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BIHAR ELECTION : अमित शाह के बिहार आने से पहले BJP के बागियों ने चुनाव से वापस लिया अपना नाम, कांग्रेस-राजद और VIP में भी गतिरोध खत्म करने की शुरुआत

बिहार चुनाव 2025 में वारसलीगंज और नरकटियागंज सीटों पर उम्मीदवारों के नामांकन में बड़ा बदलाव हुआ है। कांग्रेस और भाजपा के कई नाम वापस लिए गए।

BIHAR ELECTION : अमित शाह के बिहार आने से पहले BJP के बागियों ने चुनाव से वापस लिया अपना नाम, कांग्रेस-राजद और VIP में भी गतिरोध खत्म करने की शुरुआत

23-Oct-2025 03:47 PM

By First Bihar

BIHAR ELECTION : बिहार की राजनीति के लिए आज का दिन काफी अहम रहा। विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच महागठबंधन और भाजपा के उम्मीदवारों के नामांकन में आज कई बड़े बदलाव देखने को मिले। सबसे पहले महागठबंधन ने अपने सीएम और डिप्टी सीएम चेहरे का ऐलान किया, जिसके बाद अब सीटों को लेकर चल रहे गतिरोध को भी समाप्त किया गया। इस राजनीतिक हलचल ने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को और रोमांचक बना दिया है।


सबसे बड़ी खबर वारसलीगंज विधानसभा सीट से सामने आई है। यहां कांग्रेस के उम्मीदवार सतीश कुमार ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। सतीश कुमार के नामांकन वापस लेने के बाद अब महागठबंधन से अनीता देवी ही इस सीट पर चुनाव लड़ेंगी। अनीता देवी, कांग्रेस और महागठबंधन की रणनीति में अहम भूमिका निभाती हुई दिखाई दे रही हैं। अनीता देवी, पूर्व में मुंगेर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ चुकी हैं, लेकिन उस समय उन्हें जेडीयू के ललन सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। अब विधानसभा चुनाव में उनकी किस्मत आजमाई जाएगी।


अनीता देवी की पहचान मुख्य रूप से उनके पति अशोक महतो के कारण हुई है। अशोक महतो बिहार के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में एक विवादित व्यक्ति माने जाते हैं, जिन्हें आपराधिक छवि के रूप में जाना जाता है। हालांकि अनीता देवी खुद भी राजनीतिक मैदान में सक्रिय रही हैं और इस बार उनके लिए यह मौका महागठबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनका मुकाबला इस बार भाजपा की अरुणा देवी से होगा। अरुणा देवी भाजपा की ओर से वारसलीगंज में अपनी ताकत दिखाने के लिए चुनावी मैदान में हैं।


इसके अलावा, नरकटियागंज विधानसभा सीट से भी बड़ी खबर आई है। यहां भाजपा की बागी रश्मि वर्मा, जिन्होंने पहले निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था, ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। रश्मि वर्मा का नामांकन वापस लेने के बाद अब इस सीट पर भाजपा की ओर से संजय कुमार पांडे चुनाव लड़ेंगे। संजय कुमार पांडे के नामांकन से भाजपा ने अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है, और अब इस सीट पर उनके लिए जीत की संभावनाएं बढ़ गई हैं।


न केवल नरकटियागंज, बल्कि बेतिया विधानसभा सीट से भी खबर आई है कि भाजपा के बागी प्रकाश राय ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। यह संकेत देता है कि चुनावी रणनीति और गठबंधन की स्थिति के अनुसार कई दिग्गज नेता और उम्मीदवार अपनी रणनीति बदल रहे हैं। यह बदलाव यह भी दर्शाता है कि पार्टियां अपने उम्मीदवारों के चयन और सीटों के बंटवारे में पूरी तरह से अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं।


राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ये नामांकन वापसी के फैसले चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं। कई बार पार्टियां ऐसे बदलाव करती हैं ताकि अपने उम्मीदवारों के लिए बेहतर चुनावी स्थिति बनाई जा सके। इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि उम्मीदवारों के बीच सीट पर विवाद या गठबंधन के दबाव के कारण नामांकन वापस लेने का कदम उठाया जाता है।


वारसलीगंज और नरकटियागंज की स्थिति पर ध्यान दें तो स्पष्ट होता है कि महागठबंधन और भाजपा दोनों ही इस चुनाव में हर सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। वारसलीगंज में अनीता देवी की मैदान में एंट्री महागठबंधन के लिए एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, वहीं नरकटियागंज और बेतिया सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों के चयन और बागी उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने से पार्टी की स्थिति मजबूत हुई है।


चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों के बाद दोनों बड़े गठबंधन अब अंतिम तैयारी कर रहे हैं। उम्मीदवारों के नामांकन की स्थिति साफ होने के बाद पार्टियां चुनाव प्रचार, रोड शो और मतदाताओं तक अपनी पहुंच बढ़ाने पर ध्यान देंगी। विशेष रूप से बिहार जैसे राज्य में, जहां चुनावी परिणाम स्थानीय समीकरणों, जातीय समीकरण और नेताओं की लोकप्रियता पर निर्भर करते हैं, ऐसे बदलाव महत्वपूर्ण माने जाते हैं।


इस तरह की राजनीतिक हलचल न केवल उम्मीदवारों और पार्टियों के लिए, बल्कि मतदाताओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। मतदाता अब यह देख पाएंगे कि कौन से उम्मीदवार मैदान में हैं और किसके खिलाफ उन्हें वोट करना है। वारसलीगंज, नरकटियागंज और बेतिया सीटों पर इन बदलावों के बाद चुनावी मुकाबला और भी रोचक और प्रतिस्पर्धात्मक होने की संभावना है।


अंततः, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए यह दिन राजनीतिक दृष्टि से बेहद अहम साबित हुआ है। उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने और नए उम्मीदवारों के मैदान में आने के साथ ही चुनाव की तस्वीर और स्पष्ट हो गई है। अब हर दल अपने रणनीतिक कदमों और उम्मीदवारों के माध्यम से मतदाताओं तक अपनी बात पहुँचाने में जुट जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये बदलाव चुनावी परिणामों पर किस प्रकार का प्रभाव डालते हैं और कौन सी पार्टी बिहार की राजनीति में अगले पांच साल के लिए मजबूत स्थिति बनाने में सफल होती है।