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23-Oct-2025 09:52 AM
By First Bihar
Bihar election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक मुकाबला पहले से कहीं ज्यादा दिलचस्प और कांटे की टक्कर वाला नजर आ रहा है। इस बार बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 51 ऐसी सीटें हैं, जहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सीधे आमने-सामने हैं। यही सीटें चुनाव के दौरान सुर्खियों में रहने वाली हैं, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भी ये दोनों पार्टियां राज्य में सबसे अधिक सीटें जीतने में कामयाब रही थीं। राजद को 75 और भाजपा को 74 सीटें मिली थीं। इस बार इन 51 सीटों पर कौन कितना दबदबा बनाएगा, यह चुनाव परिणाम ही बताएगा।
भाजपा इस बार कुल 101 सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है, जबकि राजद ने 143 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। इस तरह देखा जाए तो भाजपा की सबसे बड़ी टक्कर राजद से ही है। बाकी की 50 सीटों पर भाजपा की लड़ाई कांग्रेस और महागठबंधन के अन्य घटक दलों से होगी। वहीं, राजद की 143 सीटों में 51 सीटों पर केवल भाजपा से मुकाबला होगा, और शेष 91 सीटों पर उसकी टक्कर एनडीए के अन्य घटक दल जैसे कि जेडीयू, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी), हम और वीआईपी से होगी।
इन 51 सीटों की राजनीति में खास बात यह है कि इनमें राज्य के बड़े नेताओं के क्षेत्र भी शामिल हैं। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की सीट तारापुर और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की सीट राघोपुर इस लिस्ट में हैं। दोनों ही क्षेत्रों में भाजपा और राजद के बीच जोरदार टक्कर की संभावना है। इसके अलावा, दानापुर से भाजपा के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव और सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू की भी लड़ाई राजद के उम्मीदवारों से है। यह चुनाव केवल स्थानीय स्तर की नहीं बल्कि राज्य की राजनीति में अहम संकेत भी देगा।
राजद और भाजपा के बीच हो रही यह सीधी टक्कर इस बार बिहार के राजनीतिक समीकरण को प्रभावित कर सकती है। इन 51 सीटों में कुछ विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं जो हमेशा से चुनावी नतीजों में निर्णायक रहे हैं। मधुबन, मोतिहारी, ढाका, परिहार, सीतामढ़ी, खजौली, बिस्फी, राजनगर (अजा), छातापुर, नरपतगंज, प्राणपुर, केवटी, कुढ़नी, साहेबगंज, बैकुंठपुर, सीवान, गोरियाकोठी, तरैया, अमनौर, हाजीपुर, लालगंज, पातेपुर (अजा), मोहिउद्दीनगर, कटोरिया, तारापुर, मुंगेर, बांकीपुर, दानापुर, बड़हरा, गुरुआ, वारिसलीगंज, जमुई, अलीनगर, बनियापुर, छपरा, सोनपुर, बाढ़, शाहपुर, रामनगर (अजा), नरकटियागंज, हरसिद्धि (अजा), कल्याणपुर, चिरैया, कोचाधामन, बायसी, राघोपुर, पीरपैंती (अजा), रामगढ़, मोहनियां, भभुआ और गोह जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र इस मुकाबले का हिस्सा हैं।
भाजपा ने अपने 101 उम्मीदवारों की सूची 16 अक्तूबर तक जारी कर दी थी, जबकि राजद ने अपने 143 उम्मीदवारों की सूची 20 अक्तूबर को सार्वजनिक की। इन सूचियों में पार्टी ने अपने बड़े नेताओं, पूर्व सांसदों और स्थानीय स्तर के प्रभावशाली नेताओं को प्राथमिकता दी है। यह चुनाव रणनीति को भी दर्शाता है कि दोनों पार्टियां इन 51 सीटों पर खास ध्यान दे रही हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो ये 51 सीटें चुनाव का माइक्रोमैनेजमेंट तय करेंगी। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इन सीटों पर जीत-हार सीधे दोनों प्रमुख दलों के मनोबल और राज्य में उनकी स्थिति को प्रभावित करेगी। खासतौर पर तारापुर और राघोपुर जैसी सीटों पर चुनाव परिणाम केवल स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि पूरे राज्य की राजनीति में असर डाल सकते हैं।
भाजपा और राजद के बीच हो रही यह सीधी टक्कर यह संकेत देती है कि इस बार का चुनाव पिछले चुनावों की तुलना में ज्यादा प्रतिस्पर्धी और नतीजों के लिहाज से रोमांचक रहेगा। इन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम, उनकी लोकप्रियता, जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे निर्णायक साबित हो सकते हैं।
इन 51 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की निगाहें सिर्फ उम्मीदवारों पर नहीं, बल्कि उनकी पार्टियों की नीतियों और आगामी योजनाओं पर भी टिकेंगी। यह चुनाव केवल सीटों की लड़ाई नहीं बल्कि राज्य की राजनीति में नई दिशा निर्धारित करने वाली टक्कर के रूप में देखा जा रहा है।
इसलिए यह साफ है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 51 सीटों पर नजरें टिकी रहेंगी। भाजपा और राजद दोनों ही इस मुकाबले में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। इस टक्कर का असर पूरे राज्य के राजनीतिक माहौल पर पड़ेगा और इन सीटों के नतीजे आगामी राजनीतिक समीकरण तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।