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08-Nov-2025 01:38 PM
By First Bihar
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का मतदान बीते गुरुवार को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हो गया। लेकिन मतदान के बाद सामने आए प्रशासनिक आंकड़े एक अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं। चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में कुल 35 आचार संहिता उल्लंघन के मामले दर्ज किए गए, जबकि पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, 6 अक्टूबर से अब तक कुल 428 केस दर्ज हो चुके हैं।
इन मामलों में सबसे अधिक 9 शिकायतें पटना जिले के दीघा विधानसभा क्षेत्र से दर्ज की गई हैं। यह वही सीट है, जहां एनडीए, राजद और जनसुराज तीनों के उम्मीदवारों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी पटना का दीघा विधानसभा क्षेत्र इस बार प्रशासन की सबसे बड़ी प्राथमिकता में है। यहां दर्ज मामलों में आरोप हैं कि कई प्रत्याशियों ने प्रचार सीमा पार की, बिना अनुमति रैलियां कीं, सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट साझा किए, और चुनावी जुलूसों में नियमों की अनदेखी की।
इसके बाद दानापुर विधानसभा क्षेत्र में 5 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें राजद प्रत्याशी रीतलाल यादव को समर्थन देने वाली कुछ आंगनबाड़ी सेविकाओं और शिक्षिकाओं को भी नामजद बनाया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा किसी राजनीतिक दल का खुला समर्थन आचार संहिता का सीधा उल्लंघन है।
मोकामा और बाढ़ विधानसभा क्षेत्रों से चार-चार मामले दर्ज हुए हैं। इनमें बिना अनुमति पोस्टर-बैनर लगाना, लाउडस्पीकर का अधिक उपयोग और वाहनों पर पार्टी प्रतीक चिह्न लगाना जैसी शिकायतें प्रमुख हैं। वहीं, जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, जनसुराज पार्टी के खिलाफ सबसे ज्यादा 9 मामले, जबकि राजद पर 8, भाजपा और जदयू पर 4-4, कांग्रेस पर 2, एलजेपी (रामविलास) पर 2 और सीपीआई (एमएल) पर 1 मामला दर्ज हुआ है।
इन मामलों में कई चर्चित नाम शामिल हैं, जनसुराज के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी, जदयू के अनंत सिंह, राजद के भाई वीरेंद्र और कर्मवीर सिंह यादव, भाजपा के सियाराम सिंह, कांग्रेस के सतीश कुमार, और निर्दलीय शैलेश कुमार पर भी प्राथमिकी दर्ज की गई है। चुनाव आयोग के अधिकारी बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में बिना अनुमति जुलूस निकालना, वाहनों पर लाउडस्पीकर लगाना, और सोशल मीडिया पर गलत सूचना या भड़काऊ सामग्री साझा करना शामिल है। आयोग ने साफ कहा है कि जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आरोप साबित होंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी दल से हों।
वहीं, बिहार पुलिस मुख्यालय ने भी बताया कि सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल लगातार इंटरनेट पर नजर रखे हुए है। अब तक दर्ज 428 मामलों में 60 से अधिक मामलों की जांच पूरी हो चुकी है। प्रशासन ने मतदाताओं को जागरूक करने के लिए एक अभियान भी चलाया, जिसकी रीच 32 लाख से अधिक रही।
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, लोकतंत्र का यह उत्सव तभी सार्थक होगा जब सभी दल और प्रत्याशी नियमों का सम्मान करें। प्रचार की आज़ादी सबका अधिकार है, लेकिन अनुशासन की सीमाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं। जैसे-जैसे बिहार का चुनाव दूसरे और तीसरे चरण की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे प्रशासनिक सख्ती और निगरानी भी बढ़ाई जा रही है। प्रत्येक थाने को चुनावी गतिविधियों पर 24 घंटे निगरानी रखने का निर्देश दिया गया है।
पहले चरण के मतदान में रिकॉर्ड वोटिंग के साथ ही रिकॉर्ड उल्लंघन भी सामने आए हैं। दीघा, दानापुर और मोकामा जैसी सीटों पर बढ़ती कार्रवाई यह संकेत देती है कि बिहार का चुनावी रण सिर्फ वोट की जंग नहीं, बल्कि नियमों की परीक्षा भी बन गया है। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि आयोग आने वाले चरणों में कितनी सख्ती दिखाता है और क्या यह रुझान थमता है या नहीं।