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19-Nov-2025 10:46 AM
By First Bihar
Bihar cabinet formation : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार राज्य की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला दिया है। कई उतार-चढ़ाव वाले राजनीतिक माहौल के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इससे पहले भाजपा ने अपने विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न की, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए। इस बैठक में भाजपा ने विधायक दल के नेता और उपनेता का चयन कर दिया है।
पार्टी के अंदर कई दौर की चर्चा और मंथन के बाद सम्राट चौधरी को नेता और विजय सिन्हा को उपनेता चुना गया है। भाजपा द्वारा चुना गया विधायक दल का नेता अब उपमुख्यमंत्री पद का प्रमुख चेहरा होगा, जबकि उपनेता के रूप में तय किया गया नाम दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल होगा। दोनों नेताओं के चयन से पार्टी ने यह संदेश भी स्पष्ट किया है कि सरकार में भाजपा का योगदान और हिस्सा पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और प्रभावी होने वाला है।
भाजपा के भीतर यह भी माना जा रहा है कि बिहार की सामाजिक और जातीय संरचना को ध्यान में रखकर ही इन पदों पर सहमति बनाई गई है। चुनाव में मिली भारी सफलता का बड़ा कारण विविध जातीय समूहों का भाजपा के पक्ष में एकजुट होना रहा है। इसी सामाजिक समीकरण को बनाए रखने और आगे भी उसे सशक्त करने के लिए पार्टी अपने शीर्ष कैबिनेट चेहरों को उसी सोच के अनुसार संयोजित कर रही है। भाजपा की रणनीति साफ है—हर क्षेत्र और हर वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए ताकि सरकार पर सबकी भागीदारी का असर दिखे।
अब बात भाजपा के संभावित मंत्रियों की। पार्टी के भीतर से मिल रही जानकारी यह संकेत देती है कि इस बार मंत्रिमंडल में नए और ऊर्जावान चेहरे दिख सकते हैं। युवा विधायकों को खास तरजीह दी जा सकती है ताकि सरकार की कार्यशैली में तेजी, नवाचार और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप निर्णय क्षमता बढ़ सके। युवा ऊर्जा से लैस मंत्री न सिर्फ प्रशासनिक सुधारों को जमीन पर उतारने में सक्षम होते हैं, बल्कि वे जनता की नब्ज भी बेहतर तरीके से समझते हैं। इसलिए भाजपा इस बार युवा नेताओं को कैबिनेट में मजबूत जगह देकर एक नया राजनीतिक संतुलन स्थापित करने की तैयारी में है।
इसके साथ ही महिला प्रतिनिधित्व भी भाजपा के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल है। हालिया चुनाव में महिलाओं की भागीदारी और उनके बीच भाजपा को मिले समर्थन को ध्यान में रखते हुए पार्टी चाहती है कि मंत्रिमंडल में भी महिलाओं को पर्याप्त जगह मिले। महिला नेताओं की भागीदारी बढ़ाकर भाजपा न सिर्फ महिलाओं को सशक्त नेतृत्व देगी, बल्कि यह भी संकेत देगी कि बिहार सरकार में महिलाओं की भूमिका निर्णायक होगी।
इसके अलावा भाजपा अपने कुछ अनुभवी और पुराने विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल करने का मन बना रही है। ये वे नेता हैं जो लंबे समय से संगठन और सरकार दोनों में सक्रिय रहे हैं और जिनका अनुभव सरकार के सुचारू संचालन में अहम भूमिका निभा सकता है। प्रशासनिक समझ, जनसंवाद और राजनीतिक संतुलन के लिहाज से इन वरिष्ठ नेताओं को शामिल करके पार्टी शासन में स्थिरता और परिपक्वता बनाए रखना चाहती है।
भाजपा की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता जातीय संतुलन है। बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं। यही कारण है कि मंत्रिमंडल विस्तार में विभिन्न जातियों को प्रतिनिधित्व दिए जाने की पूरी संभावना है। दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, सवर्ण—हर वर्ग से मंत्री शामिल करने पर पार्टी फोकस कर रही है, ताकि कोई भी समुदाय खुद को अलग-थलग महसूस न करे। भाजपा इस बार “सामाजिक समावेशन” को कैबिनेट की सबसे बड़ी रणनीति के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है।
साफ है कि भाजपा ने सरकार गठन को केवल औपचारिक प्रक्रिया के रूप में नहीं लिया है, बल्कि वह इसे बिहार की राजनीति में अपनी मजबूत छाप छोड़ने का अवसर मान रही है। विधायक दल की बैठक के बाद जो संकेत मिले हैं, वे यह बताते हैं कि भाजपा अब किसी भी तरह की प्रयोगात्मक राजनीति के बजाय स्थिर, संतुलित और दूरगामी असर वाली सरकार बनाने के प्रयास में जुटी है। कल होने वाले शपथ ग्रहण के साथ बिहार में एक नई राजनीतिक अध्याय की शुरुआत होगी जिसका केंद्र भाजपा की मज़बूत नेतृत्व क्षमता और संतुलित सामाजिक रणनीति होगी।