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Bihar Election 2025: चंपारण की सीटों पर जोरदार मुकाबला, सत्ता का गणित तय करेगी इस क्षेत्र की जनता

Bihar Election 2025: चंपारण का क्षेत्र भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां बापू के चरण पड़े और सत्याग्रह की आंधी ने अंग्रेजों के पांव उखाड़ दिए थे। अब विधानसभा चुनाव में भी चंपारण की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है।

Bihar Election 2025

10-Nov-2025 08:56 AM

By First Bihar

Bihar Election 2025: चंपारण का क्षेत्र भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यहां बापू के चरण पड़े और सत्याग्रह की आंधी ने अंग्रेजों के पांव उखाड़ दिए थे। अब विधानसभा चुनाव में भी चंपारण की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है। पूर्वी और पश्चिमी चंपारण ने पिछले चुनाव में अपनी 21 सीटों में से 17 सीटें एनडीए को दी थीं। इस बार दूसरे चरण में मतदान के लिए चंपारण के कई हिस्सों में टिकट बंटवारे और प्रत्याशियों के चयन को लेकर गम-गुस्सा उबल रहा है। कहीं उम्मीदवारों से नाराजगी दिख रही है, तो कुछ जगह तीसरे कोण की लड़ाई भी निर्णायक साबित हो रही है। इस कारण सत्ता का गणित तय करने में चंपारण की भूमिका काफी अहम होगी।


बिहार की पहली विधानसभा सीट वाल्मीकिनगर में जदयू ने फिर से धीरेन्द्र प्रताप सिंह पर दांव लगाया है, जबकि कांग्रेस से सुरेंद्र कुशवाहा मुकाबले में हैं। जनसुराज पार्टी का उम्मीदवार दृगनारायण प्रसाद का नामांकन रद्द होने के कारण पार्टी मैदान से बाहर हो गई। वाल्मीकिनगर में थारू आदिवासी, कुशवाहा, कोइरी, यादव और सहनी समुदाय का बड़ा प्रभाव है। थारू वोट को अपने पाले में रखने और बांटने की जोर-आजमाइश यहां निर्णायक साबित होगी।


रामनगर में भाजपा ने भागीरथी देवी का टिकट काटकर नंद किशोर राम को उतारा है। राजद से सुबोध पासवान, और जनसुराज से पप्पू कुमार रंजन इस सीट पर मैदान में हैं। सुबोध पासवान 2025 की फरवरी में समता पार्टी से जीत चुके हैं और समर्थक उन्हें काम करने का मौका न मिलने के कारण सहानुभूति जता रहे हैं। भागीरथी देवी का टिकट कटने से असंतुष्ट धड़ा सक्रिय है। इस सीट पर ब्राह्मण और आदिवासी थारू वोट निर्णायक रह सकते हैं।


पूर्वी चंपारण की अन्य महत्वपूर्ण सीटें

पूर्वी चंपारण की आठ सीटों पर भाजपा के विधायक हैं।

सुगौली: वीआईपी प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया है। एनडीए से राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता, जनसुराज से अजय झा मैदान में हैं। मतदाता यहां विकास के मुद्दे को प्रमुख मान रहे हैं।


नरकटिया: राजद के डॉ. शमीम अहमद, जदयू के विशाल साह और जनसुराज से लाल बाबू प्रसाद आमने-सामने हैं। मतदाता विकास और भ्रष्टाचार विरोधी वोटिंग पर ध्यान दे रहे हैं।


रक्सौल: भाजपा से प्रमोद कुमार सिन्हा, कांग्रेस से पूर्व मंत्री श्याम बिहारी प्रसाद, और जनसुराज से जदयू के भुवन पटेल मैदान में हैं। महिला मतदाता इस सीट पर निर्णायक हैं।


केसरिया: जदयू से शालिनी मिश्रा, वीआईपी से वरुण विजय, और जनसुराज से नाज अहमद खां उर्फ पप्पू खां आमने-सामने हैं। मतदाता नेताओं के प्रभाव और महिला वोट पर ध्यान दे रहे हैं।


कल्याणपुर: राजद से मनोज कुमार यादव, भाजपा से सचिंद्र प्रसाद सिंह, जनसुराज से मंतोष सहनी मुकाबले में हैं। यह सीट मुस्लिम बहुल है और चुनाव त्रिकोणीय लड़ाई में बदल सकता है।


गोविंदगंज: लोजपा-रा के राजू तिवारी, कांग्रेस के शशि भूषण राय, और जनसुराज के कृष्णा मिश्रा मैदान में हैं। मतदाता यहां आमने-सामने की लड़ाई देख रहे हैं।


चिरैया: भाजपा से लालबाबू प्रसाद गुप्ता, राजद से लक्ष्मी नारायण प्रसाद यादव, जनसुराज से संजय सिंह, और बागी अच्छेलाल प्रसाद आमने-सामने हैं।


मोतिहारी: भाजपा से प्रमोद कुमार, राजद से देवा गुप्ता, जनसुराज से डॉ. अतुल कुमार। वैश्य वोट के प्रभाव के कारण मतदाता खुलकर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।


मधुबन: भाजपा से पूर्व मंत्री राणा रणधीर, राजद से संध्या रानी, और जनसुराज से विजय कुमार कुशवाहा। जातीय समीकरण और विकास दोनों ही मुद्दे महत्वपूर्ण हैं।


चंपारण में मतदाता विकास, भ्रष्टाचार और जातीय समीकरण को लेकर सजग हैं। कई सीटों पर तीसरे कोण के उम्मीदवार निर्णायक फैक्टर बन रहे हैं। महिला मतदाता और युवा निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। कुल मिलाकर चंपारण की 21 में से 17 सीटें एनडीए को पिछली बार मिली थीं, लेकिन इस बार राजनीतिक हलचल और टिकट वितरण की नाराजगी ने चुनावी समीकरण और भी जटिल बना दिए हैं। चंपारण का यह चुनाव यह तय करेगा कि बिहार की सत्ता की दिशा किस ओर झुकेगी और किन उम्मीदवारों की ताकत वोटरों की पसंद के आगे टिक पाएगी।