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Bihar MLA Education: बिहार में आधे से अधिक विधायक के पास कॉलेज-डिग्री नहीं है, उम्र पचास से अधिक है; महिला सदस्यों की संख्या में भी इजाफा

Bihar MLA Education: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों के बाद राज्य में सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी होने लगी है। जदयू ने नीतीश कुमार को अपने विधानमंडल दल का नेता चुना है, जिससे उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना लगभग तय है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 19 Nov 2025 02:50:00 PM IST

Bihar MLA Education

- फ़ोटो GOOGLE

Bihar MLA Education: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में शिक्षा और उम्र का आंकड़ा काफी ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस बार आधे से अधिक विधायक ऐसे हैं जिनके पास सिर्फ 12वीं या उससे कम की पढ़ाई है और जिनकी उम्र 50 साल से ऊपर है। हालांकि, महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है, जो विधानसभा में बेहतर विविधता का संकेत देता है। कुल 235 सदस्यीय विधानसभा में 147 विधायकों के पास ग्रेजुएशन या उससे ऊपर की डिग्री है, जबकि बाकी विधायकों की पढ़ाई 12वीं या उससे कम स्तर तक सीमित है। ये आंकड़े बिहार की राजनीति में अनुभव और युवा प्रतिभा का संतुलन दिखाते हैं। 


दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद राज्य में सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी होने लगी है। जदयू ने नीतीश कुमार को अपने विधानमंडल दल का नेता चुना है, जिससे उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना लगभग तय है। 20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में उनका शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। इस बार के चुनाव परिणाम और विधानसभा की संरचना पर नजर डालें तो शिक्षा, अनुभव और उम्र के लिहाज से विधायकों की विविधता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।


एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और बिहार इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार की विधानसभा में पढ़ाई-लिखाई के मामले में पिछले चुनाव की तुलना में सुधार हुआ है। कुल 243 सदस्यों वाली विधानसभा में 20 ऐसे विधायक हैं जिनके पास पीएचडी की डिग्री है। यह संख्या यह दर्शाती है कि बिहार में शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है और अधिक पढ़े-लिखे लोग राजनीति में कदम रख रहे हैं। इसके बाद 48 विधायक पोस्ट ग्रेजुएट हैं, जबकि 59 विधायक ग्रेजुएट हैं। इसके अलावा, 20 ऐसे विधायक हैं जिनके पास इंजीनियरिंग, मेडिकल या अन्य प्रोफेशनल डिग्रियां हैं। यानी कुल मिलाकर 235 सदस्यों में से लगभग 147 विधायकों के पास ग्रेजुएशन या उससे ऊपर की डिग्री है, जो 60% से अधिक है।


हालांकि, शिक्षा में उच्च स्तर के बावजूद, इस बार भी कुछ विधायकों की पढ़ाई सीमित है। कुल 84 विधायक यानी लगभग 35% विधायकों की शिक्षा 5वीं से 12वीं तक है। इनमें 56 विधायक 12वीं पास हैं, 21 विधायक 10वीं पास हैं, 6 विधायक 8वीं पास हैं और 1 विधायक केवल 5वीं पास है। इसके अलावा, 7 विधायक ऐसे भी हैं जो केवल साक्षर हैं, यानी पढ़ना-लिखना जानते हैं लेकिन उनकी फॉर्मल स्कूलिंग नहीं हुई। पांच विधायक डिप्लोमा धारक हैं। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि एक तिहाई से अधिक विधायक अभी भी औपचारिक शिक्षा में उच्च स्तर तक नहीं पहुंचे हैं, फिर भी वे अपने निर्वाचन क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम हैं।


आयु संरचना की बात करें तो सबसे बड़ी संख्या 51 से 60 साल के विधायकों की है। कुल 84 विधायक इस आयु वर्ग के हैं। इसके बाद 41 से 50 साल के 59 विधायक हैं। 61 से 80 साल तक के बुजुर्ग विधायकों की संख्या 62 है। कुल मिलाकर 41 से 60 साल की उम्र वाले विधायकों की संख्या लगभग 59% है, यानी मिडिल एज वर्ग के विधायक विधानसभा में सबसे अधिक हैं। सबसे अधिक उम्र वाले 71 से 80 साल के 12 विधायक हैं।


युवा विधायकों पर नजर डालें तो 25 से 40 साल के विधायक 38 हैं, जो कुल संख्या का 16% हैं। सबसे कम उम्र वाले विधायक केवल 25 से 30 साल के हैं। इनमें बीजेपी की अलीनगर सीट से जीतने वाली मैथिली ठाकुर शामिल हैं, जिनकी उम्र 25 साल है। इसके अलावा, जदयू की सोनम रानी, त्रिवेणीगंज से 27 साल की हैं। वहीं, शाहपुर से राकेश रंजन, राजनगर से सुजीत कुमार, गाइघाट की कोमल सिंह और साकरा से आदित्य कुमार की उम्र भी लगभग 30 साल है। यह स्पष्ट करता है कि युवा नेताओं ने अपने कौशल, जनता से जुड़ाव और दृढ़ता के जरिए विधानसभा में प्रवेश किया है।


अनुभवी और बुजुर्ग विधायकों में जदयू की सबसे अधिक संख्या है। निर्मली से अनिरुद्ध प्रसाद यादव और बेलदौर से पन्ना लाल सिंह पटेल 76 साल के हैं, जबकि हरनौत से हरि नारायण सिंह 78 साल के हैं। सबसे उम्रदराज विधायक सुपौल से चुनाव जीतने वाले बिजेन्द्र प्रसाद यादव हैं, जिनकी उम्र 79 साल है। इसके अलावा, मनहारी से कांग्रेस विधायक मनोहर प्रसाद सिंह 76 साल और चकई से जदयू की सावित्री देवी 77 साल की हैं। इन बुजुर्ग विधायकों का अनुभव विधानसभा की कार्यप्रणाली, नीति निर्माण और विधायी निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


इस प्रकार, बिहार विधानसभा 2025 में युवा, मिडिल एज और बुजुर्ग विधायकों का संतुलित मिश्रण देखने को मिलता है। युवा विधायक नई सोच, डिजिटल माध्यमों में निपुणता और जनता से जुड़ाव लेकर आते हैं, जबकि बुजुर्ग और अनुभवी विधायक अनुभव, रणनीति और नीति निर्माण में गहन समझ लाते हैं। इस विविधता से स्पष्ट है कि विधानसभा की कार्यप्रणाली अधिक संतुलित, लोकतांत्रिक और प्रभावशाली होगी।


न केवल शिक्षा और उम्र, बल्कि पेशेवर अनुभव भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रोफेशनल डिग्री वाले विधायक तकनीकी और प्रशासनिक दृष्टिकोण से नीति निर्माण में मदद करेंगे। वहीं, बुजुर्ग विधायक पारंपरिक राजनीतिक अनुभव, जनसमस्याओं की समझ और क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान में मार्गदर्शन देंगे। कुल मिलाकर, यह मिश्रण बिहार के लोकतंत्र, प्रशासनिक सुधार और सामाजिक विकास के लिए लाभकारी साबित होगा।


बिहार विधानसभा 2025 की संरचना यह संकेत देती है कि राज्य की राजनीति में युवा ऊर्जा, शिक्षा और अनुभव का संतुलित मिश्रण मौजूद है, जो आगामी वर्षों में राज्य के विकास और शासन में महत्वपूर्ण योगदान देगा।