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10-Nov-2025 07:35 AM
By First Bihar
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा चरण सीमांचल की राजनीति के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है। हिमालय की तराई से सटे इस इलाके में चार जिले पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज मिलकर कुल 24 विधानसभा सीटें बनाते हैं। भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से यह क्षेत्र हमेशा से सियासी दलों के लिए संवेदनशील माना जाता रहा है। एक ओर नेपाल और बांग्लादेश की सीमा तो दूसरी ओर पश्चिम बंगाल से सटा यह इलाका न सिर्फ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि बिहार की सत्ता तक पहुंचने का बड़ा रास्ता भी यहीं से होकर गुजरता है।
सीमांचल का इलाका नदियों, खेती-बाड़ी और पलायन के मुद्दों से घिरा हुआ है। यहां विकास के कई संकेत मिले हैं, पूर्णिया एयरपोर्ट चालू हो चुका है, रोजाना कई फ्लाइट्स यहां से संचालित हो रही हैं। साथ ही वंदे भारत और अमृत भारत जैसी ट्रेनों की सौगात से रेल कनेक्टिविटी भी मजबूत हुई है। सड़कें और हाईवे सीमांचल को जोड़ रहे हैं, मगर आज भी यहां के मतदाताओं के बीच बाढ़, बेरोजगारी, शिक्षा और पलायन प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं।
राजनीतिक रूप से सीमांचल हमेशा से राजद, भाजपा और जदयू जैसे दलों के बीच संघर्ष का केंद्र रहा है। इस बार भी एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है, जबकि कुछ सीटों पर एआईएमआईएम और जनसुराज पार्टी मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं। यहां के मतदाता जातीय समीकरण और विकास के मुद्दों दोनों को तौलकर फैसला करने के मूड में दिख रहे हैं।
इस क्षेत्र की कई सीटों पर बड़े नेताओं की किस्मत दांव पर है। पूर्णिया के धमदाहा से जदयू की मंत्री लेशी सिंह, अररिया के सिकटी से भाजपा मंत्री विजय कुमार मंडल, कटिहार सदर से पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद, अमौर से एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान, कदवा से जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी, और जोकीहाट से पूर्व मंत्री राजद के शाहनवाज आलम व उनके भाई जनसुराज प्रत्याशी सरफराज आलम आमने-सामने हैं। मतदाता इन सभी की राजनीतिक किस्मत 11 नवंबर को तय करेंगे।
2020 के चुनाव में सीमांचल की 24 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन ने लगभग बराबर-बराबर सीटें हासिल की थीं। इस बार मुकाबला और भी कांटे का हो गया है। कटिहार सदर में पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद का मुकाबला वीआईपी प्रत्याशी सौरभ अग्रवाल (भाजपा एमएलसी अशोक अग्रवाल के पुत्र) से है। कदवा सीट पर कांग्रेस के शकील अहमद खान और जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी के बीच जोरदार टक्कर है। वहीं, अररिया की सिकटी सीट पर मंत्री विजय कुमार मंडल को महागठबंधन के हरिनारायण प्रामाणिक (वीआईपी) चुनौती दे रहे हैं।
जोकीहाट सीट सबसे रोचक बन गई है, जहां दो सगे भाई एक राजद और दूसरा जनसुराज से चुनाव लड़ रहे हैं। किशनगंज जिले की चारों सीटों पर भी एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला है, जबकि कुछ सीटों पर एआईएमआईएम और जनसुराज निर्णायक फैक्टर साबित हो सकते हैं।
सीमांचल का चुनावी गणित हमेशा अप्रत्याशित रहा है। यहां के मतदाता आखिरी वक्त में हवा बदलने के लिए जाने जाते हैं। स्थानीय मछली विक्रेता शंकर के शब्दों में “पहले मौसम कुछ था, अब मिजाज कुछ और है।” वहीं, कटिहार के मतदाता विजय ठाकुर कहते हैं, “चेहरों से नाराजगी है, लेकिन दलों से नहीं।” इन भावनाओं से साफ है कि सीमांचल का वोटर अब जातीयता और भावनाओं के साथ-साथ विकास के मुद्दों पर भी सोच रहा है। इस बार का सीमांचल का फैसला यह तय करेगा कि बिहार की सत्ता की कुर्सी किस ओर झुकेगी एनडीए के विकास मॉडल की ओर या महागठबंधन के सामाजिक समीकरणों की ओर।