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15-Nov-2025 03:47 PM
By First Bihar
ECI Bihar Election 2025: बिहार में इस बार हुआ SIR सिर्फ एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं था, बल्कि यह वह आधार बना जिसने चुनावी माहौल को पूरी तरह बदल दिया। साफ-सुथरी मतदाता सूची, शांतिपूर्ण मतदान और ऐतिहासिक भागीदारी, इन तीनों ने मिलकर 2025 के विधानसभा चुनाव को अब तक का सबसे सुगम और भरोसेमंद लोकतांत्रिक अभ्यास बना दिया।
निर्वाचन आयोग का कहना है कि यह बदलाव सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगा। आयोग ने संकेत दिया है कि अगले एक दर्जन राज्यों में भी इसी मॉडल को लागू करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इससे यह स्पष्ट है कि SIR को देशव्यापी लोकतांत्रिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है।
पहला मोर्चा: विवाद रहित मतदाता सूची
निर्वाचन आयोग की नज़र में यह चुनाव एक मिसाल इसलिए बन गया क्योंकि SIR के बाद तैयार हुई मतदाता सूची के खिलाफ एक भी अपील दर्ज नहीं हुई। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के अनुसार, यह स्थिति अभूतपूर्व है। आयोग ने 22 लाख मृत मतदाताओं, 36 लाख स्थायी रूप से राज्य छोड़ चुके नामों और 7 लाख से अधिक डुप्लीकेट प्रविष्टियों को हटाकर सूची को पूरी तरह शुद्ध किया। यही वजह थी कि पहली बार सूची पर राजनीतिक विवाद लगभग गायब रहे। कांग्रेस और राजद ने भले ही चुनाव परिणामों के संदर्भ में इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की, लेकिन आयोग ने स्पष्ट कहा कि अगर किसी को नुकसान हुआ है, तो उसका कारण गलत प्रविष्टियों को हटाना है, न कि किसी प्रकार का पक्षपात।
दूसरा मोर्चा: रिकॉर्ड मतदान और हिंसा शून्य
बिहार के चुनावी इतिहास में 2025 का चुनाव एक अहम मोड़ साबित हुआ। पहली बार किसी भी मतदान केंद्र पर एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई। यह खास महत्व रखता है क्योंकि 1985 के चुनाव में 63 मौतें और 156 बूथों पर पुनर्मतदान हुआ था। 1990 में हिंसा और कदाचार के कारण 87 लोग मारे गए थे। 1995 में टी.एन. शेषन को चुनाव चार बार स्थगित करना पड़ा था। 2005 में 660 मतदान केंद्रों पर दोबारा वोटिंग हुई थी।
इसके मुकाबले 2025 का चुनाव पूरी तरह शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा। आयोग की कड़ी निगरानी, सुरक्षा तैनाती, और साफ-सुथरी मतदाता सूची ने हिंसा और गड़बड़ी की संभावना को लगभग खत्म कर दिया। मतदान प्रतिशत भी ऐतिहासिक रूप से ऊँचा रहा, जिससे SIR के सकारात्मक प्रभाव का संकेत मिलता है।
तीसरा मोर्चा: पुनर्मतदान की जरूरत नहीं और प्रक्रिया की विश्वसनीयता
243 सीटों वाले चुनाव में एक भी बूथ पर दोबारा मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी। आयोग ने इसे “सबसे बड़ी प्रशासनिक सफलता” बताया है। पिछले चुनावों में कई सीटें फर्जी मतदान, बूथ कब्जा, गड़बड़ी या हिंसा के कारण दोबारा वोटिंग के केंद्र रही थीं। लेकिन SIR के तहत बूथ-वार सूची का निरीक्षण, फेस वेरिफिकेशन, गृह सत्यापन और तकनीकी अपडेट ने इस समस्या को लगभग खत्म कर दिया।
आयोग के अनुसार, इस मॉडल को अब देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसका उद्देश्य यह है कि अगले आम चुनाव तक मतदाता सूचियों को पूरी तरह शुद्ध किया जा सके और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।
बिहार चुनाव 2025 सिर्फ परिणामों की वजह से नहीं, बल्कि निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता, सुरक्षा और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने के कारण भी याद रखा जाएगा। साफ मतदाता सूची, रिकॉर्ड मतदान, और बिना किसी पुनर्मतदान के संपन्न चुनाव, ये तीन संकेत बताते हैं कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया सही दिशा में आगे बढ़ रही है। निर्वाचन आयोग के लिए यह चुनाव राहत नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए एक ब्लूप्रिंट है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि SIR का सफल कार्यान्वयन अन्य राज्यों में भी चुनावी सुधार की दिशा में क्रांति ला सकता है। यह प्रक्रिया केवल मतदाता सूची तक सीमित नहीं रहकर चुनाव में विश्वास और निष्पक्षता को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है।