत और स्थानीय समर्थन के बावजूद हार जाएगा। परिहार सीट ने इस बार दिखा दिया है कि सत्ता का खेल केवल बड़े गठबंधनों तक सीमित नहीं, बल्कि व्यक्तिगत प्रभाव, स्थानीय समीकरण और रणनीति पर भी निर्भर करता है। ऐसे में परिहार सीट की यह लड़ाई सीतामढ़ी की राजनीति और सत्ता के खेल का प्रमुख उदाहरण बन गई है, जहां जनता का फैसला ही अंतिम निर्णायक शक्ति बनेगा।